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''बस अपना निप्पल बच्चे के मुंह में डालो, यह बहुत ही आसान है''. ''कुछ गड़बड़ नहीं होगा, तुम्हें बस अपने बच्चे को दूध पिलाने की जरूरत है!” ''जब भी बच्चा रोए तो उसे बस स्तनपान करा दो!''
अगर आप नई मां हैं, आपको कई लोगों ने इसी तरह स्तनपान पर न जाने कितनी सलाह दी होगी. जिनमें कुछ आपको अच्छी, कुछ अव्यावहारिक और कुछ बेहद ही बेतुकी लगी होंगी!
नई मांओं को अमूमन स्तनपान कराने में समस्या आती है. सही तरीका न पता होने के कारण दूध होने पर भी बच्चा उसे पी नहीं पाता या फिर मां असहज स्थिति में बच्चे को दूध पिलाती है.
लेकिन, आपकी इस समस्या का समाधान अब हमारे पास है. 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाए जाने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह पर क्विंट आपके लिए ऐसे सवालों की लिस्ट लाया है, जो अक्सर नई मम्मियों के दिमाग में आते हैं. उनका जवाब दे रही हैं निओनेटोलॉजिस्ट (नवजात शिशुओं की देखभाल करने वाले डॉक्टर).
यहां इंद्रप्रस्थ अपोलो में सीनियर निओनेटोलॉजिस्ट विद्या गुप्ता सवालों का जवाब दे रही हैं:
स्तनपान क्यों जरूरी है?
स्तनपान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए बेहतरीन खाना है. मां के दूध में ऐसे कई फायदे हैं, जो किसी भी फॉर्मूले से बने बाहरी दूध में नहीं मिल सकते. ये जरूरी है कि हर मां अपने बच्चे को जन्म के बाद जल्द ही स्तनपान कराने लगे ताकि पूरी प्रक्रिया जल्द शुरू हो सके और बच्चे को पर्याप्त दूध मिले.
क्या स्तनपान से कैंसर का खतरा कम होता है?
अगर आप स्तनपान कराती हैं, तो इसका कतई ये मतलब नहीं है कि आपको स्तन कैंसर नहीं हो सकता. यह पूरी तरह से एक भ्रम है!
एक मां को किस-किस समय पर स्तनपान कराना चाहिए?
मां को बच्चे के मांगने पर दूध पिलाना चाहिए. अगर बच्चा रो रहा है, वो भूखा लग रहा है, अगर बच्चा डायपर बदलने पर भी असहज बना हुआ है, यहां तक कि गोद में लेने या गले लगाने पर भी रो रहा है- तब बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए. शुरुआती हफ्तों में, बच्चे को हर दिन एक से दो घंटे स्तनपान कराने की जरूरत होती है. धीरे-धीरे इस अंतर को तीन घंटा करें.
बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क ज्यादा मिले इसके लिए क्या करें?
सबसे पहला काम जो आपको करना है, वो है आराम. इसलिए इस बात की चिंता न करें कि आप स्तनपान करा पा रही हैं या नहीं. दूसरा, ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें ताकि दूध बनाने के लिए आपके शरीर में पर्याप्त पानी बना रहे. तीसरा, सामान्य डाइट लें. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, बच्चे को थोड़े-थोड़े समय पर फीड कराते रहें. ब्रेस्ट जितना ज्यादा खाली होगा उतना ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क बनेगा.
ब्रेस्ट पंप्स का इस्तेमाल करना क्या सुरक्षित है?
ब्रेस्ट पंप्स उपयोगी और सुविधाजनक होते हैं. बस समस्या तब होती है, जब बच्चा शुरुआती कुछ हफ्तों में बोतल और ब्रेस्ट के बीच उलझन में पड़ जाता है. बोतल और ब्रेस्ट से दूध पीने का तरीका पूरी तरह अलग है और बच्चे को इससे उलझन हो जाती है.
ब्रेस्ट मिल्क को फ्रिज में रखना क्या सही है?
दूध को ठंडा करने से ब्रेस्ट मिल्क के पोषण या प्रतिरक्षात्मक फायदों में किसी तरह का बदलाव नहीं आता है. हालांकि, उबालने से उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. इस बात का ख्याल रखें कि जब भी आप दूध को स्टोर करें, तो उसे 24 घंटे के लिए फ्रिज में रखें. आप इसे 2-6 हफ्तों तक फ्रिज में रख सकते हैं. लेकिन, बच्चे को ठंडा दूध न पिलाएं. दूध पिलाने से पहले ठंडक को धीरे-धीरे कम होने दें और उसे हल्का गर्म कर लें.
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Published: 03 Aug 2017,05:53 AM IST