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डाइटिंग और एक्सरसाइज करने के बाद भी अगर आपका वजन कम नहीं हो रहा और आप मोटापे से परेशान हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है, मोटापे पर किये गये एक शोध ने हमारे लिए मोटापा कम करने का एक और रास्ता बता दिया है.
इसमें कोई शक नहीं है कि वजन घटाने को लेकर लोगों की प्राथमिकता पहले से कहीं ज्यादा है.
अमेरिकियों में मोटापा भी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गया है, अमेरिकियों में 40 प्रतिशत लोग मोटापे और 70 प्रतिशत लोग ओवरवेट की समस्या से परेशान हैं, जाहिर है, मोटापा दूर करने के लिए की जा रही कोशिश पूरी तरह से काम नहीं कर रही है, साफ है कि पहले के मुकाबले मोटापे से होने वाली बीमारियों का खतरा भी ज्यादा है. अमेरिका में फिलहाल 8.4 करोड़ लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं, निश्चित ही ये आकड़े भयावह होने के साथ ही महंगा हो सकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका में साल 2030 तक डायबिटीज की वार्षिक लागत 600 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
हम वजन कम करना चाहते हैं, और मोटापे को खुद से दूर रखना चाहते हैं, लेकिन तुरंत वजन घटा लेना इस समस्या का हल नहीं हो सकता क्योंकि ये हमारे मेटाबॉलिक रेट्स को स्लो कर सकता है, जिससे फिर से वजन बढ़ने की आशंका ज्यादा होती है, और ना ही 'राइट डाइट' को फॉलो कर इससे छुटकारा पाया जा सकता है क्योंकि एक शोध के मुताबिक कई तरह के हेल्दी फूड्स खाने की योजनाएं समान रूप से अच्छी तरह से काम करती हैं, लेकिन डाइटिंग से शायद ही स्थायी रूप से वजन घटाया जा सकता है, ज्यादातर लोग वजन घटाने को लेकर पूरी तरह से हार मान रहे हैं.
मैं एक हेल्थ साइकॉलोजिस्ट हूं, न्यूरोसाइंस रिसर्च ने मुझे ओवर ईटिंग और वजन बढ़ाने के जिम्मेदार वजहों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया है, खासकर, यह जानना भी महत्वपूर्ण रहा कि किस तरह शारीरिक तनाव या मानसिक तनाव से होने वाले केमिकल बदलाव ओवर ईटिंग और वजन बढ़ाने के लिये जिम्मेदार होते हैं.
मैं इस बात से सहमत हूं कि ज्यादातर लोग उन फूड से संघर्ष करते नजर आते हैं, जो उनके ब्रेन के भावनात्मक हिस्से में होते हैं, विशेष रूप से ब्रेन के वो सर्किट जो तनाव को प्रॉसेस करते हैं, या वो सर्किट जिन्हें हम फिर से जोड़ सकते हैं.
लोगों की ज्यादा खाने की आदत की एक मुख्य वजह है कि वो अपने मूलभूत व्यवहार को नहीं बदलते, जो उन्हें भोजन से कंफर्ट पाने के लिये प्रेरित करता है. ये प्रक्रिया दिमाग में चलती रहती है.
अध्ययनों से पता चला है कि यह लोगों के लिये तनाव से लड़ने का एक तरीका है, जो ओवर ईटिंग के लिए प्रेरित करता है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि ओवर ईटिंग की वजह से हमारा वजन भी बढ़ते जाता है. व्यवहार परिवर्तन, मेडिकेशन या सर्जरी के जरिए शरीर विज्ञान पर काबू पाना मुश्किल है, लेकिन एक अध्ययन से पता चला कि तनाव को प्रॉसेस करने के तरीके में बदलाव करके बिना सख्त डाइटिंग के फूड बिहेवियर को बदला जा सकता है.
कुकीज से भरे डिब्बे की ओर हाथों का बढ़ना ब्रेन में उस वायर का एक्टिवेशन है, जो तनाव के दौरान बहुत पहले ही एन्कोड किया गया था. यह उन केमिकल और इलेक्ट्रिकल इंप्लस (आवेग) को दिखाते हैं, जो वर्तमान में हमारी रोजमर्रा जिंदगी में हमें ओवर ईटिंग के लिए उकसाते हैं.
पारंपरिक रूप से वजन घटाने के कार्यक्रमों पर चर्चा करें, तो उनमें इन तनाव प्रतिक्रियाओं को बदलने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है, जो ओवर ईटिंग के लिए प्रेरित करते हैं और मेरा मानना है कि यह एक मुख्य वजह है कि लॉन्ग टर्म में यह प्रभावशाली साबित नहीं हुए. यहां तक कि अगर लोग वजन कम करते हैं, तो उनमें से दो-तिहाई ऐसे भी होते हैं जिनका वजन बाद में और अधिक बढ़ जाता है.
वजन घटाने के लिए एक न्योरोसाइंस आधारित दृष्टिकोण विकसित करने में, जिसे हम इमोशनल ब्रेन ट्रेनिंग कहते हैं, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सेन फ्रांसिस्को में मेरे सहयोगियों और मैंने ब्रेन की वायर्स को बदलने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया, जो स्ट्रेस ईटिंग को ट्रिगर करता है.
हमारा अप्रोच लोगों को कैलोरी गिनने की तुलना में कुछ सकारात्मक पक्ष पर ध्यान देने पर था: क्रेविंग के क्षणों की पहचान करें, यह दर्शाता है कि ब्रेन के सर्किट सक्रिय हैं और फिर से जुड़ने के लिए ओपन हैं, और स्ट्रेस को प्रॉसेस करने और बदलने के लिए सिंपल भावनात्मक टूल्स का उपयोग कर ज्यादा मात्रा में खाने की इच्छा को कम करने के लिए उस वायर में एन्कोड किए गए निर्देश को बदलें.
यह अप्रोच लंबे समय से स्थापित स्ट्रेस-वेट लिंक के लिए प्रैक्टिकल एप्लिकेशन देता है. हम जानते हैं कि तनाव के समय में, तीन ब्रेन संरचनाएं: अमिग्डाला (डर का केंद्र), हाइपोथैलेमस (भूख का केंद्र) और न्यूक्लियस एक्यूबेन्स (रिवॉर्ड एंटर) बायोकेमिकल परिवर्तनों का एक कैस्केड सक्रिय करते हैं, जो भूख को बढ़ाता है, मेटाबॉलिज्म को स्लो करता है और फैट जमा होने में मदद करता है.
न्योरोसाइंस आधारित अप्रोच हमारे स्ट्रेस वायरों को बदलने पर केंद्रित है, सेल्फ रेगुलेटरी सर्किट जो नैनोसेकंड में ट्रिगर होते हैं, जो तनाव के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं (और चाहे हम उस कुकी को खाएं या इसके बजाए वॉक पर जाएं). ये स्ट्रेस वायर भावनात्मक ब्रेन के कुछ हिस्सों में इकट्ठा होते हैं, जो ऑटोमेटिक रूप से अनिच्छित प्रतिक्रियाओं को सक्रिय करते हैं.
विशिष्ट वायर जो स्ट्रेस-इटिंग और अन्य तनाव से प्रेरित भावनात्मक और व्यवहारिक पैटर्न्स को ट्रिगर करते हैं, उन्हें सर्वाइवल सर्किट कहा जाता है. वे निर्देशों को एन्कोड करते हैं कि हम तनाव के दौरान कैसा महसूस करते हैं, क्या सोचते हैं और क्या करते हैं, और एक बार एन्कोड हो जाने पर प्रतिक्रिया को ऑटोमैटिक रूप से फिर से सक्रिय किया जा सकता है.
हालांकि, सर्वाइवल निर्देशों में तनाव पर प्रतिक्रिया देने के ब्रेन के तरीके में एक गड़बड़ी है, जो हमारे पूर्वजों को भौतिक खतरे से बचने के लिए गुफा में तेजी से दौड़ने के लिये प्रेरित किया, जो भावनात्मक तनाव के लिए सामान्यीकृत किया गया था.
भावनात्मक तनाव का किसी भी तरह का अनुभव, खासकर जीवन के शुरुआती दिनों में या युवा अवस्था में तनाव का लेवल बहुत ज्यादा होने पर सर्वाइवल ड्राइव एन्कोड होता है. अगर हम इस तनाव में शुगर या प्रॉसेस्ड फूड खाते हैं, तो हमारा ब्रेन इस बात को याद रखता है और दोबारा तनाव की स्थिति में यही करने के लिये प्रेरित करता है. एन्कोडिंग की प्रक्रिया हमारे दृढ़ संकल्प, स्थायी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है.
मैं इन सर्वाइवल ड्राइव्स को "फूड सर्किट" कहती हूं और एक बार एन्कोड किए जाने के बाद, डाइटिंग बहुत तनावपूर्ण हो जाता है क्योंकि सर्किट हमें बताता है कि हमें अपनी जरूरतों (सेफ्टी, प्यार, प्रोटेक्शन, सेक्यूरिटी) को पूरा करने के लिए अधिक मात्रा में भोजन करने की आवश्यकता है.
हेल्दी डाइट की बजाए, हम शुगरयुक्त, फैटी फूड खाने के लिए हमारे फूड सर्किट में एन्कोड किए गए निर्देशों को फॉलो करते हैं, जो ब्लड शुगर को कम करने के बाद बढ़ाता है, जिससे भूख, तनाव, सुस्ती और वजन बढ़ने की दिक्कत होती है. हम डाइटिंग, वजन घटाने, ओवर ईटिंग और फिर वजन बढ़ने के दुष्चक्र में पड़ जाते हैं.
हम इन वायर्स के बारे में क्या कर सकते हैं? न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने स्ट्रेस सर्किट को खत्म करने के लिए न्यूरोप्लास्टिसिटी के उपयोग का रास्ता खोला है. उन्होंने पाया कि इन सर्किटों को फिर से बनाया जा सकता है, लेकिन केवल तभी जब हम जानबूझकर तनाव के एक क्षणिक स्तर को सक्रिय करते हैं, जो तनाव के उस स्तर से मेल खाता हो, जब हमारे ब्रेन में सर्किट एन्कोड हुआ था.
इमोशनल ब्रेन ट्रेनिंग अप्रोच इस शोध को आकर्षित करता है, लेकिन इसमें दो स्टेप्स शामिल हैं. पहला, कैलोरी गिनने की बजाए सर्किट को लक्षित और कमजोर करना. इसके बाद उस तकनीक का उपयोग करना जो स्ट्रेस ड्राइव को सक्रिय करता है और सर्किट में स्टोर भावनाओं को फिर से प्रॉसेस करता है. यह वायर के दोषपूर्ण निर्देशों को बदलता है और हेल्दी डाइट के लिये प्रेरित करता है.
दूसरा, वजन कम करने के लिए अपना ध्यान हेल्दी फूड की तरफ लगाना.
इस मामले में अभी और अधिक रिसर्च की जरूरत है, लेकिन यह अप्रोच आशाजनक है. एक अध्ययन में सात हफ्ते के नियंत्रित क्लिनिकल परीक्षण में शारीरिक विकास में निरंतर सुधार हुआ, जो EBT है लेकिन व्यावहारिक तुलना समूह के लिए तनाव में सुधार के स्तर को बनाए रखने में सफलता नहीं मिली.
UCSF में हुई एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को 18 हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद फॉलो किया और देखा कि दो साल बाद भी उन प्रतिभागियों का वजन दोबारा नहीं बढ़ा.
मोटापा व्यक्तिगत परेशानी और गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है, शायद यह वजन कम करने के तरीके के बारे में फिर से सोचने का समय है.
ब्रेन की आदतों को बदले बिना हम जो भी खाते हैं, उसे बदलने से तनाव हो सकता है, जिससे ओवर ईटिंग को बढ़ावा मिलता है.
ब्रेन-आधारित तरीकों का उपयोग करके फैटी फूड खाने की आदत और ओवर ईटिंग से छुटकारा पाया जा सकता है. इस तरीके से आप हेल्दी फूड को अपनाकर मोटापे की परेशानी से निजात पा सकते हैं. व्यक्तिगत स्तर पर, इस गर्मी में आप वजन कम कर समंदर किनारे ठंडी हवा का मजा ले सकते हैं.
(लॉरेल मेलिन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को में फैमिली एंड कम्यूनिटी मेडिसिन एंड पीडियाट्रिक्स की एसोसिएट क्लीनिकल प्रोफेसर हैं.)
(ये एक ओपिनियन पीस है. फिट इसमें व्यक्त विचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है. ये आर्टिकल The Conversation में पब्लिश हुआ था, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं.)
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Published: 14 Jun 2018,02:53 PM IST