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दुनिया भर की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है ये एक वजह

मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों और कैंसर का रिस्क फैक्टर.

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हमारी खराब लाइफस्टाइल कई कारकों के साथ मिलकर हमें बीमारियों की ओर धकेल देती है.
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हमारी खराब लाइफस्टाइल कई कारकों के साथ मिलकर हमें बीमारियों की ओर धकेल देती है.
(फोटो: iStock)

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आपको पता है, मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों और कैंसर समेत दुनिया भर की बीमारियों की क्या वजह है? वो है हमारी खराब जीवनशैली.

हमारी खराब लाइफस्टाइल कई कारकों के साथ मिलकर हमें बीमारियों की ओर धकेल देती है.

आजकल स्मोकिंग, शराब पीना, फिजिकल एक्टिविटीज में कमी, खानपान की खराब आदतें ही हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं. हमें इन अनहेल्दी चीजों की ऐसी आदत पड़ चुकी है कि अब चाहकर भी इससे निकलना मुश्किल हो गया है.

बढ़ रहे हैं डायबिटीज के मामले

डायबिटीज और स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से कोई अछूता नहीं है. ये खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां सभी के शरीर में घर कर चुकी हैं. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक भारत में 2017 में लगभग 72,946,400 मधुमेह के मामले देखे गए हैं.

ऐसा अनुमान है कि साल 2025 तक डायबिटीज से पीड़ित दुनिया के 30 करोड़ वयस्कों में से तीन-चौथाई गैर-औद्योगिक देशों में होंगे.

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन जैसे देशों में मधुमेह पीड़ित लोगों की संख्या कुल जनसंख्या का एक तिहाई होगी. 

क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, डाइटिशियन और हील योर बॉडी के संस्थापक रजत त्रेहन के मुताबिक हार्वर्ड टीएच चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की दर भारत में सभी भौगोलिक क्षेत्रों और सामाजिक-जनसांख्यिकीय समूहों के मध्यम आयु वर्ग के बुजुर्गों में काफी अधिक है.

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उन्होंने कहा कि शहरीकरण की ओर बढ़ रहे भारतीय समाज में इन दो बीमारियों के भी तेजी से पैर पसारने की आशंका है. आंकड़ों पर गौर करें, तो हम देख सकते हैं कि मधुमेह की व्यापकता का लिंग से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि यह महिलाओं के लिए 6.1 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 6.5 प्रतिशत है.

20 फीसदी महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, जबकि पुरुषों में इसका प्रतिशत 25 है. वहीं बहुत अधिक तनाव से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि नींद न आना, लंबे समय तक सिर दर्द और भूख कम लगना.

ध्यान, आयुर्वेद और प्राकृतिक दवाएं बचाव के काम आ सकती हैं. एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से शरीर को उपचार के लिए कुछ विकल्प उपलब्ध कराए जा सकते हैं.

पौधों पर आधारित उत्पादों और आहार के साथ स्वस्थ आदतों को अपना कर कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है.

(इनपुट: आईएएनएस)

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Published: 01 Jun 2019,03:45 PM IST

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