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मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री पर पहली बार की गई वैश्विक जांच में ये बात सामने आई है कि लाखों मरीजों को ऐसे डिवाइस इंप्लांट किए गए, जिनकी अच्छी तरह से टेस्टिंग नहीं की गई थी. बाजार में जो डिवाइस मिलती हैं, वो कितनी बेहतर हैं, इसे लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है.
इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (ICIJ) के साल भर चले एक इंवेस्टिगेशन में पाया गया कि पिछले दशक 17 लाख चोट या घाव और करीब 83 हजार मौतें गलत मेडिकल इंप्लांट टेस्ट से जुड़ी हो सकती हैं.
ये स्टडी 36 देशों के 250 से अधिक पत्रकारों की मदद से की गई है.
कुछ ऐसे ही मामले इस साल भारत में भी चर्चा में आए, जब मेडिकल उपकरण बनाने वाली जॉनसन एंड जॉनसन पर हजारों मरीजों में गलत तरीके से डिजाइन किए गए हिप इंप्लांट का आरोप लगा. इसकी वजह से मेटर प्वॉजनिंग, सुनाई न देना, दर्द और मौत हो जाने तक की बात सामने आई थी.
भारत में ICIJ ने विजय वोझाला से बात की. मुंबई में रहने वाले विजय पहले हॉस्पिटल उपकरणों के सेल्समैन रह चुके हैं. इससे पहले फिट से बात करते हुए विजय ने अपनी तकलीफों की चर्चा यूं की थी:
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि साल 2014 से मेडिकल डिवाइस से जुड़ी 903 घटनाएं सामने आईं. इनमें से 325 कार्डियक स्टेंट, 145 ऑर्थोपेडिक इंप्लांट, 83 इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस, 58 इंट्रावेनस कैन्यल, 21 कैथेटर और 271 दूसरी मेडिकल उपकरणों से जुड़ी थीं.
गार्जियन के मुताबिक यूके में साल 2015 से 2018 तक ऐसे 62 हजार मामले सामने आए. इनमें 1,004 लोगों की मौत तक हो गई.
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Published: 26 Nov 2018,04:07 PM IST