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आधुनिक जीवनशैली का इन दिनों मतलब हो गया है सोशल मीडिया, स्मार्टफोन, ट्रांस फैट और सबसे बढ़कर थका देने वाली नौकरी. जीवनशैली जैसे-जैसे तेज होती जाती है, तनाव भी उसी रफ्तार से बढ़ता जाता है और फिर कई तरह के भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं सामने आती हैं.
काम से जुड़े तनाव का सबसे पहला असर पड़ता है रोजाना के वर्क परफॉर्मेंस पर. कार्यक्षमता में कमी के साथ अक्सर काम से गायब रहने की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है. फिर ना तो काम समय पर खत्म होता है और ना ही नए आइडिया आते हैं. काम से जुड़े तनाव के कुछ स्पष्ट भावनात्मक लक्षण होते हैं जिनकी पहचान करके उन्हें तुरंत दूर करना चाहिए.
अगर तनाव को दूर नहीं किया जाए तो इससे किसी शख्स के बर्ताव और शख्सियत में बड़े बदलाव आ सकते हैं. खाने की आदतों से लेकर नशीले पदार्थों के इस्तेमाल तक और नींद में अनियमितता से लेकर घबराहट तक— तनाव के असर गंभीर और दूरगामी हो सकते हैं.
काम से जुड़े तनाव को दूर करने के लिए जरूरी है कि अपने व्यक्तित्व और काम में भरोसा पैदा किया जाए, मिले हुए काम में मकसद ढूंढा जाए और, सबसे जरूरी बात कि भरोसेमंद सहकर्मियों के रूप में एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम बनाया जाए.
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