advertisement
भारत में सर्जरी के जरिए यूटरस या बच्चेदानी निकलवाने (hysterectomy) की दर बहुत कम है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2016 के अनुसार, केवल 3.2 प्रतिशत भारतीय महिलाएं (15-49 वर्ष की आयु) सर्जरी के जरिए गर्भाशय निकलवाने की प्रक्रिया से गुजरती हैं. हालांकि, कुछ राज्यों में यह संख्या चौंकाने वाली है. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में यह क्रमशः 47 और 42 प्रतिशत है. अभी तक अमेरिका में ऐसा नहीं हुआ है, जहां हर साल 6 लाख से अधिक महिलाएं हिस्टेरेक्टॉमी (सर्जरी के जरिये गर्भाशय निकलवाने) से गुजरती हैं. जल्द ही 60 साल से ऊपर की हर 3 में से 1 महिला में गर्भाशय नहीं रह जाएगा.
लेकिन क्या ये आंकड़ा शहरी भारत पर भी लागू होता है? 40 से 55 साल की उम्र की महिलाओं के बीच एक अनौपचारिक पोल में 9 में से 3 महिलाएं ऐसी थीं, जिन्होंने अपने गर्भाशय को निकलवा दिया था. (डॉक्टर्स ने मुझे बताया कि ये असामान्य रूप से अधिक आंकड़ा है.) इन सभी महिलाओं के गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स थे.
एक दोस्त जिससे मैंने बात की, उसके लिए ये लाइफस्टाइल चॉइस थी. जबकि फाइब्रॉएड अपने आप में इतना दर्दनाक नहीं था, लेकिन मासिक धर्म के दौरान होने वाले भारी रक्तस्राव के कारण घूमने-फिरने में बहुत मुश्किल होती. मूत्राशय (bladder) पर भारी दबाव का मतलब है कि उसे अक्सर टॉयलेट दौड़ना पड़ता था.
40 की उम्र के बाद, दो बच्चे होने के साथ, उसके लिए ये कोई मुश्किल विकल्प नहीं था. जबकि उसके गर्भाशय को सर्जरी कर निकाला गया, लेकिन उसकी ओवरीज और फैलोपियन ट्यूब को छोड़ दिया गया था.
सर्जरी के जरिए गर्भाशय निकलवाने के सबसे आम कारण ये हैं:
जो महिलाएं बच्चों को जन्म देने की उम्र को पार कर चुकी होती हैं, ऐसी महिलाओं को डॉक्टर बड़े पैमाने पर सर्जरी के जरिए गर्भाशय निकलवाने का विकल्प देते हैं. अधिकतर डॉक्टर 20 से 40 साल की उम्र की महिलाओं के गर्भाशय को निकालना नहीं चाहते हैं.
साल 2018 में अमेरिका में एक्टर/कॉमेडियन और पॉप कल्चर आइकॉन लीना डनहम ने वोग मैगजीन में एक आर्टिकल लिखा था. यह 31 साल की उम्र में उनके गर्भाशय निकलवाने के बारे में था. वो एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित थी और तेज दर्द ने उन्हें बेसुध सा कर दिया था. उनके डॉक्टरों ने दो स्वतंत्र डॉक्टरों द्वारा देखने के बाद ही गर्भाशय को निकालने पर सहमति दी थी.
इस रिपोर्ट के अनुसार, दुर्भाग्य से, ग्रामीण भारत के कई हिस्सों में कोई भी काउंसलर नहीं होता है. 20 से लेकर 40 साल की उम्र वाली महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने गर्भाशय को निकलवा लें. ऐसा गर्भाशय से जुड़ी छोटी बीमारियों की सूरत में भी किया जाता है. शिक्षा और जागरुकता की कमी के कारण महिलाएं डॉक्टरों द्वारा बताई गई सर्जरी के लिए तैयार हो जाती हैं.
गर्भाशय को निकलवाना कई बीमारियों का कारण बन सकता है. गर्भाशय के साथ ओवरीज निकलवाने का मतलब है एडवांस मेनोपॉज. वो भी कम से कम 15 साल पहले. एस्ट्रोजन की कमी के कारण दिल की बीमारी और ओस्टियोपोरोसिस भी हो सकता है.
ऐसे में किसे गर्भाशय निकलवाने की सर्जरी करानी चाहिए? हमने इस बारे में गुड़गांव स्थित मैक्स हॉस्पिटल में प्रसूति और स्त्री रोग यूनिट की एसोसिएट, डायरेक्टर और हेड डॉ दीपा दीवान से बातचीत की. उन्होंने कहा कि जागरुकता के बाद 40 साल से लेकर 60 साल की उम्र की महिलाओं में गर्भाशय निकलवाने के मामले बढ़े हैं.
1000 फाइब्रॉइड्स में से सिर्फ एक ही कैंसर का कारक हो सकता है. गर्भाशय निकालना इसका पहला इलाज नहीं है. फाइब्रॉइड्स को सर्जरी के जरिए हटाया जा सकता है. कई दूसरे मेडिकल उपाय भी हैं, जिनमें गर्भाशय को निकालना शामिल नहीं है.
मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग को रोकने में हार्मोन स्रावित करने वाला इंटरयूट्रीन डिवाइस (IUD) काफी प्रभावी माना जाता है.
लेकिन 40 साल से कम उम्र की महिला डॉक्टर के पास जाती है, तो सोच रूढ़िवादी होती है.
इस आर्टिकल को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 08 Feb 2019,05:12 PM IST