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सर्दियों में सोरायसिस पर कैसे पाएं काबू? जानें कुछ टिप्स
सोरायसिस में सामान्य से कहीं ज्यादा तेजी से त्वचा की नई कोशिकाएं बनने लगती हैं.
आईएएनएस
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त्वचा पर ये लाल रंग की परत के रूप में उभरकर सामने आती है.
(फोटो: गूगल)
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सर्दियों में स्किन की ज्यादा देखभाल करने की जरूरत होती है, खासकर उन लोगों को जिन्हें सोरायसिस की दिक्कत हो. ठंडे और शुष्क मौसम की वजह से सोरायसिस से जूझ रहे लोगों की स्किन पर लाल रंग की परत उभरकर सामने आती है. स्किन फटी और बेजान दिखाई देती है, रूखापन बना रहता है.
क्या है सोरायसिस?
सोरायसिस एक ऑटो इम्यून अवस्था है, जिसमें सामान्य से कहीं ज्यादा तेजी से त्वचा की नई कोशिकाएं बनने लगती हैं.
हमारा शरीर हर 10 से 30 दिनों के बीच स्किन की नई कोशिकाएं बनाता है, जो पुरानी कोशिकाओं की जगह लेती हैं, जबकि सोरायसिस में नई स्किन सेल्स काफी तेजी से बनती हैं, जिससे शरीर को पुरानी स्किन सेल्स छोड़ने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता.
सोरायसिस में क्या होता है?
इससे त्वचा या चमड़ी पर ही मोटी परत जम जाती है. त्वचा पर ये लाल रंग की परत के रूप में उभरकर सामने आती है. इससे त्वचा शुष्क हो जाती है. उस पर खुजली होने लगती है. शरीर पर लाल या सिल्वर रंग के धब्बों के रूप में चकत्ते उभर आते हैं.
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सोरायसिस से निपटने के लिए क्या करें?
आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम की डर्मटोलॉजी एवं कॉस्मेटोलॉजी एचओडी डॉ मोनिका बाम्बरू ने सर्दियों में सोरायसिस पर काबू पाने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं.
मॉइश्चराइजिंग सोप या बॉडी वॉश का इस्तेमाल: एक कठोर साबुन त्वचा की प्राकृतिक पीएच को बदल सकता है, जिससे सूखी त्वचा पर खुजली या दूसरी परेशानी बढ़ जाती है. न्यूट्रल पीएच लेवल वाला सोप या बॉडी वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे त्वचा में नमी बरकरार रहती है और स्किन ड्राइ नहीं होती. बॉडी वॉश का इस्तेमाल करते हुए लूफा साबुन का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आपकी त्वचा की परेशानी और बढ़ सकती है.
ओटमील बाथ: इस तरह के बाथ के लिए एक कप ओटमील लेकर इसे गुनगुने पानी में डाल दें. इसमें कुछ बूंदें आप खुशबूदार तेल की मिला सकते हैं. इस गुनगुने पानी से नहाने से आपकी त्वचा को आराम पहुंच सकता है और शुष्क, लाल दानों या चकत्तों से भरी त्वचा, जिससे खुजली और जलन होती है, को ढीली या नरम पड़ने में मदद मिलती है. जब ओट्स पानी के संपर्क में आते हैं तो वह जिलेटिन जैसी फिल्म बनाते हैं, जिससे त्वचा सुरक्षित होती है और उसमें नमी भी आती है. नहाते समय त्वचा की रगड़कर सफाई करने से बचें क्योंकि इससे मरीज की त्वचा की खुजली और जलन बढ़ जाती है और लाल रंग की सतह भी तेजी से स्किन पर उभर सकती हैं.
स्किन क्रीम या मॉश्चराइजर: दिन भर अपनी त्वचा को नमी से भरपूर रखें. इसके लिए आपको दिन में दो बार स्किन क्रीम या मॉश्चराइजर लगाने की सलाह दी जाती है.
क्लॉदिंग: ऊनी कपड़े त्वचा में जलन कर सकते हैं और इससे पपड़ियां जम सकती हैं. सर्दियों के दौरान सोरायसिस के रोगियों को ऊनी कपड़ों के नीचे कॉटन के पतले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है. इस तरह वे सर्दी को बिना किसी पपड़ी होने की चिंता किए बगैर मात दे सकते हैं.
इससे न सिर्फ विटामिन डी बढ़ेगा बल्कि आपका मूड भी बेहतर होगा.(फोटो: iStock)
धूप लें : सर्दियों के दौरान उचित धूप नहीं मिलने से, किसी की त्वचा भी नीरस हो सकती है. धूप का अधिक से अधिक आनंद उठाएं और घर के बाहर समय बिताएं. इससे न सिर्फ विटामिन डी बढ़ेगा बल्कि आपका मूड भी बेहतर होगा.
डॉ मोनिका बाम्बरू ने कहा कि लाइफस्टाइल में इन बदलावों को करने के अलावा, अपने इलाज पर पूरा ध्यान दें और अपने डर्मटोलॉजिस्ट द्वारा बताई गईं दवाईयां समय पर लेते रहें.
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