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सोशल मीडिया पर एक PDF फाइल शेयर की जा रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) पानी पर चेतावनी जारी की है.
इस दावे के कई वर्जन साल 2017 से सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं.
मैसेज में कई दावे किए गए हैं, लेकिन सबसे पहले समझते हैं कि आरओ (RO) क्या है?
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट के सीनियर डायरेक्टर सुरेश रोहिला समझाते हैं, RO वॉटर फिल्टरेशन की एक टेक्नोलॉजी है, जिसे दूसरे तरीकों के साथ जोड़ा जा सकता है, जैसे RO+UV फिल्टरेशन या RO+UV+UF सिस्टम.
रोहिला बताते हैं कि सबसे पहले ये स्पष्ट करना जरूरी है कि RO प्रक्रिया में होता क्या है, 'हां, RO हर चीज हटा देता है और अंत में जो बचता है, वो प्योर लिक्विड वॉटर होता है, जिसमें कोई केमिकल, मिनरल, प्रदूषक और TDS (टोटल डिजॉल्वड सॉलिड्स) नहीं होता.'
सेफ ड्रिंकिंग वॉटर फाउंडेशन के मुताबिक TDS पानी में घुले टोटल चीजों की सांद्रता प्रदर्शित करता है. TDS अकार्बनिक लवण (inorganic salts), साथ ही बेहद कम मात्रा में ऑर्गेनिक मैटर से बना होता है. पानी में आमतौर पर कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रेट्स, बाइकार्बोनेट्स, क्लोराइड्स और सल्फेट्स होते हैं.
रोहिला बताते हैं कि पानी से शरीर के जरूरी मिनरल्स भी निकाल लिए जाते हैं, तो लंबे समय तक इस तरह का पानी पीने से सेहत पर असर पड़ सकता है.
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी ने कहा, 'कैल्शियम और मैग्नीशियम हमारे शरीर के अंगों और कोशिकाओं के लिए बिल्कुल जरूरी हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि मैग्नीशियम सेल मेंबरेन स्टेब्लाइजर है और इसकी कमी क्रैंप का कारण बन सकती है.
दूसरे दावे पर रोहिला ने बताया कि मिनरल की कमी वाला RO का पानी जाहिर तौर पर हमारे इलेक्ट्रोलाइट्स को डायल्यूट करता है.
रोहिला कहते हैं, 'ये जरूरी है कि लोग RO की ज्यादा जांच करें, इसके इस्तेमाल को लेकर हां या ना में जवाब नहीं दिया जा सकता.'
लेकिन वो ये भी जोड़ते हैं कि RO सिस्टम तैयार करने वाले लोगों को पारदर्शिता में सुधार लाने की जरूरत है. इसका मतलब है कि प्यूरिफिकेशन के बाद पानी के कंपोजिशन के बारे में साफ-साफ लिखा हो.
अब TDS की बात करें, तो RO सिस्टम के साथ कई नए वॉटर प्यूरिफिकेशन मॉडल्स में TDS कंट्रोलर होता है, जिसकी मदद से आप अपनी स्वास्थ्य जरूरतों के मुताबिक TDS का लेवर कंट्रोल कर सकते हैं.
अगर किसी शख्स में कैल्शियम की कमी है, तो वो TDS लेवल इस तरीके से सेट कर सकता है कि पानी से कम कैल्शियम फिल्टर हो ताकि उसे साफ लेकिन कैल्शियम से भरपूर पानी मिले.
सेंटर ऑर साइंस एंड एन्वायरमेंट के वॉटर साइंटिस्ट और डायरेक्टर भितूश लुथरा कहते हैं, 'मैं इस मैसेज के दावे से पूरी तरह सहमत नहीं हूं, लेकिन जिस चीज पर ध्यान देने की जरूरत है, वो ये है कि आप अपना RO किस TDS पर सेट करते हैं.'
लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है, आपके RO का पानी जहरीला नहीं होता, लेकिन इसमें कुछ जरूरी मिनरल्स की कमी हो सकती है. इसका समाधान भी है, इसके लिए डॉक्टर आपको कोई दवा लिख सकते हैं.
रोहिला कहते हैं कि आदर्श तौर पर RO का पानी सावधानी के साथ लेना चाहिए. हर किसी की अलग जरूरतें होती हैं, लेकिन ये जरूरी है कि RO कंपनियां इस बारे में चेतावनी दें.
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Published: 16 Aug 2019,11:31 AM IST