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मैटरनिटी लीव के बाद दोबारा काम पर लौटना कई महिलाओं के लिए बहुत तनावपूर्ण हो सकता है. महीनों बाद काम पर जाना और बेहतर तरीके से काम करना मुश्किल लगता है और थोड़ा एडजस्ट करने की जरूरत भी होती है. साथ ही बच्चे को घर छोड़कर आना मां को मानसिक रूप से भी परेशान करता है और ऐसे में काम पर पूरी तरह से ध्यान देना कठिन हो सकता है.
काम हम सभी को थका देता है और जब हम घर पहुंचते हैं, तो सिर्फ आराम और खुद के लिए कुछ वक्त की चाहत होती है. लेकिन जब आपके घर में छोटा बच्चा होता है, तो ऐसा नहीं हो सकता.
आप अपने बच्चे के साथ खेलना और उनके साथ रहना चाहती हैं, लेकिन साथ ही अगली सुबह फ्रेश महसूस करना चाहती हैं, ताकि ऑफिस में भी अपना काम अच्छे से कर पाएं. जाहिर है ऐसा करना बहुत आसान नहीं है, लेकिन अगर अच्छी तरह से मैनेज किया जाए, तो आप ऑफिस और बच्चे दोनों को बेहतर तरीके से संभाल सकती हैं.
हालांकि, ये किसी जादू की तरह नहीं है कि अपने आप सब हो जाए, इसके लिए आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी या यूं कहें कि कुछ टिप्स को अपनाना होगा, ताकि लंबी छुट्टी के बाद भी आप ऑफिस और बच्चे को अच्छी तरह संभाल सकें.
मैटरनिटी लीव के बाद जब आप दोबारा ऑफिस ज्वॉइन करती हैं, तो सबसे पहला ख्याल ये आता है कि जब आप घर पर नहीं रहेंगी तो बच्चे की देखभल कौन करेगा. यह हो सकता है कि आप अपने साथी, अपने माता-पिता या ससुराल वालों से बातचीत कर एक तरीका निकाल लें कि जब आप घर पर ना हों, तो बच्चे की देखभाल वो कर लें. लेकिन अगर आपके ससुराल वाले या माता-पिता आसपास नहीं रहते हैं, तो ऐसे में शायद आप हेल्पर के भरोसे या डे-केयर में बच्चे को छोड़ने के बारे में सोचेंगी.
किसी पर भी बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपने से पहले ये तय कर लें कि क्या आप पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि वो आपके बच्चे की देखभाल अच्छे तरीके से कर पाएंगे या फिर आपको ऐसा लगता है कि आप पूरे दिन काम के दौरान भी बच्चे के बारे में सोच कर परेशान होने वाली हैं.
हां, ऑफिस में भी बच्चे को लेकर थोड़ी बहुत चिंता होना लाजिमी है, लेकिन अगर आप हर वक्त बच्चे को लेकर चिंतित रहती हैं, तो आपका काम प्रभावित हो सकता है और ऐसे में आपको प्लान बदलने के बारे में सोचना चाहिए. सुनिश्चित करें कि आप बच्चे को जहां भी रखें, समय-समय पर उसकी खबर ले पाएं, बच्चे की देखभाल करने वाले से भी आप सहज रहें ताकि वो खुद आपको बच्चे की जानकारी देते रहें.
सैद्धांतिक रूप से हम सभी जानते हैं कि काम और जीवन में संतुलन महत्वपूर्ण है और हमें संतुलन बना कर ही रखना चाहिए, लेकिन हम ऐसा तब तक नहीं कर सकते, जब तक हम यह नहीं जानते कि ऐसा होने पर हमारी लाइफ कैसी दिखती है.
इस लिस्ट में काउंट करें कि आप कितने घंटे ऑफिस के काम को देने वाली हैं, आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं और उनके लिए समय कैसे निकालेंगी. शुरुआत आदर्श विचार से करें और फिर पूरी स्थिति और खुद की आदतों के बारे में विचार कर इसे रियलिस्टिक (यथार्थवादी) बनाने की कोशिश करें.
जब आप लंबे अंतराल के बाद काम पर वापस आती हैं तो थोड़ा अजीब लगना सामान्य बात है, लेकिन फिर से काम के संपर्क में आने का प्रयास करें. वर्क फाइलों को पढ़ें, अपने सीनियर्स से बात करें. जहां से छोड़ा था, वहां से दोबारा जुड़ने की कोशिश करें.
क्या आपको कोई ऐसी फीडबैक मिली थी, जिसे आपको फिर से अपने काम में शामिल करने की आवश्यकता है? या शायद आप भूल गई हैं कि आप कुछ खास तरह के काम में कितनी अच्छी थीं. आप अपने सहयोगियों और दोस्तों से भी मिल सकती हैं - जो आपको आपके वर्क मोड के बारे में याद दिलाते हैं.
थोड़ी फ्लेक्सिब्लिटी मांगने में डरे नहीं. एम्प्लॉयर्स (नियोक्ता) अब तेजी से प्रगतिशील हो रहे हैं. समय और डेडलाइन के साथ अपने दृष्टिकोण को बदलने के इच्छुक हैं, यानी अगर काम पूरी दक्षता और प्रतिबद्धता के साथ पूरा हो रहा है, तो बॉस आपके सुविधा के अनुसार टाइमिंग में थोड़ा बहुत फेरबदल करने को राजी हो जाते हैं.
यह बेहतर होगा कि आप साफ बता दें कि आप कितना काम करने में सक्षम हैं; किसी भी काम के लिया ‘हां’ कर बाद में ‘ना’ नहीं कहें, इससे आप भरोसेमंद बनी रहेंगी और भविष्य में किसी काम के पूरा ना होने पर खुद को दोषी महसूस नहीं करेंगी.
खुद के लिए दयालु बनें; यह समायोजन (एडजस्टमेंट) करना आसान नहीं है और इसके बारे में भावनात्मक होना और खुद को दोषी महसूस करना सामान्य है. तो, हर बार खुद को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करें. एक कुशल कर्मचारी और एक अच्छी मां बनने के लिए खुद की देखभाल करना बहुत जरूरी है.
(प्राची जैन एक साइकॉलजिस्ट, ट्रेनर, ऑप्टिमिस्ट, रीडर और रेड वेल्वेट्स लवर हैं.)
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Published: 15 Dec 2018,03:12 PM IST