advertisement
हम सभी ने कभी न कभी अपने घर में ये बातें जरूर सुनी होंगी. असल में हमें इन बातों को सुनकर नजरअंदाज करने की आदत सी पड़ गई है.
हम अक्सर देखते हैं कि लोग अपने काम में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि ठीक से खाने का वक्त तक नहीं निकाल पाते हैं.
बहुत बार तो ऐसा भी होता है कि हम या तो अपने ऑफिस की डेस्क पर या कार चलाते समय, या चलते हुए और दूसरे हाथ में फोन पर बात करते हुए भी खाना खा लेते हैं.
आइए जानें कि क्या वास्तव में इसमें कोई तथ्य है कि खाना आराम से खाना चाहिए या ये सिर्फ कोरी बातें हैं.
प्रमाण के तौर पर बहुत से वैज्ञानिक तथ्य हमारे सामने हैं. विश्व में लगभग सभी स्थानों पर और सभी संस्कृतियों में चलते-फिरते खाना बुरा माना गया है. बल्कि, अगर यह कहें कि चलते-फिरते खाना वर्जित माना गया है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
हमारे शरीर में किसी भी तंत्र को अपना पूरा काम अच्छी तरह से करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त मात्रा में रक्त प्रवाह की आवश्यकता होती है.
भोजन जब अमाशय में पहुंचता है तो कम से कम तीन प्रकार की क्रियाएं होती हैं. एक तो भोजन को पचाने के लिए एंजाइम्स की सेक्रेशन; दूसरा अमाशय में एंजाइम और भोजन का सही प्रकार से मिश्रण करने के लिए उसकी गति का संचालन और तीसरा, भोजन के पच जाने के बाद उसका रक्त में समावेश या जज्ब होना.
इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है कि बैठ जाने पर सभी मांसपेशियां सही टोन में आ जाती हैं और कुछ एक्यूप्रेशर बिंदु ऐसे हैं, जिनके ऊपर दबाव पड़ने से पूरे पाचन तंत्र का रक्त प्रवाह बिल्कुल ठीक हो जाता है.
वज्रासन में बैठने से खाद्य नली यानी इसोफागस और अमाशय के बीच का वाल्व तंग (टाइट) हो जाता है, जिससे पेट का अम्ल यानी एसिड मुख की ओर नहीं आ पाता.
आराम से बैठकर खाने में पाचन क्रिया को सक्षम बनाने में जिसका सबसे बड़ा हाथ है, वह है मन का भी ढीला और शांत होना.
कहा जाता है-'जैसा अन्न वैसा मन' और अगर मन में भोजन करते हुए स्वस्थ रहने की भावना जुड़ जाए, तो पूरे शरीर पर उस का बड़ा उत्तम प्रभाव पड़ता है.
क्वांटम मेडिसिन ( जो कि क्वांटम फिजिक्स की तरह विज्ञान की एक विधा है) के अनुसार विकसित देशों में बढ़ते हुए मोटापे का एक कारण माइंडफुल ईटिंग का न होना है.
लेकिन सभी डॉक्टर इस बात पर बहुत बल देते हैं कि रात के खाने और सोने के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल (गैप) अवश्य हो.
(डॉ अश्विनी सेतिया दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. इनसे ashwini.setya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 27 Nov 2018,03:43 PM IST