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अधेड़ उम्र में शारीरिक और मानसिक तौर पर एक्टिव रहने से आगे चलकर डिमेंशिया होने का खतरा घट सकता है.
इस स्टडी में स्वीडन की 800 महिलाओं को शामिल किया गया, जिनकी औसत आयु 47 साल थी. ये स्टडी 44 साल तक चली.
शुरुआत में इन महिलाओं से उनकी मेंटल और फिजिकल गतिविधियों की जानकारी ली गई.
इन महिलाओं को दो ग्रुप में बांटा गया. एक ग्रुप उन महिलाओं का जो मेंटल और फिजिकल एक्टिविटीज में काफी सक्रिय थीं और दूसरा ग्रुप जो इन गतिविधियों में सक्रिय नहीं थीं.
स्टडी के दौरान 194 महिलाएं डिमेंशिया से पीड़ित हुईं. इनमें से 102 महिलाओं को अल्जाइमर, 27 को वैस्कुलर डिमेंशिया और 41 महिलाएं मिक्स्ड डिमेंशिया से पीड़ित हुईं.
स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ गॉथेनबर्ग की जेना नाजर ने कहा, 'इस स्टडी के नतीजे बताते हैं कि ये एक्टिविटीज बुढ़ापे में डिमेंशिया से बचाने और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को संरक्षित करने में भूमिका निभाती हैं.'
डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश. डॉक्टरों के मुताबिक डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि बीमारियों का लक्षण है. ऐसी बीमारियां जो मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं. जिससे मस्तिष्क के कुछ काम जैसे याददाश्त, किसी की बात समझना, किसी समस्या का हल सोचना, बोलना, ये क्षमताएं क्षीण होती जाती हैं और आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है या सामान्य से कम काम करता है. इस मानसिक क्षीणता की गति धीमी भी हो सकती है या तेज भी हो सकती है.
(इनपुट: पीटीआई)
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