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पसीने से तर कर देने वाली चुभती गर्मी और दर्दनाक पीरियड्स, ऐसे में मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. गर्मी के मौसम में इंफेक्शन, एलर्जी और रैशेज होने की आशंका भी बढ़ जाती है.
कोलकाता में प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गौतम बेरा कहते हैं, 'गर्मियों में रैसेज या इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है क्योंकि शरीर की गर्मी और पसीना फंगस और बैक्टीरिया का काम आसान बनाते हैं. कुछ अनहाइजिनिक आदतों से भी इंफेक्शन हो सकता है. गंदे पैड्स का इस्तेमाल या सफाई का ख्याल न रखना, टैंपोन को साफ किए बगैर इस्तेमाल करने से बीमारी हो सकती है.
मेंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए आपको क्या करना है? इन 9 टिप्स को फॉलो करना है:
हर 4-6 घंटे में सैनिटरी नैपकिन या मेंस्ट्रुअल टैंपोन को बदलते रहना जरूरी है. जब वजाइना से मेंस्ट्रुअल ब्लड रिलीज होता है, तो कई सूक्ष्मजीवों को आकर्षित करता है, जो इसमें बहुत से तेजी से फलते-फूलते हैं और इरिटेशन, रैशेज या इंफेक्शन की वजह बनते हैं. सैनिटरी नैपकिन या टैंपोन को तय समय पर बदलने से बैक्टीरिया और दूसरे सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ रोकी जा सकती है.
वजाइना और शरीर के दूसरे हिस्सों को रोजाना अच्छी तरह से साफ करना जरूरी है क्योंकि सैनिटरी नैपकिन हटाने के बाद भी सूक्ष्मजीव शरीर में रह सकते हैं. लोग अपने शरीर को रोजाना साफ जरूर करते हैं, लेकिन ये सफाई सही तरीके से नहीं की जाती है. पहले वजाइना को साफ करने के बाद एनस की सफाई की जानी चाहिए न कि एनस के बाद वजाइना की. सफाई के दौरान हाथ एनस से वजाइना की ओर ले जाने से ऑर्गेनिज्म का ट्रांसमिशन हो सकता है, जिससे इंफेक्शन हो सकता है.
ज्यादातर माइक्रोऑर्गेनिज्म्स के बढ़ने के लिए अंडरवियर एक आदर्श जगह होती है, इसलिए इसे रोजाना बदले जाने की जरूरत होती है ताकि इंफेक्शन और किसी बीमारी के खतरे से बचा जा सके.
वजाइनल हाइजीन प्रडोक्ट्स का इस्तेमाल करना अच्छा हो सकता है, लेकिन पीरियड्स के दौरान नहीं. वजाइना का अपना ही क्लिनिंग मैकेनिज्म होता है, जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान एक्टिव हो जाता है. इसलिए केमिकल क्लिनिंग की नैचुरल प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं, जिसके कारण गर्मियों में इंफेक्शन और बैक्टीरियल ग्रोथ का खतरा हो सकता है. इसलिए वजाइनल एरिया को रोजाना गुनगुने पानी से साफ करना हेल्दी रहने का सबसे बढ़िया तरीका होता है.
अच्छी क्वालिटी के सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करना जरूरी है क्योंकि नैपकिन की खराब क्वालिटी से रैशेज और खुजली हो सकती है. यहां तक कि एलर्जी भी हो सकती है.
हर वॉश के बाद वजाइनल एरिया को ड्राइ रखना जरूरी है, नहीं तो इससे फंगल या बैक्टीरियल ग्रोथ हो सकती है, जिससे इरिटेशन हो सकता है. इसके लिए एंटीसेप्टिक पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है.
हर बार इस्तेमाल करने से पहले मेंस्ट्रुअल कप को स्टेरलाइज जरूर करना है. सिर्फ पानी से धुलना या एंटीबैक्टीरियल साबुन से धुलना काफी नहीं है.
सैनिटरी पैड्स या टैंपोन को अच्छे से डिस्पोज करना मेंस्ट्रुअल हाइजीन का एक अहम हिस्सा है. पैड्स को अच्छी तरह से लपेट कर फेंकना चाहिए ताकि बैक्टीरिया न फैलें. पैड्स को फ्लश करना सही नहीं है क्योंकि इससे टॉयलेट ब्लॉक हो सकता है.
हेवी फ्लो के दौरान बेहतर होगा कि ऐसा ही नैपकिन या टैंपोन इस्तेमाल करें जो सारा ब्लड सोख सके या फिर जल्दी चेंज कर लें. एकसाथ दो या दो से अधिक पैड्स का इस्तेमाल करने से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
ये कुछ बातें हैं, जिसे मेंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए ध्यान देने की जरूरत होती है.
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Published: 28 May 2019,07:49 PM IST