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शुक्रवार, 17 जुलाई को, भारत में COVID-19 संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 10 लाख पार कर गया. इनमें 342473 एक्टिव केस हैं और मृतकों की संख्या 25602 है. इनमें 635757 लोग ठीक या डिस्चार्ज हो चुके हैं.
देश में 4 महीने में करीब 5 लाख केस मिले थे, सिर्फ तीन हफ्तों में ही ये संख्या दोगुनी हो गई. देश में हर दिन रिकॉर्ड तोड़ केसों में बढ़त और मौतों की संख्या में इजाफा देखा गया.
हालांकि कोरोना की रफ्तार हर राज्य में अलग रही. कुछ राज्यों में कर्व समतल हो रहा, जबकि कई जगह खतरनाक उछाल दिखा. 30 जनवरी को कोरोना के पहले संक्रमित केस से लेकर अब तक कितने और कैसे बढ़े आंकड़े. समझिए.
जैसा कि ग्राफ दिखा रहा है- देश भर में लॉकडाउन के 3 चरणों के बावजूद, भारत ने अभी तक 'कर्व को फ्लैट नहीं किया है', भले ही अलग-अलग राज्यों ने सुधार दिखाया हो. अगर हम इस महीने के आंकड़ों पर गौर करें, तो 1 जुलाई के 18,653 केस से बढ़कर 16 जुलाई को ये आंकड़ा 32,695 हो गया - बमुश्किल आधे महीने के अंदर रोजाना मिलने वाले केसों की संख्या में इतनी बढ़त दर्ज की गई.
केसेज की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद, टेस्टिंग के मामले में हम सबसे पिछड़े देशों में शामिल हैं. कोरोना संक्रमण के केसेज की संख्या में भारत सिर्फ अमेरिका और ब्राजील से पीछे है.
स्थिति को समझने के लिए इन आंकड़ों को जानिए. 15 जुलाई को भारत में प्रति मिलियन 8,991 टेस्ट हुए. जबकि अमेरिका में ये संख्या 132,993 और ब्राजील में 21,507 थी.
16 जुलाई को केस फैटेलिटी रेशियो(CFR)यानी कोरोना संक्रमितों में मत्यु प्रतिशत 2.57% रहा और कुल मौतों की संख्या 25,000 पार कर गई. हालांकि ये पिछले एक महीने के मुकाबले कम हुआ है. 17 जून को केस फैटेलिटी रेशियो 3.6% था. वहीं कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की तुलना में हमारे देश में मृत्यु दर सबसे कम है, इस ट्रेंड के पीछे टेस्टिंग में कमी एक बड़ा फैक्टर माना जाता है.
इस बीच, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि देश अभी भी 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ के फेज में प्रवेश नहीं कर पाया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने 9 जुलाई को कहा, “हम दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं. 1.3 अरब लोगों की आबादी के बावजूद, भारत अपेक्षाकृत अच्छी तरह से COVID-19 का प्रबंधन करने में सक्षम रहा है. अगर आप प्रति मिलियन जनसंख्या पर केसेज को देखते हैं तो ये अभी भी दुनिया में सबसे कम है.”
16 जुलाई को 112,099 मामलों के साथ महाराष्ट्र देश में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बना हुआ है. इसके बाद तमिलनाडु और दिल्ली का स्थान है. 13 जुलाई को कर्नाटक सबसे अधिक मामलों के साथ गुजरात राज्य को पीछे छोड़ चौथे स्थान पर आ गया.
जबकि कुछ राज्यों जैसे दिल्ली और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सुधार दिखाई दे रहा है, कर्नाटक इस महीने मामलों के साथ-साथ मौतों के मामले में सबसे तेजी से बढ़ने वाले राज्यों में से एक बन गया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के 2 सप्ताह के अंदर रोजाना 2,000 से ज्यादा केसों के साथ राज्य में 30,000 नए केस दर्ज किए गए.
जून के अंत तक, यहां हर दिन सिर्फ 350 से 450 केस सामने आ रहे थे. अब ये एकमात्र ऐसा राज्य है जहां 10 दिनों से भी कम समय में कुल केस दोगुने हो गए हैं.
इसे आंशिक रूप से टेस्टिंग में हुई बढ़त की भूमिका हो सकती है. इस सप्ताह के एक दिन में 12,000-14,000 सैंपल से बढ़कर 20,000 से ज्यादा सैंपल टेस्टिंग की गई.
बेंगलुरु(कर्नाटक में कोरोना के कुल एक्टिव मामलों का करीब 60%) जैसे भारत के कुछ हिस्सों और बिहार ने केसेज की बढ़ती संख्या को काबू में करने के लिए लॉकडाउन को फिर से लागू किया है.
दूसरी ओर, दिल्ली में नए केस मिलने कम हो रहे हैं. 23 जून के स्पाइक(4,000 केस) के मुकाबले 16 जुलाई को ये संख्या 1,652 रह गई है. एशिया का सबसे बड़ा स्लम मुंबई का धारावी भी अपने COVID-19 प्रसार को काबू करने में सफल रहा है.
प्रभावित टॉप 10 में अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान हैं. असम, बिहार और ओडिशा में भी हाल ही में कोरोना वायरस की ग्रोथ रेट ज्यादा देखी गई है.
“जैसे ही देश में अनलॉक हुआ, एकमात्र तरीका सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना होगा. देश भर में सरकार को टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और बढ़त जारी रखना होगा.” वेलकम ट्रस्ट डीबीटी इंडिया अलायंस के वायरोलॉजिस्ट और सीईओ डॉ शाहिद जमील कहते हैं- “इससे दूर भागने का कोई रास्ता नहीं है. हमें अलग तरह से रहना शुरू करना होगा.”
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Published: 17 Jul 2020,09:35 AM IST