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वीडियो | NIPAH वायरस के फैलने के क्या हैं कारण, क्या है बचाव

निपाह वायरस, जिसने केरल में फैलाया डर  

रोशीना ज़ेहरा
फिट
Updated:
क्या हमें सच में निपाह वायरस से घबराने की जरूरत है?
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क्या हमें सच में निपाह वायरस से घबराने की जरूरत है?
(फोटो: द क्विंट)

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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2 जून को, केरल में एर्नाकुलम जिले से निपाह वायरस का एक संदिग्ध मामला सामने आया था. मरीज की उम्र 23 साल है जिसे दूसरे मरीजों से अलग कर दिया गया था. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केके शिलाजा ने कहा है कि वे लक्षणों की पुष्टि करने के लिए दूसरे टेस्ट के रिजल्ट्स आने का इंतेजार कर रहे हैं.

इससे पहले पिछले साल, निपाह वायरस के प्रकोप ने पूरे देश को चिंतित कर दिया था. लेकिन क्या हमें वाकई घबराने की जरूरत है?

आइए जानते हैं क्या है ये निपाह वायरस.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.

सबसे पहले 1998 में मलेशिया के एक गांव 'सांगुई निपाह' में इस वायरस का पता चला और ये नाम इसे वहीं से मिला. इस बीमारी के चपेट में आने की पहली घटना तब हुई जब मलेशिया के खेतों में सूअर फ्रूट बैट (चमगादड़ की एक प्रजाति) के संपर्क में आए. ये जंगलों की कटाई की वजह से अपना घर गंवा चुके थे. खेतों तक पहुंच गए थे.

NiV प्राकृतिक रूप से टेरोपस जीनस के फ्रूट बैट में पाया जाता है.

हमारे इको सिस्टम में लाखों फ्रूट बैट हैं- वे हमारे सर्वाइवल के लिए महत्वपूर्ण हैं. इंसानों और चमगादड़ों में बहुत सी एक जैसी आम बीमारियां होती हैं. सूअरों में भी इंसानों जैसी बीमारियां होती हैं. इसलिए जब इनके हैबिटैट को नुकसान पहुंचाया जाता है तो इनसे बीमारियों के इंसानों तक पहुंचने की संभावना अधिक होती है.

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वो जो निपाह वायरस के बारे में आपको जानने की जरूरत है

  • इंसानों में इस वायरस इंफेक्शन से बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना, मेंटल कंफ्यूजन और कोमा जैसे लक्षण होते हैं. मौत की आशंका 50 से 70% होती है.
  • किसी अन्य वायरस की तरह, निपाह के लिए कोई खास इलाज उपलब्ध नहीं है. इसके लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है; इसलिए बचाव ही एक तरीका है.
  • ये महामारी भविष्य में देश के बाकी हिस्सो में भी फैल सकता है.
  • इंसान से इंसान में ये बीमारी फैलने से ज्यादा समय तक नहीं टिकता.

क्या करें

  • साफ-सफाई का खास खयाल रखें.
  • शुरूआती लक्षण दिखते ही डाॅक्टर से संपर्क करें.
  • बीमारी पकड़ में आने पर मरीज को बिल्कुल अलग रखें, और उनका पूरा साथ दें.

क्या न करें

  • संक्रमित इलाकों में पोर्क न खाएं. खजूर का रस पीना भी अवॉइड करें.
  • सूअर और चमगादड़ों का सामना करने से बचें.
  • संक्रमित इलाकों में फल खाने से बचें.

हेल्थ वर्कर्स को खास तौर पर ऐहतियात बरतने की जरूरत है. अगर आप ऐसे इलाके में हैं जहां इस वायरस का असर है तो अपने आसपास सफाई रखें और जागरुकता फैलाएं.

चिंता करना जरूरी है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं. सुरक्षित रहें.

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Published: 24 May 2018,07:18 PM IST

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