advertisement
अंगदान को जीवनदान और जीवनदान को महादान कहा गया है. इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है कि आपके जाने के बाद आपके शरीर का कोई अंग किसी की जिंदगी बचा सके.
देश में ऐसे हजारों मरीज हैं, जो किसी न किसी अंग के खराब होने के कारण जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं.
विश्व अंगदान दिवस के मौके पर हम आपको बता रहे हैं अंगदान से जुड़ी जरूरी बातें और संभावित ऑर्गन डोनर बनने के लिए आप क्या कर सकते हैं.
जब इंसान के शरीर का कोई अंग काम करना बंद कर दे और उस अंग को ट्रांसप्लांट करने का ऑप्शन हो, तो किसी के द्वारा अंग दान की जरूरत पड़ती है. किसी दूसरे को अपना अंग देना ऑर्गन डोनेशन कहलाता है. जैसे किसी की किडनी फेल हो गई हो, तो किडनी डोनेशन से किडनी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.
अंगदान में शरीर का कोई अंग या ऊतकों का दान दोनों शामिल होता है.
अंगों में लिवर, किडनी, पैंक्रियाज, दिल, फेफड़े और आंत डोनेट किए जा सकते हैं. ऊतकों में कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, हार्ट वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और टेंडन का दान किया जा सकता है.
अंग दान करने वाला डोनर कहलाता है. डोनर लिविंग या डेड हो सकता है.
जीवित डोनर का ऑर्गन डोनेशन- कोई इंसान जिंदा रहने के दौरान ही अपनी एक किडनी दान कर सकता है, पैंक्रियाज और लिवर का कुछ हिस्सा डोनेट कर सकता है. लिविंग डोनर के मामले में किडनी या लिवर का दान ज्यादातर करीबी रिश्तेदारों में ही मुमकिन हो पाता है. फेफड़े के एक छोटे हिस्से को भी दान देना संभव है और बहुत कम मामलों में छोटी आंत का हिस्सा भी दान किया जा सकता है.
डेड डोनर का ऑर्गन डोनेशन- एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके अंगों और ऊतकों का दान किया जा सकता है.
साथ ही ब्रेन डेथ अगर हॉस्पिटल में हुई हो, तभी अंगों का दान संभव है क्योंकि हॉस्पिटल में ही शरीर को वेंटिलेटर पर रखा जा सकता है.
अगर आप भी संभावित अंगदाता (Potential Organ Donor) बनना चाहते हैं, तो ये बिल्कुल मुमकिन है.
1. आप किसी भी ऑर्गन डोनेशन एजेंसी के जरिए डोनर फॉर्म भर सकते हैं.
अपने अंग डोनेट करने की इच्छा का रजिस्ट्रेशन आप www.notto.nic.in वेबसाइट पर अंगदान की शपथ लेकर करा सकते हैं. आप www.organindia.org पर ऑनलाइन फॉर्म भी भर सकते हैं. दो हफ्तों के अंदर आपका डोनर कार्ड ऑर्गन इंडिया की ओर से भेज दिया जाएगा.
2. आपको डोनर कार्ड हमेशा अपने साथ रखना होगा और इसके साथ ही अपने परिवार और दोस्तों को ये बताना होगा कि आप ऑर्गन डोनेट करना चाहते हैं.
3. भारत में कानूनी रूप से आपके परिजन ही तय करते हैं कि आपके अंगों का दान करना है या नहीं, भले ही आपने अपना ऑर्गन डोनेट करने का कार्ड बनवा रखा हो.
4. इसलिए जब आप एक अंग दाता होने के लिए कहीं भी रजिस्ट्रेशन कराते हैं, तो ये बहुत जरूरी है कि आप अपने परिवार के साथ अपने अंग दान करने की इच्छा पर चर्चा करें.
मेडिकल रिसर्च और एजुकेशन के उद्देश्य से मृत्यु के बाद आपकी पूरी बॉडी डोनेट की जा सकती है, इसे देह दान कहते हैं. मेडिकल स्टूडेंट और रिसर्चर्स के लिए इंसानी शरीर की समझ विकसित करने और विज्ञान की प्रगति के लिए देह दान जरूरी होता है.
आपकी मौत के बाद आपकी फैमिली या नजदीकी रिश्तेदार को ही बॉडी डोनेट करने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसलिए जरूरी है कि आपके फैसले में वो भी शामिल हों, उन्हें आपकी इच्छा के बारे में पता हो.
ऑर्गन डोनेशन को लेकर भारत में जागरुकता लाए जाने की जरूरत है क्योंकि जानकारी की कमी, कई सामाजिक मिथ और भ्रांतियों के कारण अंगदान के मामले में भारत काफी पिछड़ा हुआ है.
(इनपुट: ऑर्गन इंडिया, NOTTO)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 13 Aug 2019,11:11 AM IST