advertisement
तुलसी के पौधे का हमारे देश में धार्मिक महत्व है. हजारों साल से घरों में तुलसी की पूजा भी की जाती है. ये तो है धर्म से जुड़ा हुआ हिस्सा, लेकिन इसके अलावा तुलसी में औषधीय गुण भी बहुत हैं. तुलसी अपने अनगिनत चिकित्सकीय फायदों के कारण आयुर्वेद में सबसे ज्यादा मांगी जाने वाली औषधियों में से एक है.
आपकी रोजाना की चाय में कुछ पत्ते डालकर घर में बने काढ़े (सर्दी-जुकाम के इलाज के लिए) में इस्तेमाल से लेकर तुलसी ऐसी औषधि है, जिसकी हमारी दादी-नानी और मां ने कसम तक ली है. न्यूट्रीबॉन्ड में न्यूट्रिशनिस्ट और क्लीनिकल डाइटीशियन डॉ हुदा शेख कहती हैं,
एच1एन1 और डेंगू जैसे संक्रामक रोगों के बढ़ने के साथ, तुलसी के एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण शक्तिशाली रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाने वाले का काम करते हैं और संक्रमण का खतरा कम करते हैं.
आयुर्वेदिक डॉक्टर्स फेफड़े और वायुमार्ग साफ करने के लिए गुनगुने पानी के साथ तुलसी के 5-6 पत्ते चाबने की सलाह देते हैं.
लेकिन, आपको तुलसी कैसे खानी चाहिए? तुलसी में अत्यधिक मात्रा में मौजूद आयरन और मर्करी अक्सर दांतों के लिए नुकसानदायक माने जाते हैं. इन दोनों या किसी एक की अधिकता दांतों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक और दांतों का रंग खराब करने वाली मानी जाती है. यह सोच तुलसी के पत्तों को चबाने से होने वाले असर पर संदेह का कारण बनती है. लेकिन, डॉ हुदा शेख ऐसा नहीं मानतीं.
तुलसी को चबाना सबसे अच्छा है. मैं सुबह उठकर तुलसी के कुछ पत्ते चबाने और फिर गुनगुना पानी पीने की सलाह देती हूं.
डॉ शेख बुखार, जुकाम या फ्लू होने पर तुलसी की चाय पीने की सलाह भी देती हैं. वह कहती हैं, 'दो कप पानी में कुछ तुलसी के पत्ते और अदरक का छोटा सा टुकड़ा डालें. पानी के आधा हो जाने तक इसे उबालें. इस पानी को छानें और अब इसे पिया जा सकता है.' तुलसी खाने में संतुलन रखना सबसे महत्वपूर्ण है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 06 Sep 2017,10:11 AM IST