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सोनाली बेंद्रे को कैंसर, इस बीमारी से बचने के लिए क्‍या करें?

भारत में कैंसर से करीब 25 लाख लोग पीड़ित हैं और हर साल 7 लाख से अधिक नए मामले दर्ज होते हैं.

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सोनाली बेंद्रे  ‘हाई-ग्रेड’ कैंसर से जूझ रही हैं
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सोनाली बेंद्रे ‘हाई-ग्रेड’ कैंसर से जूझ रही हैं
(फोटो: IANS)

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बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे इन दिनों कैंसर से जूझ रही हैं. बताया जा रहा है कि उन्‍हें ‘हाई ग्रेड’ कैंसर है. हालांकि उनकी बीमारी के बारे में अब तक ज्‍यादा जानकारी सामने नहीं आई है. उनसे पहले मनीषा कोइराला और इरफान खान ने भी कैंसर से पीड़ित होने की जानकारी दी थी.

आम लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर कई तरह के डर और शंकाएं हैं. ऐसे में इस बात पर जोर दिया जाता रहा है कि कैंसर से बचने के लिए समय-समय पर सेहत की जांच कराना बहुत जरूरी है. भारत में कैंसर से करीब 25 लाख लोग पीड़ित हैं और हर साल 7 लाख से अधिक नए मामले दर्ज होते हैं.

आखिर कैंसर से कैसे बचा जाए?

एक हालिया रिसर्च में ये पता लगा है कि कैंसर से होने वाली करीब 40 फीसदी मौतों को लाइफस्टाइल में बदलाव करके रोका जा सकता है.

कैंसर के आठ बड़े कारणों में तंबाकू का धुआं, खराब डाइट, शराब, ज्यादा वजन या मोटापा, इंएक्टिविटी, पराबैंगनी (यूवी) किरणें, इंफेक्शन और हार्मोन संबंधी कारण शामिल हैं.

कैंसर हमेशा जेनेटिक नहीं होता है, खराब लाइफस्टाइल के कारण भी यह बीमारी हो सकती है.

हमारी रोजमर्रा की आदतें, जिनकी तरफ हम ध्यान भी नहीं देते, वो हमारे लिए बहुत खतरनाक हो सकती हैं. हो सकता है कि सभी चीजें सीधे हमारे डीएनए पर असर न करें, लेकिन कभी-कभी वो सेल्स पर इस हद तक असर कर सकती हैं कि उनसे कैंसर हो सकता है.

यहां कुछ ऐसी 6 आदतें हैं, जिनसे हमें बचने की कोशिश करना चाहिए....

1. प्रोसेस्ड रेड मीट

हर 50 ग्राम प्रोसेस्ड गोश्त से 18 फीसदी तक कोलोन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.  (फोटो: टंबलर)  

प्रोसेस्ड गोश्त से भी कैंसर हो सकता है. लाल गोश्त से इसकी आशंका बढ़ जाती हैं. हर 50 ग्राम प्रोसेस्ड गोश्त से 18 फीसदी तक कोलोन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) से जुड़े 22 वैज्ञानिकों ने कई देशों के 800 से अधिक स्‍टडी को देखा-परखा, फिर वो इस नतीजे पर पहुंचे है. फिर भी यह इतना हैरान करने वाला नहीं है, क्योंकि यह हमेशा से सबको मालूम है कि प्रोसेस्ड गोश्त में सोडियम और फैटी एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है.

2. केमिकल

पैराबिन्स केमिकल मेकअप के प्रोडक्ट में इस्तेमाल होता है.  फोटो:iStock 

स्तन कैंसर से ग्रस्‍त होने वाली 99% महिलाओं के शरीर में पैराबिन्स केमिकल पाया जाता है. केमिकल तो बहुत सारे होते हैं, लेकिन पैराबिन्स केमिकल मेकअप के प्रोडक्ट में इस्तेमाल होता है, जो खून में मिलकर रगों में दौड़ता है, फिर धीरे-धीरे कैंसर की वजह बनता है.

रिसर्च के मुताबिक, मेकअप के सामान में बड़ी मात्रा में एल्‍युमीनियम का हिस्सा पाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदेह है. यहां तक कि डियोडरेंट चूहों के रिप्रोडक्‍ट‍िव ऑर्गन पर भी असर डालते हैं. ज्यादातर स्किन केयर प्रोडक्ट में पैराबिन्स केमिकल पाया जाता है, जो एस्ट्रोजेन की तरह मांसपेशियों को खत्म कर सकता है.

3. शराब

ब्रिटेन के नए डाइट डायरेक्‍शन में साफ कहा गया है कि शराब पीने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए इसे पीने की हिमायत नहीं की जा सकती. दो दशकों में ये मौका है कि जानकार खुले रूप में इसकी चेतावनी दे रहे हैं.

शराब कम या ज्यादा पीना, दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. कुछ साल पहले तक यह माना जाता था कि शराब की थोड़ी मात्रा 40 साल से अधिक पुरुषों और महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा कम कर सकती है, खासकर रेड वाइन. लेकिन अब जानकारों की ये राय बदल चुकी है.

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4. सूरज की किरणें

95% त्वचा कैंसर सूरज की तेज किरणों का नतीजा है(फोटो: वेब)  

ऐसा कहा जाता रहा है कि सर्दियों में धूप में बैठना विटामिन D का बेहतरीन स्रोत है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरज की किरणें भी आपके लिए कितनी खतरनाक हो सकती हैं? सूरज की किरणों में अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन पाया जाता है, जिनसे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. मेलेनोमा नाम का कैंसर ज्यादातर सूरज की किरणों की वजह से होता है. ये जानलेवा स्किन कैंसर है, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है.

5. नाइट शिफ्ट में काम करना

केवल 5 साल तक नाइट शिफ्ट में काम करने से कैंसर की आशंका 11% बढ़ सकती है.  (फोटो: pixabay)  

जानकारों के मुताबिक, दिन में 9 से 5 बजे तक काम करने वाली महिलाओं की तुलना में रात की शिफ्ट करने वाली महिलाओं में दिल की बीमारी, कैंसर और स्ट्रोक से जान जाने का खतरा बढ़ जाता है.

अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एक स्‍टडी में पाया है कि पांच या अधिक साल तक कभी रात, कभी दिन बदल-बदलकर शिफ्ट में काम करने वालों को दिल की बीमारियों और कैंसर से मौत का खतरा बढ़ गया था. रात में केवल 5 साल तक काम करने पर कैंसर की आशंका 11% बढ़ सकती है.

6. डीजल

डीजल के धुएं के नियमित संपर्क से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है.  (फोटो: wiki)  

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, डीजल से चलने वाले इंजन से निकले धुएं से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. रिसर्च से पता चला है कि डीजल के धुएं के नियमित संपर्क से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है. जानकारों के मुताबिक, यह चेन स्मोकर होने से भी ज्यादा खतरनाक है.

(यह आर्टिकल WHO की रिपोर्ट से मिली जानकारियों पर आधारित है.)

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Published: 04 Jul 2018,10:09 PM IST

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