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खाने की चीजें एल्युमिनियम फॉयल, प्लास्टिक या प्लास्टिक के डब्बों में पैक करना एक तरह से हमारी आदत बन चुकी है. क्या आप ध्यान देते हैं कि कितनी बार आपको गर्म चीजें प्लास्टिक की प्लेटों में सर्व की जाती हैं? आप एल्युमिनियम फॉयल का कितना ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं?
पानी के लिए भी रुजुता प्लास्टिक की बजाए स्टील, मिट्टी, कांसे या तांबे की बोतल यूज करने को कहती हैं.
रुजुता बताती हैं, हमारी कोशिश होती है कि हम जो खाना बनाएं, वो पोषक तत्वों से भरपूर हो. ऐसे में हम नहीं चाहेंगे कि उन्हें ऐसी चीजों में पैक किया जाए, जो किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाती हों.
प्लास्टिक से जीनो एस्ट्रोजन नाम के खतरनाक रसायन निकलते हैं, जिससे हार्मोनल गड़बड़ी होती है. खासकर बच्चों के ग्रोथ में बाधा आती है.
मैक्स हेल्थकेयर में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया इस आर्टिकल में लिखते हैं कि सुरक्षित प्लास्टिक जैसी कोई चीज नहीं है.
रुजुता इस बात पर जोर देती हैं कि फूड पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल अनहेल्दी है. सिर्फ सस्ता होने के नाते इसका प्रयोग किया जाता है.
एल्युमिनियम फॉयल का सालों से इस्तेमाल होता आ रहा है और आज हर किचन में एल्युमिनियम फॉयल रखा मिल जाएगा. सिर्फ खाने की पैकिंग के लिए ही नहीं बल्कि इसका इस्तेमाल खाना कुक करने में भी होता है. लेकिन एक्सपर्ट्स एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल बंद करने की सलाह देते हैं.
कई स्टडी में बताया जा चुका है कि हाई एल्युमिनियम इनटेक अल्जाइमर की वजह बन सकता है. रोजाना एल्युमिनियम फॉयल के इस्तेमाल से ब्रेन सेल्स की ग्रोथ रेट घटती है.
एल्युमिनियम फॉयल में कुकिंग से आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक डैमेज हो सकता है.
मार्च 2012 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इलेक्ट्रोकेमिकल साइंस की एक स्टडी में बताया गया था कि एल्युमिनियम फॉयल में खाना पकाने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं.
रुजुता के मुताबिक प्लास्टिक और एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल बंद करना हमारी सेहत के लिए बहुत बेहतर होगा.
इसके अलावा आप जानते ही हैं कि प्लास्टिक को न कहकर आप पर्यावरण की रक्षा के लिए कितना अहम काम कर सकते हैं.
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