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इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वेब सीरीज वायरल हो रही है, जिसका नाम है 'सेक्स की अदालत'. ये एक कोर्टरूम ड्रामा है, जिसमें कुछ किरदार वकील, जज, अभियुक्त बनकर सेक्स से जुड़े मिथ और धारणाओं पर बात करते हैं.
पाॅपुलेशन फाउंडेशन आॅफ इंडिया की ओर से ये सीरीज शुरू की गई है. इस सीरीज के एपिसोड में मास्टरबेशन, वर्जिनिटी, पॉर्नोग्राफी, मेंस्ट्रुएशन (माहवारी) जैसे मुद्दों पर बात की गई है.
वर्जिनिटी यानी अक्षत योनि- इसे हमारा समाज सिर्फ लड़कियों से जोड़कर देखता है. इसे लेकर तरह-तरह के मिथ फैले हुए हैं. वर्जिनिटी की बात होती है, तो वो अकसर महिलाओं के बारे में ही की जाती है. पुरुष की वर्जिनिटी को कई समाजों में उतनी अहमियत नहीं दी जाती. ऐसा माना जाता है कि जिस लड़की ने कभी सेक्स नहीं किया हो, वो वर्जिन होती है.
देखिए इस मुद्दे पर ये खास वीडियो.
भारतीय समाज का एक बड़ा तबका मानता है कि महिलाओं में होने वाली माहवारी की प्रक्रिया अपवित्रता है. ‘अपवित्रता’ का आलम ये है कि इस दौरान महिलाओं को कई मान्यताओं से गुजरना पड़ता है, जिससे वो रसोईघर में नहीं जा सकती, वो खाना नहीं बना सकती, पूजा नहीं कर सकती.
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कई बार लोग इसे लेकर शर्म महसूस करते हैं. इसलिए इन पर कम ही बात होती है. अगर होती भी है, तो दबी जुबां में आधी-अधूरी और नासमझी से भरी.
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हरेक पेरेंट्स के लिए ये एक भयानक सपने की तरह ही होता है, जब वो अपने बच्चों की इंटरनेट हिस्ट्री को खंगालें और उसे एक्स-रेटेड पोर्न साइट से भरा हुआ पाएं. टीनएज में सेक्स के बारे में उत्सुकता आपके बच्चों को सिर्फ एक क्लिक पर पोर्न साइट पर पहुंचा देगा.
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