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HPV Vaccine: भारत में बड़े पैमाने पर एक और टीकाकरण अभियान की आवश्यकता

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शारदा जैन एचपीवी वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की वकालत करती हैं.

डॉ. शारदा जैन
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<div class="paragraphs"><p>HPV vaccine: क्या&nbsp;एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर को रोक सकता है?</p></div>
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HPV vaccine: क्या एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर को रोक सकता है?

(फोटो: फिट हिंदी/iStock)

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भारत ने ग्लोबल वैक्सीन मैप पर, एक्सीलेंस, कैपेसिटी और नई सोच के जरिए अपनी जगह बना ली है.

देश का राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चेचक, पोलियो, मीजल्स और हाल ही में COVID-19 जैसी बीमारियों से आबादी के बड़े हिस्से को बचाने में बेहद सफल रहा है.

जानलेवा बीमारियों के प्रभाव को कम करने में टीकाकरण के शक्तिशाली रोल पर जोर देते हुए, एचपीवी (HPV) टीका एक आकर्षक उदाहरण के रूप में सामने आता है.

एचपीवी इतना चिंताजनक क्यों है?

वैश्विक स्तर पर एचपीवी, खासकर 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में, सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है.

सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक प्रचलित कैंसर है.

GLOBOCAN 2020 के अनुसार, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने भारत में सर्वाइकल कैंसर के 1,23,907 नए मामले और 77,348 मौतों का अनुमान लगाया है.

सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं के लिए एक कठिन चुनौती है, लेकिन इससे बचना असंभव नहीं है.

पैप स्मीयर टेस्ट जैसी रूटीन स्क्रीनिंग और रेगुलर हेल्थ टेस्ट करते रहना और हेल्थकेयर पेशेवरों से कंसल्ट करना, प्री कैंसर लीशनों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे अर्ली इंटरवेंशन और सर्वाइकल कैंसर के रोकथाम में मदद मिलती है.

राष्ट्रीय कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों को लागू करने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, कम जागरूकता और टीकाकरण तक सीमित पहुंच के कारण एचपीवी का प्रसार बहुत अधिक है.

भारत इस संकट से बेहतर ढंग से कैसे निपट सकता है?

एचपीवी टीकों ने साबित कर दिया है कि वे इन्फेक्शन को रोकने और उसके कारण होने वाले सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने में बहुत प्रभावी हैं.

ICMR की एक स्टडी के अनुसार, टीकाकरण उपलब्ध कराने से सर्वाइकल कैंसर के मामलों में 50% तक की कमी आ सकती है.

इसके अलावा, अगर आबादी के एक बड़े हिस्से को 16-17 साल की कम उम्र में टीकाकरण दिया जाता है, तो सर्वाइकल कैंसर की घटनाओं में 80% तक कमी आने की संभावना होती है.

जब भारत सरकार द्वारा, WHO की सलाह के अनुसार, 90% किशोर लड़कियों को टीका लगाया जाएगा तो यह एक गेम चेंजर होगा.

इस टीकाकरण रणनीति को सर्वाइकल कैंसर की बड़े पैमाने पर जांच और उसके बाद सही इलाज के साथ जोड़कर, सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी कमी लाई जा सकती है.

सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक आशाजनक प्रगति में, भारत ने अपना पहला स्वदेशी क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन - सर्वावैक (Cervavac) लॉन्च किया.

अंतरिम बजट 2024 की घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि 9-14 साल की लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण को प्रोत्साहित किया जाएगा.

उम्मीद यह है कि इस कमिट्मेंट के कारण जल्द ही राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में HPV वैक्सीन को शामिल किया जाएगा.

ऐसा करना इन टीकों को अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध और आसान बनाने की दिशा में एक कदम होगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जो एचपीवी के प्रसार से निपटने के लिए जरूरी है.

वर्तमान में, वैक्सीन की एक खुराक (दो खुराक की सिफारिश की जाती है) की कीमत 2,000 रुपये से 11,000 रुपये के बीच हो सकती है.

इसके अलावा, यह लोगों को टीके के बारे में शिक्षित करने के साथ-साथ एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने और बीमारी से जुड़े स्टिग्मा और मिथकों को तोड़ने के लिए अधिक रिर्सोसेस लगाने में मदद करेगा.

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'यह एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए'

टीकों के मामले में भारत का मजबूत इतिहास ग्लोबल हेल्थ के प्रति देश के कमिट्मेंट का सबूत है.

HPV वैक्सीन, जो सर्विक्स, वजाइना और वुल्व के कैंसर का कारण बनने वाले वायरस से बचाता है, भारत और दूसरे देशों को इस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा.

बढ़ती जागरूकता, आसानी से होने वाली स्क्रीनिंग कार्यक्रम और एचपीवी वैक्सीन अभियानों से जुड़े कई जॉइंट प्रयासों ने सर्वाइकल कैंसर को कम करने में मदद की है.

हालांकि, इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निरंतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए इन प्रयासों को बनाए रखना जरुरी है.

एचपीवी टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हेल्थकेयर पेशेवरों, पॉलिसी निर्माताओं और आम जनता को साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है.

टीकों तक हर किसी की पहुंच आसान बना कर, हम भारत में सर्वाइकल कैंसर को रोकने और महिलाओं के स्वास्थ्य को सुधारने में सक्षम हो सकेंगे.

(डॉ. शारदा जैन दिल्ली के एक प्रमुख आईवीएफ केंद्र, लाइफ केयर सेंटर में आब्स्टिट्रिशन-गायनेकोलॉजिस्ट हैं.)

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