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ब्रेस्ट कैंसर के सेल्स का पता लगाने में मदद करेगी ये ब्रा

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस इनोवेटिव डिवाइस के लिए नारी शक्ति पुरस्कार दिया गया.

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भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर के काफी मामले सामने आ रहे हैं
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भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर के काफी मामले सामने आ रहे हैं
(फोटो: iStockphoto)

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आज भारत की महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर सबसे बड़ा खतरा बन के उभर रहा है. भारत में 25 साल से लेकर 50 साल तक की महिलाओं में पहले की तुलना में कैंसर के अधिक मामले सामने आ रहे हैं. ये पहले के मुकाबले बहुत अधिक है.

भारत में, कैंसर का बेहतरीन इलाज और देखभाल उपलब्ध है लेकिन अभी भी अच्छे परिणाम के लिए बीमारी की शुरुआत में ही पहचान होना जरूरी है. अफसोस की बात है कि इस बीमारी के बारे में लोगों में बहुत कम जागरूकता है क्योंकि ब्रेस्ट अभी भी एक ऐसा विषय है जिस पर चर्चा नहीं होती है. महिलाएं अपनी जांच कराने के बारे में या तो अनजान है, डरी हुई या शर्मिंदा हैं. इसके परिणामस्वरूप बीमारी का पता अक्सर उस समय लगता है, जब इलाज के विकल्प अधिक सीमित होते हैं.

इन वजहों ने केरल के साइंटिस्टों के एक ग्रुप को एक ऐसी ब्रा का आविष्कार करने के लिए प्रेरित किया, जो ब्रेस्ट में कैंसर की कोशिकाओं का पता लगाने में मदद कर सकता है. सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (C-MET) की त्रिशूर शाखा की एक टीम ने अपने मुख्य जांच अधिकारी के रूप में डॉ. ए सीमा के नेतृत्व में, वियरेबल डिवाइस का आविष्कार किया जो सेंसर से लैस है. यह कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए थर्मल इमेजिंग का उपयोग करता है.

पहनने योग्य डिवाइस सेंसर से लैस है और कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए थर्मल इमेजिंग का उपयोग करता है.(फोटो साभार: C-MET)

डॉ. ए सीमा को हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने इस इनोविटव डिवाइस के लिए प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. द बेटर इंडिया (TBI) को दिए एक इंटरव्यू में डॉ. सीमा ने बताया कि कैसे इस तरह के डिवाइस का आइडिया आया?

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यह आइडिया उस समय आया जब मालाबार कैंसर सेंटर (कन्नूर) के निदेशक ने 2014 में हमसे मुलाकात की थी. एक प्रोजेक्ट में वे हमारे मेडिकल पार्टनर थे. उन्होंने कम्यूनिटी लेवल पर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के तरीकों पर विचार किया. मैमोग्राम गोल्डन स्टैंडर्ड था, लेकिन देश भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी इसका प्रोविजन उपलब्ध नहीं था. उनके दिमाग में एक पोर्टेबल डिवाइस था जिसे कम्यूनिटी लेवल पर लागू किया जा सकता था. इसने हमें थर्मल इमेजिंग के माध्यम से पता लगाने के लिए पहनने योग्य डिवाइस की अवधारणा के लिए प्रेरित किया.
डॉ. ए सीमा को हाल ही मेंभारत के राष्ट्रपति द्वारा इस इनोवेटिव डिवाइस के लिए प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. (फोटो साभार: C-MET)

डॉ. सीमा ने कहा कि डिवाइस सुरक्षित था, किसी भी रेडिएशन का उत्सर्जन नहीं करता था. रेगुलर मैमोग्राम से बहुत अलग था क्योंकि डिवाइस पहनने वाले को कोई दर्द महसूस नहीं होगा. डिवाइस पोर्टेबल है इसलिए इसे फील्ड विजिट के दौरान आसानी से अपने साथ ले जाया जा सकता है,इसके साथ उम्र का भी कोई बंधन नहीं हैं.

यहां तक कि 15 वर्ष या 20 वर्ष की आयु की लड़कियां भी इस डिवाइस का उपयोग कर सकती हैं. ये हर प्रकार शरीर की जरूरत को पूरा करता है. मैमोग्राम के मामले में यह संभव नहीं है, क्योंकि केवल 40 साल से ऊपर की महिलाएं ही जांच करा सकती हैं. हमने उस मुद्दे को भी हल कर दिया है.

डिवाइस की लागत 400-500 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है. प्रोडक्शन बढ़ने के बाद लागत में और कमी हो सकती है. स्तन कैंसर का जल्द पता नहीं लगने और इलाज नहीं होने पर यह गंभीर और जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे डिवाइस इस घातक बीमारी से लड़ने की दिशा में एक बेहतरीन कदम हैं.

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