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दिल, फेफड़े और आंत की बीमारियों का कारण बन सकता है स्पांडिलाइटिस

स्पांडिलाइटिस बन सकता है और भी गंभीर बीमारियों की वजह

आईएएनएस
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एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस गठिया का एक सामान्य प्रकार है, जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और पीठ में दर्द होता है
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एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस गठिया का एक सामान्य प्रकार है, जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और पीठ में दर्द होता है
(फोटो: iStock)

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क्या आपको कमर में अकड़न, पीठ और जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है, जिसके कारण आप रात में ठीक से सो नहीं पाते हैं? अगर जोड़ों में दर्द की वजह से रात में तीन-चार बजे आपकी नींद खुल जाती है और आप असहज महसूस करते हैं, तो जल्द डॉक्टर से सलाह लीजिए क्योंकि आपको स्पांडिलाइटिस की शिकायत हो सकती है. स्पांडिलाइटिस से दिल, फेफड़े और आंत समेत शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं.

स्पांडिलाइटिस को न करें नजरअंदाज

दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के रूमेटोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ पीडी रथ बताते हैं कि स्पांडिलाइटिस को नजरअंदाज करने से गंभीर रोगों का खतरा पैदा हो सकता है. उन्होंने बताया कि इससे बड़ी आंत में सूजन यानी कोलाइटिस हो सकता है और आंखों में संक्रमण हो सकता है.

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क्या है स्पांडिलाइटिस?

स्पांडिलाइटिस एक प्रकार का गठिया रोग है. इसमें कमर से दर्द शुरू होता है और पीठ और गर्दन में अकड़न के अलावा शरीर के निचले हिस्से जांघ, घुटना व टखनों में दर्द होता है. रीढ़ की हड्डी में अकड़न बनी रहती है. स्पांडिलाइटिस में जोड़ों में इंफ्लेमेशन की वजह से भयानक दर्द होता है.

रीढ़ की हड्डी में अकड़न बनी रहती है.(फोटो: iStock)
नौजवानों में स्पांडिलाइटिस की शिकायत ज्यादा होती है. आमतौर पर 45 से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं में स्पांडिलाइटिस की शिकायत देखी जाती है.
डॉ पीडी रथ, मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली

एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस

एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस गठिया का एक सामान्य प्रकार है, जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और पीठ में दर्द होता है, जिससे बेचैनी महसूस होती है. इसमें कंधों, कूल्हों, पसलियों, एड़ियों और हाथों व पैरों के जोड़ों में दर्द होता है. इससे आखें, फेफड़े और दिल भी प्रभावित होता है.

बच्चों में जुवेनाइल स्पांडिलोअर्थराइटिस होता है जो कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है और यह वयस्क होने तक तकलीफ देता है. इसमें शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों में दर्द व सूजन की शिकायत रहती है. जांघ, कूल्हे, घुटना और टखनों में दर्द होता है. इससे रीढ़, आंखें, त्वचा और आंत को भी खतरा पैदा होता है. थकान और आलस महसूस होता है.

जांघ, कूल्हे, घुटना और टखनों में दर्द होता है(फोटो: iStock)
स्पांडिलाइटिस से पीड़ित लोगों को रात में नींद नहीं आती है और जोड़ों में दर्द होने से तीन-चार बजे नींद खुल जाती है और बेचैनी महसूस होती है.  
डॉ पीडी रथ, मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली

डॉ रथ के मुताबिक जब जोड़ों में दर्द की शिकायत हो, तो उसकी जांच करवानी चाहिए क्योंकि इससे उम्र बढ़ने पर तकलीफ और बढ़ती है.

स्पांडिलाइटिस की जांच

खून का सैंपल लेकर लैब में जांच की जाती है(फोटो: iStock)

एचएलए-बी 27 जांच करवाने से स्पांडिलाइटिस का पता चलता है. एचएलए-बी 27 एक प्रकार का जीन है, जिसका पता खून की जांच से चलता है. इसमें खून का सैंपल लेकर लैब में जांच की जाती है. इसके अलावा एमआरआई से भी स्पांडिलाइटिस का पता चलता है.

दवाई और फिजियोथेरेपी से इलाज संभव

स्पांडिलाइटिस का पता चलने पर इसका इलाज आसान हो जाता है. ज्यादातार मामलों में इलाज दवाई और फिजियोथेरेपी से हो जाता है. कुछ ही गंभीर व दुर्लभ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

डॉ रथ ने कहा कि स्पांडिलाइटिस एक गंभीर रोग है, मगर इस पर अभी बहुत कम रिसर्च हुआ है. भारत में आयुर्वेद और एलोपैथिक पद्धति के बीच समन्वय से अगर इस पर रिसर्च हो, तो इसके निदान में लाभ मिल सकता है.

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Published: 09 Aug 2018,03:14 PM IST

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