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राकेश रोशन को गले का स्क्वैमस सेल कैंसर, जानिए क्या है ये

हाल ही में पता चला कि राकेश रोशन गले में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से पीड़ित हैं.

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राकेश रोशन को शुरुआती स्टेज का थ्रोट कैंसर है.
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राकेश रोशन को शुरुआती स्टेज का थ्रोट कैंसर है.
(फोटो: hrithikroshan)

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फिल्म मेकर और एक्टर राकेश रोशन शुरुआती स्टेज के गले के कैंसर से जूझ रहे हैं. इस बारे में उनके बेटे ऋतिक रोशन ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए बताया.

ऋतिक ने बताया कि आज यानी 8 जनवरी को उनके पिता की सर्जरी है. कुछ हफ्ते पहले ही पता चला कि राकेश रोशन गले में शुरुआती स्टेज के स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinoma) से पीड़ित हैं. ये स्क्वैमस कोशिकाओं के अनियंत्रित ग्रोथ के कारण होने वाला कैंसर है.

ऋतिक ने इंस्टाग्राम पर जिम में वर्कआउट के दौरान अपने पिता के साथ एक तस्वीर पोस्ट की. इसके साथ उन्होंने लिखा, "मैंने आज सुबह डैड से पिक्चर के लिए पूछा, मुझे पता था कि वो सर्जरी के दिन भी एक्सरसाइज नहीं छोड़ेंगे. वह काफी मजबूत हैं. हाल ही में उनके गले में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का पता चला. आज से वह इससे अपनी जंग शुरू करने जा रहे हैं, लेकिन फिर भी वो ऊर्जा से भरपूर हैं. हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे परिवार को उनके जैसा लीडर मिला."

ऋतिक की बहन सुनैना रोशन भी कैंसर पीड़िता रह चुकी हैं.

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क्या है गले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा?

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा गले में होने वाला एक बहुत ही आम कैंसर है. इसमें अनियंत्रित तरीके से बढ़ने वाली असामान्य कोशिकाएं गले की परत पर असर डालती हैं.

मैक्स ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ सौरभ गुप्ता ने फिट को इस कैंसर के बारे में बताया:

ये सिर और गले के हिस्से में होने वाला सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है. भारत में होने वाले दो से तीन तिहाई कैंसर सिर और गले से जुड़े होते हैं. इसकी वजह किसी भी तरह के तंबाकू का सेवन करना है लेकिन ज्यादातर मामलों में इसके होने की असल वजह नहीं पता चल पाती है. बल्कि अब तो बहुत सी वो महिलाएं, जिन्होंने कभी सिगरेट भी नहीं पी, उन्हें भी स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कैंसर होने का पता चलने लगा है.

हालांकि इसका पता लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं जिनका ध्यान रखा जा सकता है, जैसे-आवाज में बदलाव, निगलने में परेशानी, वजन कम होना, कफ की समस्या, गले में सूजन, कान में दर्द.

धूम्रपान, शराब का सेवन, बुढ़ापा, साफ-सफाई में असावधानी ये कुछ वजहें हैं.

इलाज

डॉ गुप्ता कहते हैं कि गले के शुरुआती कैंसर में पहले इसका इलाज कीमोथेरेपी था, लेकिन टेक्नोलॉजी के विकास से अब हमारे पास लेजर और रोबोटिक सर्जरी है. अगर शुरूआती कैंसर ऑपरेशन करने लायक है, तो ये वो तरीका है जिससे उसका ऑपरेशन किया जा सकता है.

डॉ गुप्ता बताते हैं, "शुरुआती कैंसर का मतलब है T1-T2 हिस्सा और वे 2 से अधिक या 4 सेमी से कम हैं. ऐसे मामलों में, हम ट्यूमर को लेजर या रोबोटिक सर्जरी करके हटा देते हैं. ओपन सर्जरी अब पुराना तरीका हो चुका है, अब ओपन सर्जरी तभी करते हैं, जब एडवांस कैंसर हो और हमें पूरा वॉयस बॉक्स हटाना हो."

अगर ये एक शुरुआती स्टेज का कैंसर है, जिसमें गर्दन की नसें शामिल नहीं हैं और यह केवल गले तक ही सीमित है और सर्जरी से इसे पूरी तरह से हटा दिया गया है, तो इसके ठीक होने की दर लगभग 85 प्रतिशत है.

कुछ मामलों में सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी कराने की जरूरत पड़ती है, लेकिन ये फाइनल रिपोर्ट पर निर्भर करता है.

जैसा कि 'कोई मिल गया' फिल्म के डायरेक्टक सर्जरी करा रहे हैं, फिट उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता है.

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Published: 08 Jan 2019,11:46 AM IST

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