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आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे 'नीरी केएफटी' दवा तैयार की है, जिसके जरिए किडनी (गुर्दे) की बीमारी ठीक की जा सकती है.
‘इंडो-अमेरिकन जर्नल ऑफ फॉर्मास्युटिकल रिसर्च’ में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक पुनर्नवा में गोखुरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा ‘नीरी केएफटी’ गुर्दे में क्रिएटिनिन, यूरिया और प्रोटीन को नियंत्रित करती है.
क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ करने के अलावा ये हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है. नीरी केएफटी के सफल परिणाम भी देखे जा रहे हैं.
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के प्रोफेसर डॉ के.एन. द्विवेदी का कहना है कि रोग की पहचान समय पर हो जाने पर किडनी को बचाया जा सकता है.
कुछ समय पहले बीएचयू में हुए शोध से पता चला है कि किडनी से जुड़ी बीमारियों में नीरी केएफटी कारगार साबित हुई है.
आयुष मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बीते महीने केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय को देशभर में 12,500 हेल्थएंड वेलनेस सेंटर की स्थापना करने की जिम्मेदारी सौंपी है. इन केंद्रों पर आयुष पद्धति के जरिए इलाज किया जाएगा. यहां साल 2021 तक किडनी की न सिर्फ जांच, बल्कि नीरी केएफटी जैसी दवाओं से उपचार भी दिया जाएगा.
उन्होंने ये भी बताया कि गुर्दे की बीमारी की पहचान के लिए होने वाली जांच सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि मरीजों का शुरुआत में ही इलाज हो सके.
एम्स के नेफ्रोलॉजी डिपार्टेमेंट के अध्यक्ष डॉ एस.के. अग्रवाल ने बताया कि ओपीडी में हर दिन 200 किडनी के पेशेंट पहुंच रहे हैं. इनमें से 70 फीसदी मरीजों की किडनी फेल पाई जाती है. उनका डायलिसिस किया जाता है.
डॉ अग्रवाल के मुताबिक किडनी खराब होने पर पेशेंट को हफ्ते में कम से कम दो या तीन बार डायलिसिस देना जरूरी है. देश में सालाना 6 हजार किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. इसलिए लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बेहद जरूरी है.
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Published: 13 Mar 2019,05:34 PM IST