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रमजान 2019: रोजा रखने के लिए क्या करें डायबिटीज के पेशेंट

डायबिटिक हैं, लेकिन रोजा रखना चाहते हैं? इन बातों का रखें ख्याल.

फ़ातिमा फ़रहीन
फिट
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डायबिटिक हैं, लेकिन रोजा रखना चाहते हैं? इन बातों का रखें ख्याल.
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डायबिटिक हैं, लेकिन रोजा रखना चाहते हैं? इन बातों का रखें ख्याल.
(फोटो: आर्णिका काला)

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रमजान का महीना आ चुका है, जाहिर है आपने सेहरी और इफ्तार की तैयारी भी शुरू कर दी होगी. लेकिन अगर सेहत के लिहाज से बात करें तो आपने कितनी तैयारी की है? रोजा रखना लोगों के धार्मिक विश्वास के साथ जुड़ा है. ऐसे में आपके डॉक्टर भले ही आपको लाख हिदायत दें, लेकिन आप किसी हाल में रोजा रखना छोड़ना नहीं चाहते हैं.

लेकिन मामला थोड़ा गंभीर उस वक्त हो जाता है, जब आपको डायबिटीज हो और गर्मी के महीने में 15 घंटे से अधिक का रोजा रखना हो. जबकि डायबिटिक लोगों को ये सख्त हिदायत दी जाती है कि ज्यादा देर तक खाली पेट नहीं रहना है.

मैं हर बार अपनी बुजुर्ग सास से कहती हूं, ‘अम्मी इस बार बहुत गर्मी है और आप डायबिटिक भी हैं, अगर रोजा छोड़ा जा सकता है तो छोड़ दीजिए, ऊपर वाला माफ कर देगा. तो उनका एक ही जवाब होता है, ‘बेटा, रोजा जबान और पेट से नहीं हिम्मत से रखा जाता है.

उन्हें तकरीबन 30 साल से डायबिटीज है और वो हर बार रोजा भी रखती हैं, लेकिन क्या ये सबके लिए मुमकिन है? क्या होता है जब आप डायबिटिक होने के बाद भी 15 घंटे से अधिक बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं? क्या इतने लंबे वक्त तक बिना कुछ खाए रहना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है?

रोजा रखने के दौरान शरीर में क्या होता है?

रोजा रखने के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव इस बात पर निर्भर करते हैं कि रोजा कितनी देर तक का है. आमतौर पर आपका शरीर आखिरी भोजन के आठ घंटे बाद उपवास की स्थिति में दाखिल होता है. शुरू में शरीर ग्लूकोज जमा किए हुए स्रोतों का इस्तेमाल करता है और फिर बाद में रोजे के दौरान ऊर्जा के लिए अगले स्रोत के रूप में शरीर में जमा फैट को तोड़ना शुरू करता है. लंबे समय तक ऊर्जा के लिए शरीर में जमा फैट का इस्तेमाल शरीर का वजन कम होने की वजह बन सकता है, खासकर तब जब आपका वजन पहले से ही अधिक हो. इससे ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर बेहतर नियंत्रण हो सकता है.

लेकिन डायबिटीज में अगर आप रोजा रखते हैं तो आपका शरीर कैसे रिएक्ट करता है?

डायबिटीज यूके के मुताबिक उस समय आपके शरीर में ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक बढ़ सकता है, इससे डायबिटीज कीटोएसिडोसिस (डीकेए) हो सकता है, ये एक जानलेवा स्थिति है. इसमें शरीर में अतिरिक्त ब्लड एसिड (केटोन्स) का उत्पादन होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति उल्टी, डिहाइड्रेशन, हांफना, कन्फ्यूजन और यहां तक कि कोमा तक में जा सकता है. इसकी वजह से थ्रोमबाउसिस भी विकसित हो सकता है, जिससे रक्त का थक्का बनना शुरू हो सकता है.

रोजा रखने के दौरान दवाओं के कारण आपका शुगर लेवल बहुत लो भी हो सकता है, जो एक खतरनाक स्थिति है.
डॉ एस. के वांगनू,  सीनियर कंसल्टेंट, डायबिटीज विशेषज्ञ, अपोलो हॉस्पिटल
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अगर आप मधुमेह के रोगी हैं, लेकिन फिर भी रमजान के दौरान रोजा रखना चाहते हैं, तो रोजे में जरूरी एहतियाती उपाय करने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है.
विकास अहलूवालिया, मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, साकेत में निदेशक

अपोलो हॉस्पिटल में डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉ एस. के वांगनू कहते हैं:

हम हाई इंसुलिन लेने वाले मरीज को सबसे पहले तो रोजा ना रखने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर कोई रोजा रखना चाहता है तो अपने डॉक्टर से मिल कर शॉर्ट एक्टिंग इंसुलिन लिखवा लें और सुबह सेहरी से पहले और शाम में जब रोजा खोलते हैं, तब ले.

आमतौर पर डॉक्टर्स लॉन्ग एक्टिंग दवाएं लिखते हैं, जिससे मरीज का शुगर लेवल कम रहता है. लेकिन रोजा रखने के दौरान ज्यादातर शुगर लेवल बहुत कम हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप पहले ही डॉक्टर से मिल लें. रमजान खत्म होने के बाद आप रेगुलर दवाओं पर वापस आ सकते हैं.

जो लोग टैबलेट लेते हैं, वो शॉर्ट एक्टिंग दवाएं लिखवाएं, ताकि लॉन्ग एक्टिंग दवाओं के साथ रोजा रखना उनके शुगर को लो ना करे.
डॉ एस. के वांगनू,  सीनियर कंसल्टेंट, डायबिटीज विशेषज्ञ, अपोलो हॉस्पिटल

डॉ वांगनू कहते हैं कि अगर रोजे के बीच में आपको बहुत अधिक पसीना आए, पेशाब लगे या चक्कर कमजोरी लगे तो तुरंत रोजा तोड़ कर कुछ खाएं.

डॉ वांगनू कहते हैं कि डाइट में अधिक से अधिक फाइबर, सलाद, फल, शामिल करें, रेड मीट को जितना हो सके ना लें, उसकी जगह आप मछली और चिकन ले सकते हैं.

रोजे के दौरान ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल करेंगी खाने की ये चीजें

डायबिटीज यूके हेल्थ वेबसाइट के मुताबिक अगर आप डायबिटिक हैं और रोजा रखने वाले हैं तो कोशिश करें कि अपनी डाइट में लोअर ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड आइटम शामिल करें.

क्या है लोअर ग्लाइसेमिक इंडेक्स?

कार्बोहाइड्रेट हमारी डाइट का अहम हिस्सा है, लेकिन सभी कार्बोहाइड्रेट और फूड एक जैसे नहीं होते हैं. कार्बोहाइड्रेट ब्लड ग्लूकोज लेवल पर किस तरह असर डालते हैं ये देखते हुए, ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स में कार्बोहाइड्रेट की रैंकिग का तरीका है. लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कार्बोहाइड्रेट जो 55 या उससे नीचे होते हैं. ये शरीर में धीमी गति से घुलते, मेटाबोलाइज होते और पचते हैं, जो ब्लड ग्लूकोज को धीमी और कम गति से बढ़ाते हैं, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कम होता है.

लोअर ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड आइटम

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार लोअर ग्लाइसेमिक फूड आइटम हैं:

  • राई से बनी ब्रेड
  • शुद्ध गेंहू के आटे की रोटी
  • ओटमील
  • ओट
  • जौ
  • म्यूजली
  • पास्ता
  • परिवर्तित किया हुआ चावल (ब्राउन राइस से व्हाइट राइस में बदला हुआ)
  • शकरकंद, मक्का, अरबी, लीमा बीन्स, मटर, फलिया, मसूर की दाल
  • फल, नॉन स्टार्ची सब्जियां और गाजर

डॉ वांगनू कहते हैं कि सेहरी में हाई फाइबर शामिल करें, ताकि शाम तक शुगर लेवल कंट्रोल में रहे.

अपोलो हॉस्पिटल की डायबिटीज डायटिशियन डॉ विवेका कौल कहती हैं:

डायबिटिक लोग जब रोजा खोलें तो बादाम, अखरोट, खजूर के साथ रोजा खोलें. मीठे शरबत की जगह नारियल पानी, बिना चीनी वाली शिकंजी पीएं.

अपना ब्लड शुगर लेवल मॉनिटर करते रहें. फ्राई चीजें खाने की बजाए उबली हुई चीजें खाएं.

सेहरी में कोशिश करें कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट लें ताकि उसे घुलने में वक्त लगे. रोजा खोलते वक्त सिंपल डाइट में सिंपल कार्बोहाइ़ड्रेट शामिल करें ताकि वो जल्दी आपको एनर्जी दे.
डॉ विवेका कौल, डायबिटीज डायटिशियन, अपोलो हॉस्पिटल

इस तरह रमजान में रोजे के साथ रखें अपनी सेहत का ख्याल.

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