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अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या अंतर है?

जानिए क्या किया जाए, ताकि आपको हड्डियों से जुड़ी कोई बीमारी न हो.

आईएएनएस
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ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका असर हमारी हड्डियों पर पड़ता है.
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ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका असर हमारी हड्डियों पर पड़ता है.
(फोटो: iStock)

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हड्डियों का कमजोर होना उम्र से जुड़ी एक प्रक्रिया है, आमतौर पर 50 से 60 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, ज्यादातर लोगों को इस वजह से जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

हड्डियों के कमजोर होने के कारण हड्डियों से जुड़ी कई बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका असर हमारी हड्डियों पर पड़ता है, लेकिन अक्सर लोग इनके बीच का अंतर नहीं समझ पाते.

अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस में अंतर

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में ऑथोपेडिक्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉ यश गुलाटी ने अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी की बीमारियों के बीच अंतर बताया.

अर्थराइटिस में तकरीबन 100 तरह की हड्डियों की बीमारियां शामिल हैं. अर्थराइटिस के कारण होने वाला दर्द हल्का या बहुत तेज हो सकता है. जोड़ों में अकड़न, सूजन और चलने-फिरने में परेशानी अर्थराइटिस के लक्षण हैं. वहीं ऑस्टियोपोरोसिस में समय के साथ हड्डियों की डेंसिटी (घनत्व) कम हो जाती है. हड्डियों के ऊतक नियम से नए होते रहते हैं. यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है, तो हड्डियां कमजोर हो जाती है और इनमें फ्रैक्चर की आशंका बढ़ जाती है.
डॉ यश गुलाटी

डॉ यश गुलाटी ने कहा, "ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण बहुत हल्के या बहुत गंभीर हो सकते हैं. इसके कारण कभी-कभी व्यक्ति की लंबाई भी कम हो जाती है. गर्दन या पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना इसका आम लक्षण है."

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महिलाओं को ज्यादा खतरा क्यों?

पुरुषों और महिलाओं पर इसके पड़ने वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा, "50-55 साल की उम्र तक पुरुषों में इसकी आशंका अधिक होती है. लेकिन मेनोपॉज के बाद महिलाओं में इन बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है. महिलाओं का हॉर्मोन एस्ट्रोजन हड्डियों के कार्टिलेज को सुरक्षित रखता है और हड्डियों में होने वाली टूट-फूट की मरम्मत करता रहता है. मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है."

ये भी पाया गया है कि प्रदूषण के कारण हड्डियों के कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है. बुजुर्ग, जो वाहनों और उद्योगों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं, उनमें हड्डियों की बीमारियां और फ्रैक्चर का खतरा होता है. इसलिए अपने आप को वायु प्रदूषण से सुरक्षित रखें.

हड्डियों की बीमारियों से बचने के लिए क्या करें?

डाइट में कैल्शियम से भरपूर चीजों को शामिल करें(फोटो: iStock\फिट)
इसके लिए पोषण और संतुलित आहार से बेहतर कुछ नहीं है. अपने आहार में कैल्शियम से भरपूर चीजों को शामिल करें. डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, योगर्ट, चीज और हरी सब्जियों जैसे पालक, ब्रॉकली में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए बहुत जरूरी है. अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है, तो कैल्शियम युक्त आहार लेने का भी कोई फायदा नहीं क्योंकि विटामिन डी न होने के कारण शरीर कैल्शियम को अवशोषित नहीं कर पाएगा.
डॉ यश गुलाटी

डॉ यश गुलाटी ने कहा, "स्मोकिंग और ज्यादा शराब का सेवन न करें क्योंकि इनका बुरा असर हड्डियों पर पड़ता है. गतिहीन जीवनशैली से बचें. एक्सरसाइज नहीं करने का बुरा असर हड्डियों पर पड़ता है. रेगुलर एक्सरसाइज जैसे सैर करना, जॉगिंग करना, नाचना, एरोबिक्स, खेल ये सब आपकी हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं."

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Published: 28 Nov 2018,02:28 PM IST

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