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बच्चों में बढ़ रहा है ब्रेन ट्यूमर का खतरा!

ब्रेन ट्यूमर ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है

द क्विंट
फिट
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बच्चों में बढ़ रहा है कैंसर का खतरा
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बच्चों में बढ़ रहा है कैंसर का खतरा
(फोटो: क्विंट)

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि देश में हर साल करीब 40 हजार से 50 हजार लोग ब्रेन ट्यूमर के शिकार हो रहे हैं, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं. चिंता की बात ये है कि पिछले साल ये आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत ही था. साथ ही, हर साल लगभग 2,500 भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग पाया जा रहा है.

आईएमए के अनुसार, मेडुलोब्लास्टोमा बच्चों में पाया जाने वाला एक घातक प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर है. ये ब्रेन और रीढ़ की हड्डी की सतह से होता हुआ अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है. अगर सही तरीके से इलाज किया जाता है, तो इन मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत का इलाज संभव है.

स्‍टडी से पता चलता है कि ब्रेन ट्यूमर ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. आईएमए के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा- ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है और यह एक गंभीर समस्या है.

इससे सोचने, देखने और बोलने में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. ब्रेन ट्यूमर का एक छोटा सा हिस्सा आनुवंशिक विकारों से जुड़ा हुआ है. बाकी लोगों को यह किसी विषाक्त पदार्थ के सेवन, मोबाइल तरंगों जैसी किसी अन्य कारण से भी हो सकता है.

ट्यूमर अगर ब्रेन स्टेम या किसी अन्य भाग में है, तो हो सकता है कि सर्जरी संभव न हो. जो लोग सर्जरी नहीं करवा सकते, उन्हें रेडिएशन थेरेपी या अन्य इलाज मिल सकता है. इसके लक्षणों में प्रमुख है- बार-बार उल्टी आना और सुबह उठने पर सिर दर्द होना. 
डॉ. केके अग्रवाल  

मेडुलोब्लास्टोमा रोग से पीड़ित बच्चे अक्सर ठोकर खाकर गिर जाते हैं, उन्हें लकवा भी मार सकता है. कुछ मामलों में, चक्कर आना, चेहरा सुन्न होना या कमजोरी भी देखी जाती है.

डॉ. अग्रवाल ने बताया -मेडुलोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के लिए सिर्फ दवाएं ही काफी नहीं होती.

यह तय करें कि ट्यूमर वापस तो नहीं आया, कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा और बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रखने की जरूरत है. अधिकांश बच्चों को इस बीमारी के इलाज के बाद ताउम्र डॉक्टर के संपर्क में रहने की जरूरत होती है.

बच्चों में कैंसर को रोकने के लिए सुझाव

1. रसायनों और कीटनाशकों के जोखिम से बचें. यह गर्भवती माताओं के लिए विशेष रूप से जरूरी है.

2. फलों और सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें.

3. शराब और सिगरेट से दूर रहें.

(इनपुट IANS)

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Published: 26 Jul 2017,11:21 AM IST

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