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केरल सरकार की ओर से राज्य में एक निपाह वायरस पॉजिटिव केस की पुष्टि की गई है. कोच्चि के एर्नाकुलम में एक प्राइवेट अस्पताल में 30 मई को भर्ती हुए एक 23 साल का युवक निपाह वायरस से संक्रमित है.
पिछले साल भी निपाह वायरस के प्रकोप ने पूरे देश को चिंतित कर दिया था. लेकिन क्या हमें वाकई घबराने की जरूरत है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.
सबसे पहले 1998 में मलेशिया के एक गांव 'सांगुई निपाह' में इस वायरस का पता चला और ये नाम इसे वहीं से मिला. इस बीमारी के चपेट में आने की पहली घटना तब हुई जब मलेशिया के खेतों में सूअर फ्रूट बैट (चमगादड़ की एक प्रजाति) के संपर्क में आए. ये जंगलों की कटाई की वजह से अपना घर गंवा चुके थे. खेतों तक पहुंच गए थे.
NiV प्राकृतिक रूप से टेरोपस जीनस के फ्रूट बैट में पाया जाता है.
हमारे इको सिस्टम में लाखों फ्रूट बैट हैं- वे हमारे सर्वाइवल के लिए महत्वपूर्ण हैं. इंसानों और चमगादड़ों में बहुत सी एक जैसी आम बीमारियां होती हैं. सूअरों में भी इंसानों जैसी बीमारियां होती हैं. इसलिए जब इनके हैबिटैट को नुकसान पहुंचाया जाता है तो इनसे बीमारियों के इंसानों तक पहुंचने की संभावना अधिक होती है.
हेल्थ वर्कर्स को खास तौर पर ऐहतियात बरतने की जरूरत है. अगर आप ऐसे इलाके में हैं जहां इस वायरस का असर है तो अपने आसपास सफाई रखें और जागरुकता फैलाएं.
चिंता करना जरूरी है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. सुरक्षित रहें.
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