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जब पूछा जाए, 'क्या आप हर रात सोते हैं?', आप शायद 'हाँ' कहेंगे, लेकिन अगर सवाल हो कि 'क्या आप अपनी नींद से संतुष्ट हैं?', तो आपका उत्तर शायद 'नहीं' में बदल जाएगा.
दुर्भाग्य से, नींद पहली चीज है जिस पर बढ़ते तनाव और काम के दबाव का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
हर रात आप पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, जिससे अगले दिन आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और आगे चल कर यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है.
खैर, नींद न आना या अनिद्रा आज एक प्रमुख लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है, यह हम सब जानते हैं.
लेकिन, असल समस्या तब पैदा होती है, जब नींद में खलल जीवनशैली के अलावा अन्य चीजों के कारण पड़ती है.
इनमें अत्यधिक नींद आना , रात में खराब नींद (जागने के बाद ताजा महसूस नहीं करना) और रात में असामान्य व्यवहार (नींद में बात करना, नींद में चलना, हिंसक कार्य आदि) शामिल हैं.
कभी-कभी नींद की कमी और खर्राटे एक अधिक गंभीर स्थिति का संकेत दे सकते हैं, जैसे कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए), यह एक ऐसी स्थिति है, जिसके कारण नींद के दौरान बार-बार सांस लेना बंद हो जाती है और जो संभावित रूप से हृदय रोग का कारण बन सकता है.
इन कारणों से ओएसए का जल्द से जल्द इलाज करना चाहिए,
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) हर पांच वयस्क पुरुषों में से एक को प्रभावित करता है, और अस्थमा के बाद दूसरी सबसे सामान्य रेस्पिरेटरी कंडीशन है. यह एक बढ़ती लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है, जिसके परिणामस्वरूप ऊपरी वायु मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, जिससे नींद के दौरान सांस कुछ समय के लिए रुक जाती है.
यह सोते समय सांस लेने के तरीके को प्रभावित करता है, और अंट्रीटेड स्लीप एपनिया में श्वास थोड़ी देर के लिए बाधित हो जाती है.
ये सांस रुकने की अवधि आमतौर पर 10 से 20 सेकंड के बीच होती है और यह रात में सैकड़ों बार तक हो सकती है, जो लोगों की प्राकृतिक नींद की लय को तोड़ देती है.
इसके सामान्य लक्षण हैं खर्राटा लेन, बार-बार नींद से जगाना, और कभी भी पूरी रात सो नहीं पाना. कभी-कभी तेज एसिडिटी भी इसका एक सामान्य संकेत होता है.
कम या सही से नहीं सो सकने के कारण दिन में नींद आती है, रीफ्लेक्स धीमे हो जाते हैं, कॉन्सन्ट्रेशन खराब होती है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है.
सिर्फ इतना ही नहीं, ओएसए से डायबिटीज, हाई ब्लड-प्रेशर, हृदय रोग, स्ट्रोक और ओबीसिटी का खतरा बढ़ जाता है.
स्लीप एपनिया, यदि गंभीर नहीं है, तो इसका इलाज, जीवनशैली में बदलाव, जैसे वजन कम करना या स्लीपिंग पोजीशन में बदलाव के साथ किया जा सकता है.
हालांकि, अगर जीवनशैली में बदलाव पर्याप्त न हो, और गंभीर मामलों में, जैसे कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल के दौरे, तो मेडिकल इन्टर्वेन्शन की आवश्यकता हो सकती है.
हालांकि इस बात के अधिक प्रमाण नहीं हैं कि खाद्य पदार्थ सीधे स्लीप एपनिया में मदद कर सकते हैं, कुछ खाद्य पदार्थ निश्चित रूप से स्वस्थ नींद को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं.
इन्हें स्लीपर फूड कहा जाता है. नींद को बढ़ावा देने वाले कम्पाउन्ड, जैसे कि मेलाटोनिन और ट्रिप्टोफैन, वाले खाद्य पदार्थ नियमित रूप से खाने से सोने में मदद मिल सकती है.
मेलाटोनिन से भरे खाद्य पदार्थ चेरी, अनार और अंगूर जैसे फल, मक्का, एस्परागस, ब्रोकोली और खीरा जैसी सब्जियां, चावल, जौ और जई जैसे अनाज और नट और बीज होते हैं.
कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ (डेयरी, तिल, अंजीर) भी शरीर को ट्रिप्टोफैन से मेलाटोनिन बनाने में मदद करते हैं.
स्लीप एपनिया वाले लोगों में आमतौर पर ऊपरी वायु मार्ग में सूजन होती है, इसलिए एक एंटी-इन्फ्लेमेटरी आहार का पालन करने से उनके वायुमार्ग को खुला रखने में मदद मिल सकती है.
इसीलिए फलों और सब्जियों से भरपूर आहार, ओमेगा -3 फैटी एसिड, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वास्थ्यवर्धक फैट वाले खाद्य पदार्थ मदद करते हैं.
लहसुन, शहद, अदरक और हल्दी आम सूजन-रोधी खाद्य पदार्थ हैं. ओमेगा -3 फैटी एसिड शरीर को मेलाटोनिन का उत्पादन करने में भी मदद करता है, जो प्राकृतिक रूप से नींद को बढ़ावा देता है.
उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ खाने से मदद मिलती है, क्योंकि स्लीप एपनिया और मोटापे का सीधा संबंध है.
इसके अलावा, कई फलों और सब्जियों में मेलाटोनिन होता है.
एस्परागस, मक्का, चेरी, अंगूर, ब्रोकोली और खीरा सभी अच्छे विकल्प हैं.
हमारी ओरल कैविटी का सीधा संबंध स्लीप एपनिया से है, इसलिए अधिक मीठा न खाने से ओरल हाइजीन अच्छा रहता है.
म्यूकस पैदा करने वाले सभी खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए. अधिकांश फल स्लीप एपनिया के लक्षणों में सुधार के लिए बहुत अच्छे होते हैं, पर कुछ लोगों में केले म्यूकस के उत्पादन को बढ़ाते हैं.
सोते समय म्यूकस सांस लेने की समस्या को और भी बदतर बना सकता है और स्लीप एपनिया को बढ़ा सकता है.
कुछ लोगों में, हाई फैट वाले डेयरी उत्पाद भी शरीर के म्यूकस उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, इसलिए सावधान रहें.
क्योंकि स्लीप एपनिया और मोटापे का सीधा संबंध है, सही वजन मेनटेन करना ज़रूरी है.
वजन घटाने के लिए जो खाना अच्छा है, वो स्लीप एपनिया के लिए भी अच्छा है.
फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन नींद को बढ़ावा देते हैं, और अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों से परहेज कर के सही वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
रिफाइंड कार्ब्स से बचना चाहिए.
ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें सैचुरेटेड फैट अधिक होता है (मांस, पोर्क, बेकन, लैम्ब, सॉसेज आदि) से बचना चाहिए क्योंकि वे शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. यदि आपको स्लीप एपनिया है, तो यह एक बड़ा जोखिम कारक है.
रिच और स्पाइसी भोजन हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स पैदा कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है.
इसी तरह, कैफीन एक उत्तेजक है, जो आपको जगाए रख सकता है. इसलिए सोने से छह घंटे पहले कैफीन का सेवन बंद कर दें.
उसी प्रकार प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और ट्रांस फैट से बचना चाहिए क्योंकि वे स्लीप एपनिया को बढ़ा सकते हैं.
खर्राटे लेना हमारे शरीर में ऑक्सीजन की कमी का संकेत देता है. व्यायाम रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है और हमारे अंगों में अधिक ऑक्सीजन देता है. एपनिया को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है.
(कविता देवगन दिल्ली में स्थित एक पोषण विशेषज्ञ, वजन प्रबंधन सलाहकार और स्वास्थ्य लेखिका हैं. वह द डोन्ट डाइट प्लान: ए नो-नॉनसेंस गाइड टू वेट लॉस, फिक्स इट विथ फूड, अल्टीमेट ग्रांडमदर हैक्स और डोन्ट डाइट! 50 हैबिट्स ऑफ थिन पीपल, की लेखिका हैं)
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