मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Monkey Fever के कर्नाटक में 103 सक्रिय मामले, 2 की मौत: अबतक क्या-क्या पता है?

Monkey Fever के कर्नाटक में 103 सक्रिय मामले, 2 की मौत: अबतक क्या-क्या पता है?

कर्नाटक में क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) के कारण 103 सक्रिय मामले और दो मौतें दर्ज की गई हैं.

फिट
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>कर्नाटक में मंकी फीवर के 103 सक्रिय मामले और दो मौतें दर्ज की गई हैं.</p></div>
i

कर्नाटक में मंकी फीवर के 103 सक्रिय मामले और दो मौतें दर्ज की गई हैं.

(फोटो:iStock)

advertisement

कर्नाटक में क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) या मंकी फीवर के 103 सक्रिय मामले और उसकी वजह से दो मौतें दर्ज की गई हैं.

कुल मामलों की संख्या लगभग 200 होने और मामले तीन जिलों - शिवमोग्गा, उत्तर कन्नड़ और चिक्कमगलुरु में केंद्रित होने के कारण, प्लान ऑफ एक्शन पर चर्चा करने के लिए 19 फरवरी को राज्य में एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित की गई.

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया,

“हमने अभी सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ एक बैठक की है ताकि यह देखा जा सके कि हम अच्छी तरह से तैयार हैं और आगे मौतें न हों. हमें इसे कंट्रोल में ला पाएंगे.”

केएफडी (KFD) क्या है? केएफडी एक जूनोटिक संक्रमण है, जो जानवरों, खासकर प्राइमेट्स पर पाए जाने वाले टिक्स के कारण होता है. इस वायरल बीमारी की पहचान पहली बार 1950 के दशक में कर्नाटक के वन क्षेत्रों में की गई थी और तब से इसकी कई वेव आ चुकी हैं.

क्यासानूर वन क्षेत्रों में मनुष्यों और जानवरों के बीच निकट संपर्क के कारण, यह बीमारी हर कुछ वर्षों में पीक पर होती है.

क्या केएफडी घातक है? यह हो सकता है. 8 जनवरी को, कर्नाटक के मणिपाल में कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक 19 वर्षीय लड़की की भी इस बीमारी से मौत हो गई, जो 2024 में केएफडी के कारण मरने वाली पहली व्यक्ति बन गई.

उनकी मृत्यु के बाद, जिला प्रशासन ने कहा था कि केएफडी को कंट्रोल करने का एकमात्र तरीका इफेक्टेड एरिया में रह रही आबादी की निगरानी करना और टीके लगाना है. लेकिन पिछले दो वर्षों से इस क्षेत्र में केएफडी के खिलाफ टीके उपलब्ध नहीं हैं.

क्या उपाय किये जा रहे हैं? कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने जनवरी में रोकथाम के लिए ये उपाय किए थे:

  • निरंतर निगरानी और टेस्टिंग सैंपलिंग

  • एडवाइजरी जारी करने के लिए वन और पशुपालन विभागों के साथ गठजोड़

  • बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना

  • सभी घरों में डायथाइल फिनाइल एसिटामाइड तेल की आपूर्ति, जो कि टिक्स के लिए एक रेपेलेंट है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT