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भारत सहित दुनिया भर में बढ़े डिमेंशिया के मामले: लैंसेट 

दुनिया भर में डिमेंशिया के बढ़ते मामलों की वजह क्या है?

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डिमेंशिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं
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डिमेंशिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं
(फोटो:iStock)

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दुनिया भर में उम्रदराज होते लोगों की तादाद बढ़ने के साथ डिमेंशिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में लैंसेट की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि भारत में साल 1990 से लेकर 2016 तक अल्जाइमर और डिमेंशिया के दूसरे मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है.

लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इन 26 साल के दौरान अल्जाइमर और दूसरे डिमेंशिया के करीब 29 लाख मामले सामने आए. इसके कारण करीब 1 लाख 40 हजार मौतें हुईं.

नतीजे बताते हैं कि दुनिया भर में अल्जाइमर और अन्य डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या 1990 में 2 करोड़ 20 लाख थी, जो 2016 में बढ़कर 4 करोड़ 38 लाख हो गई.

इनमें 2 करोड़ 70 लाख महिलाएं और 1 करोड़ 68 लाख पुरुष थे.

क्या कहती है ये स्टडी?

ये निष्कर्ष वैज्ञानिकों के एक इंटरनेशनल ग्रुप ने 195 देशों से जुटाए आंकड़ों के आधार पर निकाले हैं. इस स्टडी के रिजल्ट बताते हैं कि इन 26 सालों में डिमेंशिया से मौत के मामले 148 फीसदी बढ़े हैं.

दुनिया भर में मौत की वजहों में डिमेंशिया पांचवां सबसे आम कारण है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की मौत के मामले में दिल की बीमारियों के बाद दूसरी सबसे आम वजह डिमेंशिया है. 

आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 50 से अधिक उम्र के 10 लाख से ज्यादा रूसी लोग डिमेंशिया से जूझ रहे थे.

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डिमेंशिया से जुड़े रिस्क फैक्टर्स

रिसर्चर्स ने हाई बॉडी मास इंडेक्स (BMI), स्मोकिंग (सभी तरह के तंबाकू) और अधिक चीनी वाले खानपान को डिमेंशिया के रिस्क फैक्टर्स में शामिल किया है.

जब तक डिमेंशिया के रोकथाम या ट्रीटमेंट में सफलता नहीं मिल जाती, तब तक ये दुनिया भर के हेल्थकेयर सिस्टम के लिए एक चुनौती है.

डिमेंशिया के बढ़ने की बहुत सारी वजहों से ये पता चलता है कि जीवनशैली और दूसरी वजहों में अगर सुधार कर लिया जाए, तो आगे होने वाली इस समस्या को रोका जा सकता है और भविष्य में इससे पीड़ित होने वालों की तादाद को कम किया जा सकता है.

(इनपुट-आईएएनएस)

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