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Nipah Outbreak In Kerala: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने पुष्टि की कि केरल के कोझिकोड में दो लोगों की मौत निपाह वायरस से हुई है. दो मौतें, जिनके बारे में पहले वायरस से जुड़ा होने का संदेह था, एक-दूसरे से केवल दो सप्ताह के अंतर पर हुई है.
राज्य सरकार उन व्यक्तियों का पता लगा रही है, जो संदिग्ध निपाह रोगियों के साथ हाई रिस्क वाले संपर्क में रहे हैं। अब तक कम से कम 75 लोग संपर्क सूची में हैं. अधिकारियों ने कोझिकोड में वायरस के लिए हेल्थ अलर्ट भी जारी किया है.
क्या है निपाह वायरस इन्फेक्शन? कैसे फैलता है? इसके लक्षण क्या हैं? निपाह वायरस से बचने के उपाय क्या हैं? निपाह वायरस पर क्या है WHO का कहना? निपाह वायरस इन्फेक्शन होने पर क्या करें? जानते हैं एक्सपर्ट्स से.
क्या हुआ था:
दोनों मृतक पुरुष थे और दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं था.
मरीजों को तेज बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन मेडिकल स्टाफ को कथित तौर पर निपाह वायरस के लक्षणों का संदेह था.
भर्ती होने के कुछ ही दिन बाद मरीज की मौत हो गई.
उनके शरीर के तरल पदार्थ के नमूने आगे टेस्ट के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में भेजे गए हैं.
मृतकों में से एक (3 बच्चों सहित) के रिश्तेदार जो उनके निकट संपर्क में आए थे, उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज किया जा रहा है. डॉक्टर स्थिति नजर बनाए हुए हैं.
कोझिकोड जिले में 2018 और 2021 में भी निपाह वायरस से मौत दर्ज की गई थीं. निपाह वायरस का पहला मामला 19 मई 2018 को कोझिकोड में सामने आया था. उस समय इसकी वजह से 17 लोगों की जान गई थी.
WHO के अनुसार, निपाह वायरस तेजी से उभरता हुआ वायरस है. इसकी वजह से जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा हो सकती है. निपाह वायरस (NiV) के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था. वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस समय इस बीमारी के वाहक (carrier) सूअर बनते थे.
लक्षणों में शामिल हैं:
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
खांसी/गले में खराश
ड्रॉसिनेस
दौरे
कॉमा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस इन्फेक्शन को जूनोटिक बीमारी के रूप में कैटेगोराइज्ड किया गया है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है. इसके अलावा, यह दूषित भोजन या सीधे व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. जो व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित होते हैं, उनमें यह अलग-अलग तरह की हेल्थ प्रॉब्लमस को जन्म दे सकता है.
डॉ. निखिल कुलकर्णी फिट हिंदी से आगे कहते हैं, जानवरों के माध्यम से ट्रांसमिशन कंट्रोल करने के उपाय किए जा सकते हैं. व्यक्ति अच्छी हाइजीन का पालन कर सकता है और उचित इन्फेक्शन कंट्रोल पालिसी को इंप्लीमेंट कर सकता है"
इन्फेक्शन से बचाव के लिए नियमित तरीकों से हाथ धोना, मास्क पहनना और अच्छे से पकाने की सलाह दी जाती है.
निपाह वायरस के मरीज के संपर्क में आए व्यक्तियों को आइसोलेट किया जाना चाहिए. खास कर अगर मरीज की मृत्यु हो गई हो तो. साथ ही शुरुआत लक्षण जैसे की बुखार, खांसी, सर्दी, सर में दर्द की शिकायत कर रहे व्यक्ति को भी आइसोलेट किया जाना चाहिए.
एक्सपर्ट्स ने बताया कि इस वायरस से संक्रमित होने पर ब्रेन में इन्फेक्शन हो सकता है. ऐसे में दौरे पड़ सकते हैं, इंसान बेहोश हो सकता है और बाद में उसको सांस लेने में भी दिक्कत आ सकती है. ऐसी स्थिति में ICU में भर्ती किया जाता है.
निपाह वायरस एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, इसलिए सभी को इसके खिलाफ जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है और संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
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