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Cervical Cancer: सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए स्क्रीनिंग जरूरी, जानें WHO का लक्ष्य

Cervical Cancer: सर्वाइकल कैंसर भारत के लिए ज्यादा डरावनी इसलिए है क्योंकि सिर्फ भारत से इसके 25 प्रतिशत मरीज हैं. हर साल इसके केसेस लगातार बढ़ रहे हैं.

अंशुल जैन
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>Cervical Cancer</p></div>
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Cervical Cancer

(फोटो: फिट हिंदी/iStock)

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Cervical Cancer: सर्वाइकल कैंसर के मामले साल दर साल तेजी बढ़ रहे हैं, यह कैंसर खासकर महिलाओं को होता है. भारतीय महिलाओं को जानकारी के अभाव में सर्वाइकल कैंसर का पता एडवांस स्टेज में चलता है. सर्वाइकल कैंसर भारत के लिए ज्यादा डरावनी इसलिए है क्योंकि सिर्फ भारत से इसके 25 प्रतिशत मरीज हैं. हर साल इसके केसेस लगातार बढ़ रहे हैं. यह कैंसर मानव पैपिलोमावायरस (एचपीवी) इंफेक्शन के कारण होता है. यह वायरस को एचआईवी सिफलिस क्लैमाइडिया गोनोरिया भी कहा जाता है. धूम्रपान, खराब इम्युनिटी के कारण भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

सर्वाइकल कैंसर का इलाज क्या

पेपनिकोलाउ (Pap) परीक्षण आमतौर पर असामान्यताओं या कैंसर पूर्व कोशिकाओं (Dysplasia) का पता लगाने के लिये होता है. इसके द्वारा Early stage cancer का पता लगाया जा सकता है. Pap परीक्षण के द्वारा (HPV) वायरस का भी पता लगाया जा सकता है. इसके लिये, Pap और HPV टेस्ट किये जाते हैं. डॉक्टर नियमित अंतराल पर कैंसर पूर्व कोशिकाओं वाली महिलाओं की जांच करते हैं जिसमें डिस्प्लेसिया का उपचार किया जा सकता है, इस प्रकार कैंसर को ठीक करने में मदद मिलती है.

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'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनेजाइशन' का लक्ष्य

'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनेजाइशन' ने साल 2030 तक इस कैंसर पर काबू पाने का लक्ष्य रखा है. वैक्सीनेशन, स्क्रीनिंग और सही इलाज के जरिए इस कैंसर को खत्म किया जा सकता हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत में जब किसी महिला में सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है तो काफी एडवांस स्टेज में पता चलता है.

सर्वाइकल कैंसर में स्क्रीनिंग से कैंसर से होने वाली मुत्यु को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है. यह स्क्रीनिंग तीन से पांच वर्ष के अन्तराल में की जाती है. स्क्रीनिंग 21 से 25 वर्ष की उम्र से शुरु की जाती है. यह 65 वर्ष की आयु के बाद बंद की जा सकती है, यदि पिछली 3 रिपोर्ट नॉर्मल हो. सर्वाइकल कैंसर से बचना है तो महिलाओं को ये टेस्ट जरूर करवाने चाहिए.

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