advertisement
वैक्सीन यानी टीका किसी बीमारी से लड़ने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने की एक बायोलॉजिकल तैयारी है. टीके में ऐसे एजेंट होते हैं, जो रोगाणुओं से मिलते-जुलते हैं. ये एजेंट जब आपके शरीर में दाखिल होते हैं, तो आपके शरीर को उस बीमारी के रोगाणुओं से लड़ने के लिए तैयार रखते हैं.
डॉक्टर नवीन ठाकर के मुताबिक यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम दुनिया के इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में सबसे अच्छा प्रोग्राम है.
भारत में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम
भारत में टीकाकरण की शुरुआत 1978 से हुई और 1985 में इस अभियान का नाम यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) यानी सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम रख दिया गया. इसके अंतर्गत टीके के जरिये रोके जा सकने वाले 12 रोगों के लिए और गर्भवती स्त्रियों और शिशुओं का टीकाकरण होता है.
यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत बच्चों को लगाए जाने आने वाले 12 वैक्सीन हैं...
कब- इस टीके को जन्म के एक साल के अंदर लगवाना होता है.
कब-ओ.पी.वी का टीका बच्चों के जन्म के समय लगवाते हैं, जिसे जीरो टीका कहते हैं, फिर छठे, दसवें और चौदहवें हफ्ते में लगवाते हैं. 16 से 24 महीने की उम्र में बूस्टर टीका लगाते हैं.
कब- इस वैक्सीन को जन्म के 24 घंटे के अंदर देना होता है. फिर 6ठे, 10वें, और 14वें हफ्ते में.
कब-इसे 6, 10, 14 हफ्तों तक लगवाया जा सकता है. इसके अलावा इसे 1 साल के अंदर कभी भी लगवा सकते हैं.
कब- इस टीके के शुरुआती दो टीके 6वें और 14वें हफ्ते में दिलवाने होते हैं. इसका बूस्टर बच्चे की आयु 9 महीने की हो जाने पर लगवाना होता है.
कब - आईवीपी की दो खुराक 6 से 14 हफ्ते की उम्र में दी जाती है.
कब- मीसल्स या एमआर टीका की पहली खुराक 9 महीनों में या 12 महीने की उम्र में दी जाती है. अगर 9 और 12 महीने की उम्र में ये टीका छूट गया है, तो इसे 5 साल की उम्र तक कभी भी लगवाया जा सकता है. इसकी दूसरी खुराक 16-24 महीने में दी जाती है.
कब - जे.ई टीका दो खुराक में दिया जाता है, पहली खुराक 9 महीने की आयु पूरी हो जाने के बाद 12 महीने की आयु तक कभी भी और दूसरी खुराक 16-24 महीने की आयु में दी जाती है.
कब - 16-24 महीने की उम्र में डीपीटी टीका दिया जाता है, जिसे डीपीटी का पहला बूस्टर कहा जाता है और डीपीटी का दूसरा बूस्टर 5-6 साल की उम्र में दिया जाता है.
कब - टेटनस टोक्सॉयड टीका 10 साल और 15 साल की उम्र में दिया जाता है.
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को टीटी 1 दिया जाता है और टीटी 2 को टीटी 1 के 4 हफ्ते बाद दिया जाता है. अगर गर्भवती महिला पिछले 3 साल में टीटी के 2 टीके लगवा चुकी है, तो उसे इस गर्भावस्था के दौरान केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगवाया जाना चाहिए.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम को और मजबूत करने के लिए दिसंबर 2014 में मिशन इंद्रधनुष लॉन्च किया. इसका मकसद है, दो साल तक के सभी बच्चे और गर्भवती महिलाओं का पूर्ण टीकाकरण हो जाए.
इस मिशन को 2020 तक पूरा करना था. लेकिन अक्टूबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा कि प्रयासों में तेजी लाई जाए और 2014 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष के तहत 90 फीसदी टीकाकरण का लक्ष्य 2020 से दो साल पहले 2018 में पूरा कर लिया जाए. इसे इंटेन्सिव मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) कार्यक्रम कहा जाता है.
डॉक्टर नवीन का कहना है कि भारत में टीकाकरण को और बेहतर बनाने के लिए टाइफाइड और एच.पी.वी टीका यूनिवर्सल प्रोग्राम में शामिल किया जाना चाहिए. इससे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में और अधिक मजबूती आ जाएगी.
एचपीवी का टीका जननांग पर वार्ट (मस्सा) और किसी भी तरह के कैंसर जैसी गंभीर समस्या पैदा होने से बचाता है. किसी भी तरह के यौन संक्रमण से बचाने में ये टीका अहम भूमिका निभाता है.
टाइफाइड दूषित पानी और दूषित खाने से फैलता है. ये टीका भविष्य में इसका संक्रमण होने से बचाता है.
डॉ नवीन ठाकर कहते हैं कि सरकार कि ये कोशिश है, देश का कोई भी बच्चा टीकाकरण से छूटने ना पाए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined