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सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना अच्छी बात है, लेकिन व्हाट्सएप पर आए हर मैसेज को बगैर जाचें दूसरे को फारवर्ड करना नुकसानदेह हो सकता है. मामला राजनीति से जुड़ा हो या हेल्थ से आपको सोशल मीडिया पर ढेरों राय और सुझाव मिल जाएंगे, लेकिन क्या इन सबपर अमल करना सही है?
आजकल निपाह वायरस के बारे में सोशल मीडिया पर लोग इस वायरस से बचने के लिए कई ऐसे नुस्खे बता रहे हैं, जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि रातरानी की पत्तियों का काढ़ा वायरस के लिए दवा की तरह कारगर है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है.
केरल में इस वायरस से करीब 16 लोगों की मौत हो चुकी है. केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा है कि जिन 18 मरीजों में निपाह पॉजिटिव मिला था.ये उन्हीं मे से 16 मरीज हैं जो नहीं बच पाये बाकी 2 की तबीयत में कुछ सुधार हो रहा है.
आइए अब व्हाट्सएप पर भेजे जा रहे मैसेज की बात करें. जो तकरीबन हर किसी के पास भेजा जा रहा है.. बायोमेडिकल एंड फार्माकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अन्य पेपर में कहा गया है कि 'हरसिंगार या रातरानी से गुस्सा, बुखार, ब्रोंकाइटिस, गठिया, त्वचा रोग, हेपेटिक विकार, बवासीर और बहुत से रोगों में उपयोगी है.
लेकिन क्या ये निपाह वायरस के खिलाफ आपकी मदद कर सकते हैं?
दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ अश्विनी सेतिया कहते हैं.
तो क्या निपाह वायरस के खिलाफ दवा के रूप में इस तरह के एक मिश्रण को इस्तेमाल किया जाना चाहिए डॉ अश्विनी सेतिया का मानना
है कि ऐसा दावा करना गलत है.
एक होते हैं बेवकूफ और दूसरे होते हैं वेबकूफ, वेबकूफ वो होते हैं जो सोशल मीडिया की सभी जानकारी को बगैर किसी जांच पड़ताल सच मान लेते हैं. इसलिए वेबकूफ बनने से अच्छा है की सही जानकारी दूसरों तक पहुंचाएं.
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(मीडिया के इनपुट से)
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