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अपने अब तक के अनुभव से मेरा ये मानना है कि हम अपनी ज्यादातर समस्याओं का समाधान भोजन के जरिए कर सकते हैं. जी हां, मुझे भोजन, मैं वास्तविक भोजन की बात कर रही, की ताकत पर पूरा भरोसा है. इसलिए, मेरा मानना है कि सप्लीमेंट्स पूरी तरह से पैसे की बर्बादी हैं. अगर किसी को कोई गंभीर समस्या नहीं है, तो इससे दूर रहना बेहतर है.
काम की बात वास्तव में बहुत आसान है: सप्लीमेंट्स, अच्छे पोषण या न्यूट्रिशन का विकल्प नहीं है. लेकिन कहा जा रहा है कि, आज के (कठिन) समय में, कुछ सप्लीमेंट्स ऐसे हैं, जो कई लोगों के लिए कमोबेश जरूरी हो गए हैं. नीचे ऐसे विटामिन और आवश्यक चीजों की लिस्ट दी गई है, जिन्हें कुछ फूड सोर्स के जरिए हम प्राप्त कर सकते हैं.
जब हमारी त्वचा धूप के संपर्क में आती है, तो हमारा शरीर अपने आप विटामिन डी बनाता है. ये कैल्शियम के अवशोषण (Absorption) और हड्डियों के विकास में मदद करता है. ये कोशिकाओं के विकास, इम्यूनिटी (सफेद रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है) और शरीर में सूजन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है. दुर्भाग्य से, एक धूप वाले देश में रहने के बावजूद, हम में से ज्यादातर लोगों में विटामिन डी की कमी है. जेनेटिक कारण यहां अपना प्रभाव डालते हैं. हमारी त्वचा में मेलेनिन के कारण पर्याप्त विटामिन नहीं बनता है. इसके बाद हमारी लाइफस्टाइल भी एक कारण है, जिसकी वजह से हम धूप में पर्याप्त समय नहीं बिताते हैं.
लक्षण: इम्यूनिटी में कमी, नरम और कमजोर हड्डियां, थकान, वजन बढ़ना, हड्डियों, मसल्स और पीठ में दर्द, थायराइड की खराबी, डिप्रेशन, मूड स्विंग, एलर्जी और बालों का झड़ना.
इन फूड से प्राप्त करें: ऑयली फिश (सामन, सार्डिन, टूना, मैकेरल, ट्राउट), डेयरी प्रोडक्ट और अंडे की जर्दी. इसके अलावा पर्याप्त रूप से धूप सेंकना!
हमारा शरीर इस विटामिन को नहीं बनाता है. इसलिए हमें रेगुलर भोजन के जरिए इसकी सप्लाई करने की आवश्यकता है. उम्र बढ़ने के साथ, भोजन से विटामिन बी 12 को लेने की हमारे शरीर की क्षमता धीमी हो जाती हैं. इसलिए भोजन के जरिए इसकी अधिक जरूरत होती है. वेजिटेरियन या शुद्ध वेजिटेरियन (जो डेयरी प्रोडक्ट और अंडे नहीं खाते हैं) होने के नाते रिस्क कई गुना बढ़ जाता है. क्योंकि B12 ज्यादातर नॉन-वेज फूड में पाया जाता है. इसकी जरूरत इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह एनीमिया से बचाव में मदद करता है. थकान और कमजोरी को रोकता है और हमारे नर्वस सिस्टम को ठीक रखता है.
लक्षण: बहुत तेज दर्द, अधिक थकान, धड़कन तेज होना, ब्रेन फॉग और कभी कभी भी धुंधला या डबल दिखना. थकान, कमजोरी और सुस्ती, स्तब्ध हो जाना और हाथ और पैर में असहज करने वाली चुभन या झुरझुरी महसूस होना; भूलने की बीमारी, भटकाव और सोचने व तर्क करने में कठिनाई.
इन फूड से प्राप्त करें: अंडे, मछली, मांस, और पॉल्ट्री सबसे अच्छा सोर्स हैं. वेजिटेरियन इसे डेयरी प्रोडक्ट, टोफू और मशरूम से प्राप्त कर सकते हैं.
अगर किसी में मैग्नीशियम की कमी है तो इसका पता लगाना वास्तव में मुश्किल है क्योंकि इस मामले में ब्लड टेस्ट बहुत विश्वसनीय नहीं होते है. इसकी कमी का अक्सर पता ही नहीं लग पाता है. इसकी कमी होने पर उदासी होने के साथ ही हमारे शरीर की कुशलता में कमी आती है. इसके अलावा, लंबे समय तक स्ट्रेस भी एक बड़ा विलेन है, क्योंकि यह मैग्नीशियम की कमी को बढ़ा सकता है. फैक्ट ये है कि ब्रेन, हार्ट और न्यूरॉन्स, सभी को ठीक से काम करने के लिए मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है. लेकिन पर्याप्त फूड सोर्स के बावजूद, हमारे भोजन की खराब क्वालिटी के कारण हमें मैग्नीशियम की कमी का सामना करना पड़ता है. शराब से भी शरीर में मैग्नीशियम की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है.
लक्षण: मांसपेशियों में ऐंठन, चेहरे और आंख के टिक्स जैसे बार-बार पलकें झपकाना, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस, असमान धड़कन, अनिद्रा, हाइपर एक्टिविटी और मसल्स में पुराना दर्द.
इन फूड से प्राप्त करें: साग, विशेष रूप से पालक, मेवे विशेष रूप से बादाम, अखरोट, काजू और मूंगफली, बीज विशेष रूप से कद्दू और सूरजमुखी के बीज, मछली (मैकेरल, सामन, हालिबट), बीन्स, साबुत अनाज (रिफाइनिंग ज्यादातर मैग्नीशियम को हटा देता है, इसलिए हर सुबह खाने वाली रोटी में इस कीमती मिनरल का थोड़ा सा हिस्सा होता है), एवोकाडोस, दही, केले, सूखे फल, बैंगन, और बिना पका हुआ कोको.
ओमेगा 3 आपमें थोड़ा बदलाव ला सकता है. हार्ट डिजीज के रिस्क को कम कर सकता है, स्तन कैंसर को दूर रख सकता है, आपको शांत रख सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से, हम में से अधिकतर लोग अपने खाने में इस वंडर न्यूट्रिशन की पर्याप्त मात्रा नहीं ले रहे हैं. इस फैक्ट के लिए शुक्रिया कि इसका अधिकांश स्रोत नॉन-वेज फूड है. साथ ही, हम सभी ओमेगा 6 बहुत मात्रा में लेते हैं. ओमेगा 6 और ओमेगा 3 का असंतुलन शरीर के लिए नुकसानदेह होता है.
लक्षण: डिप्रेशन, हाई ब्ल्ड प्रेशर, दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज, थकान, सूखी, खुजली वाली त्वचा / एक्जिमा / सोरायसिस, कमजोर बाल और नाखून, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी), जोड़ों का दर्द, अल्जाइमर, अस्थमा, बायपोलर डिसऑर्डर, माइग्रेन, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मोटापा, पुराना ऑस्टियोअर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, रूमेटॉइड अर्थराइटिस.
इन फूड से प्राप्त करें: ऑयली मछली (सैमन, मैकेरल, ट्राउट, सुरमई, सिंघारा, हिलसा, रोहू). अगर आप मछली नहीं खाते हैं या शुद्ध शाकाहारी हैं, तो हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे कि मेथी, सरसों के पत्ते, चवली के पत्ते, पालक, फ्लैक्ससीड्स और अखरोट खाएं.
(कविता देवगन एक न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने दो बुक ‘Don't Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico)’ और ‘Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) लिखी है.)
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Published: 26 Sep 2019,05:28 PM IST