मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गंदे दांतों की वजह से भी हो सकता है मुंह का कैंसर

गंदे दांतों की वजह से भी हो सकता है मुंह का कैंसर

दांतों की ठीक से सफाई न होने के कारण भी मुंह के कैंसर का जोखिम रहता है.

आईएएनएस
फिट
Updated:
दांतों की ठीक से सफाई न होने के कारण भी मुंह के कैंसर का जोखिम रहता है.
i
दांतों की ठीक से सफाई न होने के कारण भी मुंह के कैंसर का जोखिम रहता है.
(फोटो:iStock)

advertisement

भारत में पिछले छह साल में होंठ और मुंह के कैंसर के मामले दोगुने से अधिक हो गए हैं. हम जानते हैं कि मुंह का कैंसर होने की वजह एक बड़ी वजह तंबाकू है, लेकिन इसके अलावा दांतों की ठीक से सफाई न होने के कारण भी मुंह के कैंसर का जोखिम रहता है.

देश में लगभग 4 से 5 प्रतिशत लोग दांतों की सफाई के मामले में लापरवाही बरतते हैं. मुंह की अंदरूनी त्वचा में लगातार जलन रहने या दांतों के बीच सफाई न होने की वजह से जीभ का कैंसर भी हो सकता है.

इसलिए दांतों की सफाई, खराब या टूटे हुए दांत और टेढ़े-मेढ़ें दांतों की ओर ध्यान देना जरूरी है.

तंबाकू से मुंह के कैंसर का खतरा

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ के.के. अग्रवाल कहते हैं कि तंबाकू खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस जैसे घाव हो सकते हैं, जो तंबाकू का सेवन करने वाले को मुंह के कैंसर के जोखिम में डाल सकते हैं. इसके अलावा तंबाकू से मुंह में दूसरे इंफेक्शन भी हो सकते हैं.

भारत में, धूम्र-रहित तंबाकू (एसएलटी) का उपयोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों का प्रमुख कारण बना हुआ है. इसमें ओरल कैविटी (मुंह), एसोफेगस (भोजन नली) और पैंक्रियाज का कैंसर शामिल है. एसएलटी न केवल सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, बल्कि भारी आर्थिक बोझ का कारण भी बनता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ओरल कैंसर के रिस्क फैक्टर

डॉ अग्रवाल के मुताबिक तंबाकू के अलावा ओरल कैंसर के कुछ दूसरे रिस्क फैक्टर भी हैं:

  • कमजोर इम्यूनिटी
  • ओरल या दूसरे कैंसर की फैमिली हिस्ट्री
  • ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) का इंफेक्शन
  • लंबे समय तक धूप में रहना
  • उम्र
  • मुंह की स्वच्छता में कमी
  • खराब आहार या पोषण
सुपारी के साथ स्मोकलेस तंबाकू या गुटखा का इस्तेमाल करना भारत में आम बात है. सुपारी को क्लास वन कार्सिनोजेनिक या कैंसरकारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, साथ ही सेहत पर इसके दूसरे कई प्रतिकूल प्रभाव भी होते हैं.
डॉ के.के अग्रवाल

ओरल कैंसर से बचाव के उपाय

  • तंबाकू का उपयोग न करें, अगर करते हैं, तो इस आदत को छोड़ने के लिए तुरंत कदम उठाएं.
  • शराब का सेवन सीमित मात्रा में ही करें.
  • धूप में लंबे समय तक न रहें, धूप में जाने से पहले 30 या उससे अधिक एसपीएफ वाले लिप बाम का उपयोग करें.
  • जंक और प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचें या इसे सीमित करते हुए, बहुत सारे ताजे फल और सब्जियों सहित हेल्दी फूड खाएं.
  • शॉर्ट-एक्टिंग निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी जैसे कि लोजेंज, निकोटीन गम आदि लेने की कोशिश करें.
  • उन ट्रिगर्स को पहचानें, जो आपको धूम्रपान करने के लिए उकसाते हैं, इनसे बचने या इनके विकल्प अपनाने की योजना बनाएं.
  • तंबाकू की बजाय शुगरलैस गम, हार्ड कैंडी, कच्ची गाजर, अजवाइन, नट्स या सूरजमुखी के बीज चबाएं.
  • सक्रिय रहें, शारीरिक गतिविधि को तेज रखने के लिए बार-बार सीढ़ियों से ऊपर-नीचे जाएं, ताकि तंबाकू की तलब से बच सकें.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 14 May 2019,03:06 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT