advertisement
मैं महसूस कर सकती थी कि कुछ तो गलत हो रहा है, जब कुछ अनपेक्षित चीजें होना शुरू हुईं, मैं उन चीजों से किनारा करने लगी जो मुझे पसंद हुआ करती थीं.
मदद का हाथ बढ़ाने वाले किसी भी शख्स पर भरोसे की कमी की वजह से वर्षों के एकाकीपन के बाद, जब मनोचिकित्सक ने मेरी रिपोर्ट सौंपी, तब पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) और एंग्जाइटी डिसऑर्डर का पता चला.
पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) एक मनोरोग है, जो उन लोगों को हो सकता है जिन्होंने प्राकृतिक आपदा, गंभीर दुर्घटना, आतंकवादी हमला, किसी प्रियजन की अचानक मौत, युद्ध, हिंसक व्यक्तिगत हमले जैसे बलात्कार, बाल शोषण या जीवन को खतरे में डालने वाली दूसरी घटनाओं का सामना किया है.
हालांकि इन बीमारियों से पीड़ित अपनों को मदद की पेशकश करना वाकई अच्छा है, लेकिन जो पेशकश की जाती है उसे कुबूल करने के लिए उन्हें मजबूर करना या उम्मीद करना ठीक नहीं है. ऐसा कोई भी दबाव उनके डर और चिंता बढ़ाएगा और नतीजतन उन्हें अप्रत्याशित परिस्थिति में सभी से अलगाव पर मजबूर करेगा. आखिकार वे अंतर्मन के भावनात्मक तूफान का सामना कर रहे होंगे.
आपको ये समझाने के लिए कि PTSD में कैसा महसूस होता है, यहां इसके असर के बारे में संक्षेप में बताया जा रहा है.
ऐसा लगता है कि कोई चीज दिल में सुराख कर रही है. आपको इस बात का कोई अंदाजा नहीं होता कि कौन सी चीज इसकी शुरुआत का कारण बन सकती है. यह एक गेंद की तरह है, जो आपके शरीर के अंदर फूल रही है और पूरी जगह घेरते हुए आपका दम घोंट देगी. ऐसा लगता है कि आपको एकदम छोटे से कमरे में कैद कर दिया गया है, जिसमें हवा आने-जाने के लिए खिड़की भी नहीं है. बीते हुए कल का दर्द आपके आज, आने वाले कल और बाकी बची पूरी जिंदगी को अपनी आगोश में ले लेगा.
यह सब मैंने निजी अनुभव के आधार पर बयान किया है. लेकिन मेडिकल की भाषा में कहें तो, इसके लक्षण ये हैं:
PTSD से पीड़ित व्यक्ति के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा होता है, यही कारण है कि किसी को भी इस बारे में सावधान रहना चाहिए कि अपने करीबी शख्स को क्या नहीं कहना चाहिए. लोग मदद करना चाहते हैं, लेकिन इसके साथ ही वे उम्मीद करते हैं कि PTSD से पीड़ित व्यक्ति भी उनकी भावना को समझे, जो कि हद दर्जे की नादानी है, और बीमार के साथ बहुत ज्यादती है.
जो लोग वास्तव में मेरे करीबी थे, वे मुझे लगातार बताते रहते कि मैं क्या करूं, इसलिए मैंने उन्हें अपनी जिंदगी से अलग करना शुरू कर दिया. मैंने तय किया कि अकेली ही बाहर जाऊंगी और अपने सभी डर और चिंताओं को मारने के लिए ड्रिंक पर ड्रिंक लूंगी और कैंडी खाऊंगी.
“आप अपनी तरफ से पूरी कोशिश नहीं कर रही हैं” से लेकर “आप दुनिया की सबसे ना शुक्रगुजार और स्वार्थी इंसान हैं”, ऐसी बातें मुझे नियमित रूप से सुनने को मिलती थीं. और अंत में यही हुआ कि, मैं चाहने लगी कि मेरे आसपास कोई भी न हो, इसलिए मैंने उन हालात और लोगों से किनारा करना शुरू कर दिया, जिसमें किसी भी तरह की सफाई देने की जरूरत थी.
मैं दोस्तों और परिवार, उनकी कॉल, मैसेज वगैरह हर चीज से बचने के रास्ते तलाशने लगी थी.
यह PTSD से पीड़ित व्यक्ति और उनके प्रियजनों के लिए भावनाओं के भारी उतार-चढ़ाव का सफर है, लेकिन सभी जरूरी मदद का साथ हो तो, यह सफर भी कट जाएगा.
(FIT अब टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है. जिन विषयों की आप परवाह देते हैं, उन पर चुनिंदा स्टोरी पाने के लिए, हमारे Telegram चैनल को सब्सक्राइब करें.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 29 Jun 2019,02:32 PM IST