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इस जलती और चुभती गर्मी में ठंडा-ठंडा तरबूज खाने के अपने ही मजे हैं. कड़ी धूप, लू और पसीने से तरबतर कर देने वाले इस मौसम में डॉक्टर्स भी आपको हाइड्रेटेड रहने की सलाह देते हैं और इसके लिए तरबूज-खरबूज जैसे फल डाइट में शामिल करने को कहते हैं.
तरबूज में 92 फीसदी पानी होता है और इसीलिए खासकर गर्मी में ये काफी फायदेमंद माना जाता है. लेकिन क्या हो जब आप हेल्दी माने जाने वाले तरबूज को फायदे के लिए खाएं और वो आपके लिए खतरनाक साबित हो जाए.
“कुछ दिन पहले मैंने तरबूज खरीदा. हर बार की तरह उसे फ्रिज में रखा और ठंडा करके खाया. खाने के तकरीबन 1 घंटे के बाद पेट में दर्द होने के कारण मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा. डॉक्टर ने अचानक पेट दर्द और उल्टी की वजह फूड प्वॉइजनिंग बताई, जो तरबूज से हुई थी.”
डॉक्टर ने बताया कि तरबूज खाने के बाद मुझे पेट दर्द और उल्टी की दिक्कत इसलिए हुई क्योंकि आजकल तरबूज की लाली और मिठास बढ़ाने के लिए उसमें इंजेक्शन लगाया जा रहा है.
साल 2012 की टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट बताती है कि तरबूज की लाली और टेस्ट बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला केमिकल आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है.
मैक्स हेल्थकेयर में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया कहते हैं:
डॉ सेतिया बताते हैं, “तरबूज या किसी भी फल में इंजेक्शन इसलिए लगाने की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि उन्हें समय से पहले तोड़ लिया जाता है. समय से पहले मार्केट में भेजना, उनकी बिक्री बढ़ाने के लिए उनके साइज, रंग, स्वाद को अच्छा करने के लिए कुछ खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है.”
तरबूज की लाली और स्वाद बढ़ाने के लिए कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है:
एरीथ्रोसिन - तरबूज को अंदर से लाल करने के लिए उसमें एरीथ्रोसिन मिलाते हैं, जो एक प्रकार का रंग होता है.
वैक्स- अक्सर तरबूज के इंजेक्शन वाले हिस्से को छिपाने और ऊपर से फ्रेश दिखाने के लिए हरे रंग का वैक्स लगाते हैं.
ऑक्सिटोसिन हार्मोन- ऑक्सिटोसिन एक तरह का हार्मोन का इंजेक्शन है, जो कि महिलाओं या पशुओं को प्रसव के दौरान लगाते हैं. इसका इस्तेमाल फलों का साइज बढ़ाने के लिए किया जाता है.
साल 2016 में टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में ये बताया गया कि फलों या सब्जियों के साइज को बढ़ाने के लिए लगाया जाने वाला ऑक्सिटोसिन हार्मोन सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है.
डॉ सेतिया के मुताबिक इंजेक्टेड तरबूज खाने से बर्दाश्त से बाहर पेट दर्द, उल्टी, दस्त हो सकता है. हालत ज्यादा खराब होने पर ये ऑर्गन फेलियर की भी वजह बन सकता है.
तरबूज बेल पर उगता है, अपने भार की वजह से ये जमीन पर होता है. जमीन पर होने की वजह से इसके नीचले हिस्से का रंग उड़ा होता है या फीका दिखता है. ऊपर का रंग नॉर्मल हरा होता है.
अगर तरबूज इंजेक्टेड है, तो: अगर तरबूज इंजेक्टेड है, तो तरबूज चारों तरफ से दिखने में एक जैसा होगा. इसका मतलब उसे आर्टिफिशियल तरीके से हरा किया गया है.
तरबूज जिस डंठल के जरिए बेल से जुड़ा होता है, वो तरबूज के नैचुरल तरीके से पकने के बाद तोड़े जाने पर काली या सूखी पड़ जाती है.
तरबूज का अंदरूनी हिस्सा आमतौर पर एक जैसा दिखना चाहिए.
अगर तरबूज को इंजेक्शन लगा कर मीठा और लाल किया गया है, तो अंदर से तरबूज कहीं सुर्ख लाल तो कहीं फीके रंग का दिखता है. तरबूज के जिस साइड केमिकल का ज्यादा असर हुआ होगा वो हिस्सा अंदर से ज्यादा पक गया होगा या गल गया होगा.
आमतौर पर पूरा तरबूज मिठास में एक जैसा ही होना चाहिए.
हम फल और सब्जियां खाना छोड़ नहीं सकते हैं क्योंकि अच्छी सेहत के लिए मौसमी फल और सब्जियों का सेवन जरूरी है, लेकिन कुछ चीजों का ख्याल और सावधानी बरतकर बेहतर चीजों का चुनाव जरूर कर सकते हैं.
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Published: 15 May 2019,07:06 PM IST