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अगर आपके बच्चे स्मार्टफोन पर घंटों समय बिताते हैं, उसमें गेम खेलते रहते हैं और कम्प्यूटर या टैबलेट पर ज्यादा समय काम करते हैं, तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने की आशंका ज्यादा रहती है. मगर चिंता छोड़िए और उन्हें खेलने के लिए बाहर भेजिए.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चे हर रोज कम से कम दो घंटे बाहर सूरज की रोशनी में खेलते हैं, तो उनकी आंखें कमजोर होने से बच सकती हैं.
इस रोग में पास की नजर कमजोर होती है. इसमें पास की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं. इसमें रोशनी आंख से गुजरने के बाद रेटिना की बजाय उसके पहले ही रिफ्लेक्शन बना देता है. इस वजह से दूर की वस्तुओं का रिफ्लेक्शन साफ नहीं बनता. यानी रिफ्लेक्शन आउट ऑफ फोकस बनता है और चींजें धुंधली दिखती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस परिस्थिति की वजह है आंखों के लिए प्राकृतिक रोशनी की कमी.
अभिभावकों के लिए बच्चों को इन उपकरणों के इस्तेमाल से रोकना बड़ा काम है. इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को जितना हो सके, उतने ज्यादा समय के लिए बाहर खेलने के लिए लेकर जाएं.
टेक्नोलॉजी समय के साथ बच्चों को आउटडोर गेम्स से दूर करती जा रही है. 'बीबीसी हेल्थ' की रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर क्रिस हेमंड बताते हैं कि आज के समय में बच्चों के बीच निकटदृष्टि दोष की समस्या आम बात हो गई है.
आउटडोर गेम्स के साथ ही बच्चों को ओमेगा-3 की डाइट देना भी जरूरी है. इसके साथ ही उन्हें विटामिन-ए, सी और ई की भी जरूरत होगी, जो उनकी आंखों के लिए फायदेमंद होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें बच्चों की नियमित रूप से आंखों की जांच भी मददगार साबित हो सकती है.
(इनपुट: IANS)
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Published: 28 Dec 2017,10:14 PM IST