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भारत में बीएमसी पब्लिक हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थागत डिलीवरी में वृद्धि के साथ सिजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) के जरिए बच्चों के जन्म में भी बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में 22,111 बच्चों के जन्म का विश्लेषण दिया गया. इसमें सरकारी अस्पतालों में 49.2%, प्राइवेट हॉस्पिटलों में 31.9% और घर पर 18.9% बच्चों का जन्म हुआ.
सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में सिजेरियन के जरिए बच्चों का जन्म क्रमशः 13.7% और 37.9% था. ये निष्कर्ष बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्र की तुलना में सिजेरियन के जरिए बच्चों का जन्म प्राइवेट हॉस्पिटलों में लगभग तीन गुना अधिक है.
सिजेरियन या सर्जरी के जरिए बच्चों का जन्म, जो विशेष रूप से प्राइवेट हॉस्पिटलों में अधिक है, न सिर्फ खर्च बढ़ाता है बल्कि महिलाओं के लिए अनावश्यक जोखिम भी पैदा करता है. (जब सी-सेक्शन सर्जरी की आवश्यकता के लिए कोई संकेत नहीं होते हैं).
नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन जन्म में इतना अंतर इसलिए है क्योंकि ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान उनके लिए उपलब्ध विकल्पों से अनजान हैं.
इस गलतफहमी को दूर किया जाना चाहिए क्योंकि यह सभी मामलों में सच नहीं हो सकता है.
भारत में महिलाओं को उन विकल्पों के बारे में शिक्षित होना चाहिए, जहां मां यह मूल्यांकन कर सके कि क्या वह सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी के बाद सामान्य प्रसव (Vaginal birth after C-section या VBAC) के योग्य है. VBAC को TOLAC (Trial of Labor after Cesarean) भी कहते हैं.
यहां तक कि उनके पतियों को भी इसके बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि वे भी निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं.
आज, मां और बच्चे दोनों के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प चुनने के लिए महिलाएं और उनके डॉक्टर एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं. सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी का फैसला कई चीजों पर निर्भर करता है.
कुछ ऐसे सवाल जो कि ज्यादातर भारतीय महिलाओं को परेशान करते हैं:
ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी कराने के फील्ड में एक्सपर्ट स्त्रीरोग विशेषज्ञ से परामर्श और बेस्ट मेडिकल सर्विस बहुत जरूरी है.
हॉस्पिटल का चुनाव करते वक्त मां को एक्सपर्ट डॉक्टर्स और सबसे बेहतर सुविधाओं का ध्यान जरूर रखना चाहिए क्योंकि सभी हॉस्पिटल इसकी मंजूरी नहीं देते या इसके लिए विशेषज्ञता नहीं रखते.
गर्भाशय को नुकसान पहुंचने की आशंका- इसलिए इस तरह के रोगियों की अधिक निगरानी की जरूरत होती है.
वीबीएसी के दौरान मां बनने की सही उम्र, वजन, हाइट को बनाए रखने की जरूरत है, जो कि अधिक महिलाएं अस्वस्थ लाइफस्टाइल के कारण मेंटेन नहीं कर पाती हैं.
1. बीएमआई 30 या इससे कम होना चाहिए.
2. 35 या इससे अधिक उम्र की महिलाएं, जो वीबीएसी का चुनाव करती हैं, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
प्रसव के तरीके को चुनने से पहले गर्भवती महिलाओं के लिए सरकारी या प्राइवेट स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए पर्याप्त जागरुकता सुनिश्चित की जानी चाहिए.
हमें मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना है कि सी-सेक्शन मेडिकल जरूरतों के आधार पर किया जाए न कि हेल्थ केयर सुविधा के लिए.
(डॉ जयश्री गजराज चेन्नई के मदरहुड हॉस्पिटल में वरिष्ठ सलाहकार, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं.)
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Published: 04 Jan 2019,01:37 PM IST