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ब्लड शुगर का संतुलन शरीर की कोशिकाओं और अंगों को एनर्जी देता है. शुगर लेवल को नॉर्मल रेंज में रखने के लिए शरीर को इंसुलिन की जरूरत होती है.
इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसके जरिए बॉडी सेल्स ग्लूकोज लेती और स्टोर करती हैं. अगर इंसुलिन के काम में कोई गड़बड़ी हो जाए तो ब्लड शुगर का लेवल बढ़ या घट सकता है. इन दोनों ही कंडिशन को कंट्रोल करना जरूरी है.
अगर किसी में बल्ड शुगर का लेवल हाई है, तो उसमें ये लक्षण देखे जा सकते हैं:
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक हाइपरग्लाइसेमिया के ये दो मुख्य लक्षण हैं. ब्लड में हाई शुगर किडनी और यूरिन तक पहुंचता है, जो ज्यादा पानी की जरूरत पैदा करता है, जिससे जल्दी-जल्दी पेशाब जाना पड़ता है. इस वजह से पर्याप्त पानी पीने के बाद भी प्यास लगती है.
हाई ब्लड शुगर से अचानक वजन कम होने लग सकता है, जिसका कारण पता नहीं चलता. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की कोशिकाओं को जरूरत के मुताबिक ग्लूकोज नहीं मिलता, इसलिए ऊर्जा के लिए स्टोर हुए फैट का इस्तेमाल होने लगता है.
ब्लड ग्लूकोज जितने लंबे समय तक हाई रहता है, इसके लक्षण उतने ही गंभीर होते जाते हैं. अगर ब्लड शुगर लेवल लगातार बढ़ा रहता है, तो ये दिक्कतें हो सकती हैं:
हाई ब्लड ग्लूकोज यानी हाइपरग्लाइसेमिया का इलाज न कराने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसलिए जैसे ही इसके बारे में पता चले, इलाज जरूर कराएं. हाइपरग्लाइसेमिया का ट्रीटमेंट न होने से डायबिटीक कोमा तक बात बिगड़ सकती है.
डायबिटीज के मरीजों में अगर इसका कोई लक्षण दिखता है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डायबिटीक लोगों में हाइपरग्लाइसेमिया से बचने का सबसे बेहतर तरीका डायबिटीज मैनेजमेंट है.
पानी शुगर की ज्यादा मात्रा को यूरिन के जरिए बाहर करने में मददगार होता है और साथ ही डीहाइड्रेशन का खतरा भी नहीं रहता.
अक्सर हाई ब्लड ग्लूकोज को कम करने के लिए एक्सरसाइज करने को कह दिया जाता है, लेकिन अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक अगर ब्लड ग्लूकोज 240 mg/dl से ऊपर है, तब यूरिन में कीटोन्स चेक कराना चाहिए. अगर कीटोन्स निकलते हैं, तो एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए.
इसके अलावा डायटीशियन की मदद से खानपान में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है.
(इनपुट: मायो क्लिनिक, वेबएमडी, अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन)
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