मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जो लोग सुसाइड की सोचते हैं, उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है ?

जो लोग सुसाइड की सोचते हैं, उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है ?

जानिए सुसाइड करने वाले शख्स के दिमाग में क्या चल रहा होता है.

रोशीना ज़ेहरा
फिट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>  जो सुसाइड की सोचते हैं, उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है ?</p></div>
i

जो सुसाइड की सोचते हैं, उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है ?

(फोटो: iStockphoto)   

advertisement

भारत में मौत का एक प्रमुख कारण सुसाइड या आत्महत्या है. यह बात लांसेट की एक स्टडी में सामने आई है. स्टडी के अनुसार ऐसे कई कारक हैं, जो सुसाइड की वजह बनते हैं.उनमें से एक कारण डिप्रेशन है. एक शख्स जो अपनी जिंदगी को खत्म करने वाला है या खुदकुशी करने की सोच रहा है, उसके दिमाग में आखिर क्या चल रहा होता है? केमिकल लेवल पर उनके साथ क्या हो रहा होता है? क्या कुछ लोगों में जेनेटिकली दूसरों के मुकाबले सुसाइड करने की तरफ झुकाव अधिक होता है? और अंत में, वह फाइनल टिपिंग पॉइंट या ट्रिगर क्या है, जिसके कारण लोग इस तरह के कदम उठा लेते हैं.

इस गुत्थी को सुलझाने के लिए हम डॉक्टर के पास पहुंचे.

केमिकल लेवल पर क्या चल रहा होता है?

डिप्रेशन या अवसाद, सुसाइड के सबसे आम कारणों में से एक है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में सुसाइड के कारण मरने वाले लोगों में दो-तिहाई लोग डिप्रेशन से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा कनाडा के रिसर्च में पाया गया कि डिप्रेशन से जूझ रहे वो लोग जो सुसाइड करने के लिए आगे बढ़े, उनके ब्रेन में GABA केमिकल असामान्य रूप से मौजूद था. GABA ब्रेन का एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है.

सुसाइड करने वाले के ब्रेन में केमिकली क्या चल रहा होता है. (फोटो: iStockphoto)

GABA के लेवल की तुलना उन लोगों के बीच की गई जो डिप्रेशन के कारण सुसाइड करते हैं और बिना डिप्रेशन के दूसरे कारण से मर जाते हैं. इसमें रिसर्चर्स ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों ग्रुप के ब्रेन के फ्रंटोपोलर कॉर्टेक्स में GABA रिसेप्टर्स की मौजूदगी में महत्वपूर्ण अंतर था.

इस रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग अक्सर सुसाइड करने के बारे में सोचते हैं, उनके सेंट्रल नर्वस सिस्टम के आसपास तरल पदार्थ में रूप में एक अन्य केमिकल क्विनोलिनिक एसिड का लेवल बढ़ा हुआ था.

एक और केमिकल जिसे अहम माना जाता है, वो है सेरोटोनिन. सेरोटोनिन वह केमिकल है, जो आपके पॉजिटिव मूड को कंट्रोल करता है. जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में पब्लिश एक रिपोर्ट में बताया गया कि जिन लोगों में आत्महत्या का पैटर्न दिखता है, उनके ब्रेन में सेरोटेनिन का लेवल भी कम होता है.

इस बात की पुष्टि मैक्स हॉस्पिटल, डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज के डायरेक्टर डॉ समीर मल्होत्रा ने भी की है. डॉ समीर कहते हैं कि सुसाइडियल बिहेवियर और सोच वाले लोगों के ब्रेन में सेरोटोनिन का लेवल अक्सर कम पाया जाता है.

सामाजिक, सांस्कृतिक कारण से इतर सुसाइड की दूसरी वजहें

आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, द्वारका में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज में कंसल्टेंट साइकियाट्री, डॉ निकिता राजपाल सुसाइड करने के विचार और पैटर्न की बात करने पर सेरोटोनिन की भूमिका पर जोर देती है.

बात जब सुसाइड से जुड़े बिहेवियर की आती है, तो कई डिजाइन, पोस्टमॉर्टम और इन-वीवो तकनीकों&nbsp; से की गईं स्टडीज की एक सीरिज के रिजल्ट्स सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम और स्ट्रेस-रिस्पॉन्स सिस्टम के दोष को दिखाते हैं.
डॉ निकिता राजपाल

डॉ मल्होत्रा इसमें मूड और मेंटल डिसऑर्डर की बात जोड़ते हैं, जो किसी को सुसाइड या खुद की जान लेने की राह पर ले जाता है.

सुसाइड से जुड़ा बिहेवियर व्यक्ति के भीतर डिप्रेशन, मूड डिसऑर्डर, सिजोफ्रेनिया, शराब पर निर्भरता और इंपल्स डिसकंट्रोल से जुड़ा हुआ है.
डॉ समीर मल्होत्रा
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऐसा क्या है, जिससे आखिर में लोग खुदकुशी कर लेते हैं?

ऐसा क्या है, जिससे कोई आखिर में खुदकुशी का कदम उठा लेता है, इस पर डॉक्टर कोई एक कारण या साफतौर पर किसी वजह का उल्लेख नहीं करते हैं. शायद कोई एक कारण होता ही नहीं है. इसके साथ ब्रेन में क्या चल रहा होता है, भावनात्मक झुकाव, व्यक्तित्व, जीवन के अनुभव और जिंदगी की हकीकत- सभी की भूमिका होती है.

एक बार जब सुसाइड करने का विचार किसी के दिमाग में आता है, तो वह जानबूझ कर खुद को फिजिकली नुकसान पहुंचा सकता है. (फोटो: iStockphoto)

डॉ राजपाल इसे इस तरीके से समझाती हैं:

सुसाइड से जुड़ा व्यवहार और सुसाइड एक क्रम में है. किसी व्यक्ति के जेनेटिक और बायोलॉजिकल फैक्टर उसके व्यक्तित्व कारकों (आक्रामकता/आवेग) और साइकोलॉजिकल बनावट (परफेक्शनिज्म/ लो ऑप्टिमिज्म) के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं. ऐसे लोग जो लाइफ में निगेटिव घटनाओं या मनोरोग संबंधी विकार या किसी भी तरह के मनोवैज्ञानिक संकट या निराशा का सामना करते हैं, उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति का विकास होता हैं. 

एक बार जब किसी के मन में सुसाइड करने का विचार आता है, या जिसे डॉ राजपाल ‘सुसाइड आइडिएशन’ कहती हैं, तो वह व्यक्ति जानबूझ कर खुद को फिजिकली नुकसान पहुंचा सकता है. और इस तरह के मोशन का एक और साइकल सेट होता है.

सुसाइड का विचार व्यक्ति को किसी भी प्रकार से खुद को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के लिए प्रेरित करती है. स्वयं को नुकसान पहुंचाने के प्रयास का परिणाम गैर-घातक या घातक हो सकता है. किसी भी रूप में नॉन-सुसाइडियल सेल्फ-इंजरी से सुसाइड के प्रयास का रिस्क बढ़ जाता है, जो पूरी तरह से सुसाइड के रिस्क को बढ़ा देता है.
डॉ निकिता राजपाल

किसी में सुसाइड की ओर रुझान को कैसे दूर करें?

पहला स्टेप इसकी पहचान करना है. अगर किसी ने खुद में या किसी प्रियजन को सुसाइड की प्रवृत्ति का प्रदर्शन करते हुए पाया है, तो उन्हें यह महसूस करने/कराने की जरूरत है कि इसका सॉल्यूशन मौजूद है, जो उन्हें इससे दूर लेकर जा सकता है.

उन्हें महसूस कराने की जरूरत है कि समाधान है.(फोटो: iStockphoto)

डॉ मल्होत्रा कहते हैं कि यह निराशा की भावना है, जो किसी को इस दिशा में ले जाती है. हालांकि, इस उम्मीद को जगाने के लिए रास्ते हैं. पहला कदम, वह कहते हैं, यह समझने के लिए कि किसी को सुसाइड करने के लिए प्रेरित करने में बायोलॉजिकल और इन्वॉयरमेंटल फैक्टर्स की बड़ी भूमिका है. इन बाहरी कारणों की महत्वपूर्ण उपस्थिति के कारण, यह महसूस करना आवश्यक है कि सवाल व्यक्ति के आवश्यक रूप से 'गलत' या 'टूटा हुआ' होने जैसा कुछ भी नहीं है.

डॉ राजपाल मदद चाहने वाले किसी व्यक्ति के लिए एक रास्ता सुझाती हैं.

जब मरीज हमारे पास खुद को नुकसान पहुंचा कर पहुंचता है, तो हम उसका पूरा असेस्मेंट करते हैं. यह असेस्मेंट हमें रिस्क फैक्टर/ कारण की पहचान करने में मदद करता है. इसके बाद सुसाइडियल बिहेवियर और खुद को नुकसान पहुंचाने वाला व्यवहार दवाई, मनोवैज्ञानिक और मनोसामाजिक इलाज के जरिए ठीक किया जाता है.
डॉ निकिता राजपाल

सबसे महत्वपूर्ण बात है, जैसा कि दोनों डॉक्टर सुझाते हैं, सबसे पहले समस्या की पहचान और उसको स्वीकार करना है. इसके बाद डॉक्टर से संपर्क कर मदद लें.

(अगर आपको या आपके प्रियजनों को मदद की जरूरत है, तो यहां विशेषज्ञों और हेल्पलाइन नंबरों की लिस्ट है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 29 May 2019,04:38 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT