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देवी की पूजा के नौ दिन, मौज-मस्ती के नौ दिन. नवरात्रि का मतलब ही है उत्सव. चाहे वो डांडिया की कभी ना खत्म होने वाली रातें हों या पायस और एग रोल्स के साथ एक पंडाल से दूसरे पंडाल तक जाना या पहले उपवास और फिर साबूदाना खीर का मजा लेना.
यही वो समय होता है जब मीठा खाने की इच्छा कुछ ज्यादा जोर मारती है. लेकिन उत्सव और मौज-मस्ती के बीच संतुलन बेहतर होगा अगर आप शक्कर के बारे में थोड़ी जानकारी हासिल कर लें.
बचपन में मेरा मनपसंद नाश्ता था गुड़ का पराठा. बढ़ते हुए बच्चे को ये खिलाना बिलकुल सही माना जाता था. शादी और एक बच्चे के बाद मुझे महसूस हुआ कि ये सिर्फ उत्तर भारतीय चलन नहीं है.
अगर मेरी मां को सूजी की खीर पसंद थी, मेरी सास की चाहत थी रागी की मीठी कांजी. अगर मेरा बेटा खाने में नखरे करता तो मेरी मां कहती कि उसे चीनी का पराठा दो और मेरी सास का सुझाव होता कि उसे इडली, घी और चीनी दो.
और ‘ज्यादा चीनी अच्छी नहीं है’ की मेरी आपत्तियां ये कहकर खारिज कर दी जातीं कि खेलने-कूदने वाले बच्चों को फर्क नहीं पड़ता. मुझे कहा जाता था कि जरूरत से ज्यादा मत सोचो, बच्चों के लिए थोड़ी शक्कर जरूरी है.
सच पूछिए, तो सच्चाई इससे काफी दूर है. इसे समझने के लिए, पहले देखते हैं कि शक्कर वास्तव में है क्या.
जब हम चीनी खाते हैं, हमारे खून को तुरंत ग्लूकोज या एनर्जी मिलती है. ये हमें थोड़ी देर के लिए खुश और चुस्त महसूस कराता है. लेकिन माना जाता है कि शक्कर फायदे से ज्यादा नुकसान करता है.
बहुत ज्यादा शक्कर से “शुगर हाई” की दिक्कत हो सकती है. डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे काफी जल्दी इसकी चपेट में आ जाते हैं. वैज्ञानिक नजरिये से, शुगर हाई इसलिए होता है, क्योंकि शक्कर ज्यादा लेने से इंसुलिन ज्यादा बनने लगता है, जिसके नतीजे में खून से सारी शक्कर बाहर निकलती है और फिर सुस्ती महसूस होती है.
बच्चों के व्यवहार में तेज उतार-चढ़ाव के लिए शक्कर को ही सबसे बड़ा दोषी माना जाता है. और हाल ही के एक रिसर्च के मुताबिक, शक्कर वास्तव में प्रतिरोधक क्षमता घटाती है और शरीर को पोषण तत्वों को ग्रहण करने से रोकती है.
सफेद चीनी का इस्तेमाल कम करें. इसकी जगह गुड़, रॉ शुगर और शहद का इस्तेमाल करें. पैकेटबंद चीजों की सामग्री जरूर पढ़ें. आपको समझ आएगा कि कितनी सारी चीजों के जरिये शक्कर शरीर में जा रहा है. याद रखें कि अगर किसी चीज की ऊपरी चार सामग्री में शक्कर हो तो उसे ना खरीदें, क्योंकि इसका मतलब है कि उसमें काफी ज्यादा शक्कर है.
टेट्रा पैक वाले जूस से बचें. भले ही उसमें बाहर से कोई शक्कर नहीं डाली गई हो, फ्रूट शुगर कंसन्ट्रेशन अपने आप में पूरे दिन की शक्कर की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.
स्मार्ट विकल्प चुनें. सेब, केले और खजूर वाले ड्रिंक्स इस्तेमाल करें. चीनी की जगह शहद या गुड़ इस्तेमाल करें. हालांकि ये ध्यान रखें कि वो भी ‘शक्कर’ ही हैं.
चीनी ना खाने की आदत डालें. बचपन से ही सही आदतें डालना बेहतर है. आप बच्चों को समझाएं कि ज्यादा चीनी खाना शरीर के लिए ठीक नहीं है.
अब जबकि हमारी जिंदगी से शक्कर बाहर हो रही है, तो अगला कदम क्या होना चाहिए. ये त्यौहारों का समय है. तो जब हमारे चारों तरफ मिठाइयां हों तो शक्कर से कैसे बचें? लेकिन मेरा मानना है कि यही सही समय है बदलाव लाने का. मैं आपको बताती हूं बेहद स्वादिष्ट खीर रेसिपी और वो भी बिना चीनी की.
इस खीर में मिठास आती है सेब और छुहारे से. दोनों ही किसी भी तरह की प्रोसेस्ड चीनी के मुकाबले बेहतर विकल्प हैं. और ये खीर इतनी स्वादिष्ट है कि आप पुरानी खीर को याद भी नहीं करेंगे.
छुहारा, सेब और नारियल खीर
लगने वाला समय- 30 मिनट
4-6 लोगों के लिए
सामग्री
1 लीटर दूध
200 ग्राम छुहारे
2 बड़े सेब (कद्दूकस किए)
50 एमएल डेट सीरप
1 टेबलस्पून घी
¼ कप नारियल (कद्दूकस किए)
2 टेबलस्पून किशमिश
छुहारे में से बीज निकालकर उन्हें बारीक काट लें. एक भारी कड़ाही में दूध उबालें. इसमें छुहारे डालें और धीमी आंच पर छुहारों को तब तक पकाएं जब तक दूध गाढ़ा ना हो जाए. इसमें करीब 10-15 मिनट लगेंगे. इस बीच, एक दूसरी कड़ाही में, घी गर्म करें और उसमें कद्दूकस किए हुए सेब, किशमिश, नारियल और डेट सीरप डालें. सेब को तब तक पकाएं जब तक वो कैरेमल का रंग ना ले ले. अब दूध और छुहारे के घोल में सेब का मिश्रण मिलाएं और गैस बंद कर दें. इसे गर्म या ठंडा, जैसा आप चाहें, वैसे परोसें.
तो देखा आपने, हम त्यौहारों के लिए तैयार हैं और बिना शक्कर से समझौता किए. तो फिर त्यौहारों का मजा लेने के लिए मेरी शुभकामनाएं!
(मोनिका मनचंदा पूर्व आईटी प्रोफेशनल हैं और अब वो एक फूड ब्लॉगर, कंसल्टेंट, होम बेकर और फूड फोटोग्राफर हैं. उन्हें संगीत, लेखन, खाने-पीने और घूमने-फिरने का शौक है. उनसे आप monika.manchanda@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं)
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