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एक मल्टीनेशनल फार्मा कंपनी Sandoz ने इस 18 सितंबर को घोषणा की है कि वो उन सभी दवाइयों पर रोक लगा रही है, जिसमें रेनिटिडिन है. इसमें सबसे ज्यादा ली जाने वाली एसिडिटी की दवा Ranitidine भी शामिल है. ऐसा इस एंटी एसिड दवाई में संभावित कैंसरकारक रसायन के कारण किया गया. इसके बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भी रेनिटिडिन को लेकर चेतावनी जारी कर दी.
Ranitidine उन ड्रग्स में शामिल है, जिन्हें H-2 ब्लॉकर कहते हैं. ये दवाइयां पेट की एसिड को कम करती हैं, लेकिन उसे पूरी तरह से खत्म नहीं करती.
इस खबर के बाद वे लोग परेशान हो गए, जो बिना किसी डॉक्टरी सलाह के खुद से ये एंटी-एसिड दवा ले रहे थे, ऐसे लोग ये जानना चाहते हैं कि इसका उनका उन पर क्या असर पड़ा है और अब वो क्या करें.
Ranitidine में नाइट्रोसेमीन नाम का केमिकल पाया गया है, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक संभावित कैंसरकारक है. ये सिगरेट के धुएं, कटे हुए मीट, मछली और यहां तक कि प्रसाधन के सामान में भी पाया जाता है. इस रसायन का पेट के कैंसर से लिंक पाया जा चुका है.
हालांकि ये अभी भी जांच का विषय है कि फिलहाल जो मसला है, वो इसके निर्माण से जुड़ा है या Ranitidine के एक्टिव अणु से. कहा ये जा रहा है कि इस दवा में हानिकारक रसायन की मात्रा बहुत कम है. हालांकि अगर इसे लंबे समय तक लिया जाए तो संभावित कैंसरकारक रसायन की मात्रा सुरक्षित सीमा से ज्यादा हो सकती है.
भारत में जहां कोई भी दवा बिना डॉक्टरी प्रीस्क्रिप्शन के हासिल करना संभव हो, वहां ऐसी आशंका है कि इस दवा को बड़ी तादाद में लोग एंटी एसिड या गैस की दवा के तौर पर ले रहे हों और जरूरत से ज्यादा ले रहे हों.
इससे बड़ी समस्या ये है कि भारत में शायद सांस्कृतिक प्रभाव के कारण सिर दर्द हो या सीने में तकलीफ या फिर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, सभी की वजह गैस मान ली जाती है, ये बहुत ही आम और प्रचलित धारणा है, जो कि गलत है.
सवाल ये है कि जो लोग Ranitidine ले रहे हैं, उन्हें क्या इसका इस्तेमाल रोक देना चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप इसे कुछ हफ्तों या कुछ महीनों के लिए ले रहे हैं, तो चिंता करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. वहीं अगर आप लंबे समय से इस दवा को ले रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से इसकी जगह कोई और दवा लेने के बारे में पूछें. जैसे Famotidine H2 ब्लॉकर या Omeprazole जैसे प्रोटॉन पंप इन्हीबिटर. सीने या पेट में जलन को शांत करने के लिए Ranitidine की जगह कोई लिक्विट एंटएसिड लेना बेहतर होगा.
हाल ही में एसिडिटी से राहत के लिए ज्यादा स्ट्रॉन्ग मेडिसिन Omeprazole, Pantoprazole जैसे प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर का इस्तेमाल किया गया. इसके काफी नुकसान पाए गए. आइए समझते हैं कैसे.
हमारे पेट में पाए जाने वाले एसिड के तीन मुख्य काम है. सबसे पहले तो ये खाने या पानी के जरिए पेट में पहुंचे कीटाणुओं का खात्मा करता है. दूसरा ये खाना पचाने में मदद करता है, ये जटिल प्रोटीन को तोड़ता है. तीसरा ये पेप्सीनोजेन को एक्टिव पेप्सिन में बदलता है, जिससे पेट में प्रोटीन का पाचन होता है.
Omeprazole, Pantoprazole जैसी दवाइयां लेने से पेट का एसिड खत्म हो जाता है, जिससे कीटाणुओं से सुरक्षा प्रभावित होती है. अब सोचिए कि अनजाने में आपने हेपेटाइटिस A और E और एक्यूट गैस्ट्रोएंटीरिटिस और टायफाइड जैसी बीमारियों की वजह बनने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने की अपनी एक क्षमता को नष्ट कर दिया.
ये याद रखिए कि हम अभी तक ऐसी दवा नहीं बना सके हैं, जिसके कोई साइड इफेक्ट ना हों. हमें दवाइयां लेने से बचना चाहिए, भले ही वो ओवर द काउंटर मिलने वाली दवाइयां ही क्यों न हों. दवाइयां तभी लें, जब जरूरी हो और डॉक्टर ने लेने को कही हो.
(डॉ अश्विनी सेतिया दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. उनकी कोशिश लोगों को बिना दवा के स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना है. उनसे ashwini.setya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
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Published: 30 Sep 2019,05:34 PM IST