Home Fit विटामिन B12: कितनी जरूरत है इसकी, कितना लें कि ना हो कमी या अति
विटामिन B12: कितनी जरूरत है इसकी, कितना लें कि ना हो कमी या अति
विटामिन B12 की कितनी मात्रा पर्याप्त है? इसकी कमी के लक्षण क्या हैं?
रोशीना ज़ेहरा
फिट
Updated:
i
विटामिन B₁₂ अनिवार्य रूप से नर्व टिश्यू हेल्थ, ब्रेन फंक्शन और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए आवश्यक है.
(फोटो: iStockphoto)
✕
advertisement
विटामिन हमारे लिए कितने जरूरी हैं, ये सभी जानते हैं. इनमें से ही एक है विटामिन B₁₂, जिसे लेकर न्यूट्रिशन स्पेस में काफी बातचीत होती रहती है. पानी में घुल सकने वाला ये विटामिन हमारे बॉडी की स्मूथ फंक्शनिंग के लिए जरूरी है.
हालांकि बॉडी के लिए इसकी कितनी मात्रा पर्याप्त है? इसकी कमी के लक्षण क्या हैं? यह किस फूड से मिलता है? क्या ओरल सप्लीमेंट लेना सही है? इस विटामिन के बारे में सवालों की लिस्ट खत्म ही नहीं होती है.
यहां हेल्थ और मेडिकल एक्सपर्ट की मदद से इसे बेहतर ढंग से समझने का प्रयास किया गया है.
B12वास्तव में कितना जरूरी है?
हाल के रिसर्च में बताया गया है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में विटामिन बी की कमी होने की आशंका अधिक है. यहां तक कि ऐसा स्वस्थ जनसंख्या वाले क्षेत्र में भी हो सकता है. (फोटो: iStockphoto)
मैक्स मल्टी स्पेशएलिटी सेंटर, पंचशील पार्क की हेल्थ एंड वेलनेस एक्सपर्ट प्रीति राव इस बात की पुष्टि करती हैं कि विटामिन B₁₂ वास्तव में न्यूट्रिशन वर्ल्ड में "लेटेस्ट बज्ज" है. लेकिन यह वास्तव में कितना महत्वपूर्ण है?
विटामिन B₁₂ अनिवार्य रूप से नर्व टिश्यू हेल्थ, ब्रेन फंक्शन और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए आवश्यक है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बॉडी में हर टिश्यू का मेटाबॉलिज्म या चयापचय विटामिन B₁₂ पर निर्भर करता है क्योंकि यह फैटी एसिड और एनर्जी प्रोडक्शन के सिंथेसिस में एक भूमिका निभाता है.
प्रीति राव
न्यूट्रिशन एक्सपर्ट आगे कहती हैं कि यह विटामिन पुरुष और महिला दोनों के लिए आवश्यक है. हालांकि, हाल के रिसर्च में बताया गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में विटामिन B की कमी होने की आशंका अधिक हैं. यहां तक कि ऐसा स्वस्थ जनसंख्या वाले क्षेत्र में भी हो सकता है. दिलचस्प है, यह न तो डाइट हैबिट्स और न ही एस्ट्रोजन इफेक्ट्स द्वारा समझाया जा सकता है.
फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में कार्डियक सर्जरी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ वैभव मिश्रा भी B₁₂ के महत्व पर जोर देते हैं.
B₁₂ सबसे महत्वपूर्ण विटामिन है, जो ब्रेन और नर्वस सिस्टम के हेल्दी फंक्शनिंग के लिए आवश्यक है. जबकि यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए आवश्यक है. महिलाओं को गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसकी ज्यादा जरूरत होती है.
डॉ वैभव मिश्रा
B12 बॉडी में क्या काम करता है?
तंत्रिका तंत्र के हेल्दी फंक्शन के लिए विटामिन B₁₂ जरूरी है.(फोटो: iStockphoto)
विटामिन B₁₂ के बॉडी में कई काम हैं, जिसे हेल्थ एंड वेलनस एक्सपर्ट राव इस तरीके से लिस्ट करती हैं:
फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए आवश्यक
डीएनए का निर्माण और उन्हें रेगुलेट करना
रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन और डिविजन के लिए आवश्यक
ब्रेन और नर्वस सिस्टम की सुरक्षा करता है
बॉडी को एनर्जी देने के लिए एक व्यक्ति के डीएनए को सिंथेसाइज करता है
हमारी बॉडी को फोलिक एसिड अब्जॉर्ब करने में मदद करके एनर्जी रिलीज करने के सक्षम बनाता है
एनीमिया से बचाता है
डॉ मिश्रा के अनुसार, नर्वस सिस्टम की हेल्दी फंक्शनिंग के साथ ही रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए विटामिन B₁₂ का बड़ा महत्व है.
यह हेल्दी नर्वस सिस्टम के साथ ही रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए महत्वपूर्ण है. अगर लंबे समय तक इसकी कमी बनी रहती है, तो ये ब्रेन की केमिस्ट्री में परिवर्तन कर सकता है. यह स्थायी रूप से भी हो सकता है. इसके अलावा यह रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन में भी महत्वपूर्ण रूप से कमी ला सकता है, जिसके परिणाम स्वरूप एनीमिया हो सकता है. शरीर सुस्त और धीमा महसूस करेगा. एक व्यक्ति के एक्सरसाइज करने और कार्य करने की क्षमता कम हो जाएगी.
डॉ वैभव मिश्रा
बहुत ज्यादा B12 और हिप इंजरी, खासकर महिलाओं में
अमेरिका में किए गए एनालिसिस में 76,000 महिला नर्सों को शामिल किया गया. इन्हें औसतन 21 वर्षों तक फॉलो किया गया. (फोटो: iStockphoto)
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी ने निष्कर्ष निकाला कि विटामिन B₁₂ की अधिकता से महिलाओं में हिप इंजरी यानी कूल्हे की चोट लग सकती है. स्टडी में पूछा गया कि क्या B 6 और B₁₂ का अधिक इनटेक हिप फ्रैक्चर का कारण बन सकता है.
अमेरिका में किए गए एनालिसिस में 76,000 महिला नर्सों को शामिल किया गया. इन्हें औसतन 21 वर्षों तक फॉलो किया गया. यह देखा गया कि स्टडीज के दौरान कुल 2,300 महिलाओं का हिप फ्रैक्चर हुआ. इनमें से आधे को 76 साल की उम्र से पहले यह इंजरी हुई.
जब B 6 और B₁₂ का डेली ज्यादा इनटेक करने वाली महिलाओं की तुलना सबसे कम इनटेक वाली महिलाओं के साथ की गई, तो यह निष्कर्ष निकाला गया कि ज्यादा इनटेक वाली महिलाओं में 47 प्रतिशत तक हिप फ्रैक्चर होने की आशंका अधिक थी.
राव इस स्टडी से सहमत हैं और शरीर में बढ़े हुए B₁₂ लेवल के नेगेटिव इफेक्ट के रूप में हिप फ्रैक्चर को लिस्ट करती हैं. वह डायबिटीज और किडनी की बीमारी, मुंहासे, हार्ट अटैक का अधिक रिस्क, स्ट्रोक जैसे साइड इफेक्ट्स का भी उल्लेख करती है. बात जब गर्भवती महिलाओं की आती है, तो इससे उनकी संतानों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का रिस्क बढ़ जाता है.
वहीं डॉ मिश्रा इस पर कहते हैं:
हिप और हड्डियों के साथ ऐसा कोई संबंध नहीं है, मैंने मुख्य रूप से इसका संबंध डी 3 विटामिन की कमी से देखी है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
B12 के संबंध में सप्लीमेंट्स का क्या रोल है?
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह के बिना कोई सप्लीमेंट्स नहीं लिया जाए.(फोटो: iStock altered by FIT)
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह के बिना कोई सप्लीमेंट नहीं लिया जाना चाहिए. राव आगे उल्लेख करती हैं कि सप्लीमेंट्स हेल्दी फूड को रिप्लेस नहीं कर सकते हैं, लेकिन आज के समय में इससे सपोर्ट मिल सकता है.
पिछले 50 सालों में फलों, सब्जियों और मांस के न्यूट्रिशन वैल्यू में बहुत कमी आई है. भारत में ऑर्गेनिक प्रोडक्शन के लिए स्टैंडर्ड की कमी है. ऐसे में हम जो खा रहे हैं, उन फूड प्रोडक्ट्स से मिलने वाले न्यूट्रिशन वैल्यू के बारे में निश्चित नहीं हो सकते हैं. गौर करने वाली बात है कि भारतीय भूमि पर आक्रामक कृषि से धरती को आवश्यक आराम नहीं मिल पा रहा है. उस पर बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए अनाज उपलब्ध कराने का बोझ है.
प्रीति राव
वह कहती हैं कि रिसर्च में बताया गया है कि लगभग 39 प्रतिशत सामान्य आबादी में B₁₂ की कमी या इस न्यूट्रिशन को अब्जॉर्ब करने में मुश्किल हो सकती है. इसलिए न्यूट्रिशन गैप को भरने और विटामिन B₁₂ को नॉर्मल रेंज तक लाने के लिए सप्लीमेंट्स की सलाह दी जाती है. इसके बावजूद भी यह संतुलित आहार और मेडिकल एक्सपर्ट के रेगुलर गाइडेंस को रिप्लेस नहीं कर सकता है.
B12 की कमी के लक्षण
डॉ मिश्रा कहते हैं कि B₁₂ की कमी सब-क्लिनिकल नेचर की हो जाती है. इसका अर्थ है कि लंबे समय तक इस विटामिन की कमी के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं. (फोटो: iStockphoto)
डॉ मिश्रा कहते हैं कि B₁₂ की कमी सब-क्लिनिकल नेचर की हो जाती है. इसका अर्थ है कि लंबे समय तक इस विटामिन की कमी के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं.
इसका पता लगाने का एक ही तरीका ब्लड टेस्ट है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लंबे समय तक इसके लक्षणों का पता ही नहीं चलता है.
डॉ वैभव मिश्रा
यहां कुछ लक्षण हैं, जिन्हें देखा जा सकता हैः
थकान / कम एनर्जी
चिड़चिड़ापन
मेमोरी लॉस
निर्णय लेने, समझ में कमी
मेंटल क्लाउडनेस
मूड स्विंग
चिंता
डिप्रेशन
स्लो रिफ्लेक्स
चलने में कठिनाई
मुंह या जीभ में छाले
वजन कम होना / भूख कम लगना
पीला पड़ना और पीली त्वचा
मेंस्ट्रुअल या मासिक धर्म की समस्या
मांसपेशियों में ऐंठन
हाथ और पैरों में झुनझुनी
हथेलियों और तलवों में सुन्नपन
सांस फूलना
B12 के सोर्स और वेजिटेरियन लोगों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत क्यों
जो वेजिटेरियन अपने B₁₂ का इनटेक बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें डेयरी प्रोडक्ट्स अधिक लेना चाहिए.(फोटो:iStockphoto)
इस स्टडी के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में लोगों में इस विशेष विटामिन की कमी है. जैसा कि भारत कुपोषण से जूझ रहा है. यह कमी कई दूसरे कारकों के साथ भी जुड़ी हुई है. इनमें लाइफस्टाइल, खराब आहार विकल्प और जानकारी की कमी शामिल है.
वेगन के साथ-साथ वेजिटेरियन लोगों में भी इसकी कमी अधिक है. ऐसा इसलिए है क्योंकि B₁₂ मुख्य रूप से मांस और मुर्गे में पाया जाता है.
चूंकि विटामिन बी का सोर्स बीफ, पोर्क, हैम, पोल्ट्री, लैंब, मछली है. भारत काफी हद तक एक शाकाहारी देश है. इसलिए यह कमी देश को अधिक प्रभावित करेगी.
प्रीति राव
जो वेजिटेरियन लोग अपने B₁₂ का इनटेक बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें डेयरी प्रोडक्ट्स, जैसे दूध, पनीर और दही, सोया दूध, अंडे से बने नाश्ते, अनाज पर ध्यान देना चाहिए.
ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात ये है कि 40 से 80 प्रतिशत वेजिटेरियन लोगों में विटामिन B₁₂ की कमी हो सकती है क्योंकि ये लोग विटामिन B₁₂ सप्लीमेंट भी नहीं ले रहे हैं.
प्रीति राव
डॉ मिश्रा उनसे सहमत हैं और पुष्टि करते हैं:
विटामिन B₁₂ पौधे आधारित डाइट यानी भारत में शाकाहारी आहार में मौजूद नहीं है. यही वजह है कि सभी समुदायों में सबसे अधिक संवेदनशील वेगन और शाकाहारी हैं. उनमें से 30 से 40 प्रतिशत में कमी के बारे में पता नहीं चलता है.
डॉ वैभव मिश्रा
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)