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एक स्टडी में पाया गया कि दिमाग के लिए तैयार खास किस्म की डाइट से डिमेंशिया, अल्जाइमर जैसे दिमाग की क्षति का खतरा घट सकता है. 60 साल और इससे ज्यादा की उम्र के 1,220 पर 12 साल तक की गई स्टडी के नतीजे यही बताते हैं. डिमेंशिया से बचाने वाली ये डाइट है, MIND Diet (मेडिटेरियन-DASH इंटरवेंशन फॉर न्यूरोडिजेनरेटिव डिले डाइट).
Mediterranean-DASH Intervention for Neurodegenerative Delay diet, जिसे आमतौर पर MIND डाइट कहते हैं, दो तरह की डाइट पोर्शन कंबाइन करता है. ये हाइपरटेंशन की रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले DASH डाइट (Dietary Approaches to Stop Hypertension) और मेडिटेरेनियन डाइट को शामिल करता है, लेकिन कुछ बदलावों के साथ.
उदाहरण के तौर पर इसमें मेडिटेरेनियन और DASH डाइट में बताए गए फल, डेयरी या आलू के ज्यादा उपभोग की बात नहीं कही गई है.
अपोलो हॉस्पिटल में चीफ क्लीनिकल डाइटिशियन और न्यूट्रिशन और डाइअटेटिक्स डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ प्रियंका रोहतगी बताती हैं कि आप क्या खाते हैं, इसका काफी गहरा असर दिमाग पर पड़ता है.
क्या किसी तरह की डाइट से संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा किया जा सकता है, इस सवाल पर डॉ रोहतगी कहती हैं कि हां, यहां डाइट बेहद अहम हो जाती है.
हरी पत्तेदार सब्जियों में फोलेट, विटामिन E, कैरोटीनॉयड, फ्लेवोनोइड्स और ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनका संबंध डिमेंशिया और कॉग्निटिव गिरावट के खतरे को कम करने से है. हफ्ते में कम से कम छह बार हरी पत्तेदार सब्जियां खाने को कहा जाता है.
कई स्टडीज में पाया गया है कि भरपूर मात्रा में सब्जियों के सेवन का संबंध संज्ञानात्मक क्षमता की क्षति को धीरे करने से है.
डॉ रोहतगी सब्जियों के चयन पर बताती हैं कि ट्रैफिक लाइट के रंगों वाली सब्जियां शामिल कीजिए. बेहतर होगा कि आप नॉन-स्टार्ची सब्जियां खाएं क्योंकि इनमें कम कैलोरी के साथ पोषक तत्व भरपूर होते हैं.
नट्स विटामिन E के समृद्ध स्रोत हैं. ये जगजाहिर है कि विटामिन E दिमाग के न्यूरोप्रोटेक्शन के लिए अहम है. माइंड डाइट में हर हफ्ते नट्स की कम से कम पांच सर्विंग की सलाह दी जाती है.
बेरीज खाने से मेमोरी और सीखने की क्षमता में सुधार होता है. माइंड डाइट में हर हफ्ते कम से कम दो बार बेरीज लेना शामिल है. डॉ रोहतगी बताती हैं कि बेरीज के एंटीऑक्सिडेंट फायदे हैं.
खाने में हर हफ्ते तीन से चार बार बीन्स लेने की सलाह दी जाती है. इसमें सभी बीन्स, दाल और सोयाबीन शामिल हैं.
माइंड डाइट में हर हफ्ते कम से कम तीन बार साबुत अनाज लेना शामिल है. डॉ प्रियंका रोहतगी अनाज में 50 फीसदी साबुत अनाज लेने को कहती हैं. ये ओटमील, बिना रिफाइंड हुए मोटे अनाज, ब्राउन राइस, गेहूं का पास्ता और ब्रेड हो सकता है.
ऐसा देखा गया है कि हफ्ते में एक बार ही मछली खाने से डिमेंशिया का रिस्क घटता है. सिर्फ इस बात का ख्याल रखना है कि ये फ्राई न की गई हो.
माइंड डाइट के मुताबिक हफ्ते में कम से कम दो बार चिकन या टर्की खाने की कोशिश करनी चाहिए. डॉ रोहतगी इस बात पर जोर देती हैं कि MIND डाइट में फ्राइड चिकन खाने को नहीं कहा जाता है.
डॉ रोहतगी बताती हैं कि खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की अच्छी क्वालिटी के साथ ही उसकी मात्रा भी सही होनी चाहिए.
माइंड डाइट में खाना पकाने के लिए ऑलिव ऑयल का जिक्र होता है.
माइंड डाइट में सीमित मात्रा में वाइन को भी शामिल किया गया है.
माइंड डाइट के मुताबिक आपको ऐसी चीजों का सेवन सीमित करना होता है, जो ब्रेन के लिए अनहेल्दी हैं. डॉ प्रियंका रोहतगी इन चीजों को सीमित करने को कहती हैं:
डॉ रोहतगी बताती हैं कि रिसर्चर्स इन चीजों का सेवन सीमित करने को कहते हैं क्योंकि इनमें सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट होता है. कई स्टडीज में पाया गया है कि ट्रांस फैट्स सभी तरह की बीमारियों, जिसमें दिल की बीमारियां और यहां तक कि अल्जाइमर्स डिजीज, से जुड़े हैं.
डॉ रोहतगी कहती हैं, हेल्दी खाना जीवनभर की आवश्यकता है, इसलिए जो भी इन दिक्कतों से बचना चाहता है, उसे अपनी डाइट पर ध्यान देना चाहिए.
डॉ रोहतगी माइंड डाइट को दो वजहों से खास बताती हैं:
जब अनस्टेबल मॉलिक्यूल्स जिन्हें फ्री रेडिकल्स कहते हैं, बड़ी संख्या में शरीर में जमा होते हैं, तब ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस होता है. इससे अक्सर कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है. इस तरह की क्षति का खतरा दिमाग को ज्यादा होता है. इंफ्लेमेशन किसी संक्रमण और चोट की नैचुरल प्रतिक्रिया है. लेकिन अगर ये ठीक तरीके से रेगुलेट न हो, तो इससे नुकसान भी हो सकता है और कई क्रोनिक डिजीज का कारण बन सकता है.
इंफ्लेमेशन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस एक साथ मस्तिष्क के लिए काफी हानिकारक हो सकता है. मेडिटेरेनियन और DASH डाइट का संबंध ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और इंफ्लेमेशन घटाने से पाया गया है. क्योंकि MIND डाइट इन दोनों डाइट से तैयार की गई है, इसलिए इसके एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव हैं.
बीटा एम्लॉयड प्रोटीन नैचुरली शरीर में पाए जाते हैं. लेकिन, ये इकट्ठे होकर प्लेक बनाते हैं, जो ब्रेन सेल्स के आपसी कम्यूनिकेशन को नुकसान पहुंचाते हैं और आखिरकर दिमाग की कोशिकाएं नष्ट होती हैं. कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यही प्लेक अल्जाइमर का पहला कारण है.
डॉ रोहतगी कहती हैं कि माइंड डाइट को डिमेंशिया से बचाव और उम्र के साथ ब्रेन फंक्शन में जो कमी आ सकती है, उससे बचाव के लिए तैयार किया गया था. कुछ रिसर्च कहते हैं कि माइंड डाइट को फॉलो करने से अल्जाइमर का रिस्क घट सकता है, हालांकि इस डाइट के प्रभाव को समझने के लिए और रिसर्च की जरूरत है. भविष्य में इसके और फायदे भी सामने आ सकते हैं.
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Published: 25 Mar 2019,04:52 PM IST