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जानिए ‘हार्ट अटैक’ के बारे में वो सबकुछ, जो आपको जानना चाहिए

क्या है हार्ट अटैक? जानिए इसके लक्षण, जोखिम और बचाव के तरीके.

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हार्ट पेशेंट की सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं.
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हार्ट पेशेंट की सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं.
(फोटो: iStock)

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हार्ट अटैक, हम अक्सर सुनते हैं कि अचानक किसी की मौत हार्ट अटैक के कारण हो गई. भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत दिल की बीमारियों के कारण होती है. इनमें ज्यादातर लोगों की मौत की वजह हार्ट अटैक होती है.

द लैंसेट में छपे एक अध्ययन में दावा किया गया है कि हार्ट पेशेंट की सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं. वास्तव में भारतीयों को किसी भी अन्य जातीय समूह की तुलना में 8-10 साल पहले ही हार्ट अटैक पड़ जाता है. डॉक्टरों ने बार-बार कहा है कि भारतीय होने के नाते हम दिल की बीमारियों के स्वाभाविक शिकार हैं.

ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि हार्ट अटैक होता क्या है, दिल का दौरा कैसे पड़ता है, किसे, कब, क्यों पड़ता है और इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

हार्ट अटैक क्या है?

हमारे दिल की मांसपेशियों को काम करते रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है(फोटो:iStock)

बायोलॉजी की क्लास में वापस चलते हैं. सबसे बुनियादी बात यह है कि हमारे दिल की मांसपेशियों को काम करते रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है. हार्ट अटैक तब होता है, जब हार्ट मसल्स को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले खून का बहाव कम हो जाता है या एकदम से थम जाता है.

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोरोनरी आर्टरीज (धमनियां) जो हार्ट मसल्स को रक्त पहुंचाती हैं, फैट, कोलेस्ट्रॉल और अन्य तत्वों के जमा होते जाने से धीरे-धीरे पतली हो जाती हैं.

लेकिन धमनियों पर ये जमाव कैसे होता है? इसके लिए सोडा ड्रिंक्स, जंक फूड और रोज शाम के तले-भुने समोसे, चाट, पकौड़ों के साथ ही व्यायाम न करना दिल की बीमारियों को न्योता देने के लिए काफी है.

जब किसी अंग को जरूरी ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते, तो इस स्थिति को इस्कीमिया कहते हैं. जब इस्कीमिया के कारण यानी ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से दिल की मांसपेशियां या उसका कोई भाग नष्ट हो जाता है, दिल काम करना बंद कर देता है, तो इसे हार्ट अटैक कहते हैं.

हार्ट अटैक के लक्षण, जिन पर ध्यान देना चाहिए

भारतीयों में जन्मजात रूप से दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है (फोटोः iStockphoto)

हालांकि कुछ हार्ट अटैक अचानक और तेज होते हैं, लेकिन ज्यादातर धीरे-धीरे हल्की तकलीफ और बेचैनी के साथ शुरू होते हैं.

हार्ट अटैक के मामले में पाया गया है कि कई बार जानकारी के अभाव में हालात को संभालने में देरी हो जाती है, जो नुकसान को बढ़ा देती है और कुछ मामलों में जानलेवा साबित होती है.

ऐसे में हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है.

अपने शरीर पर ध्यान दीजिए और फौरन मदद मांगिए, अगर आपको महसूस होता है:

  • सीने में बेचैनीः ज्यादातर हार्ट अटैक के मामलों में सीने के बीच में बेचैनी होती है, जो कुछ मिनटों तक रहती है या खत्म होने के बाद दोबारा आ जाती है. इसमें असहनीय दबाव, भींचना, भारीपन या दर्द महसूस होता है.
  • शरीर के ऊपरी हिस्से में बेचैनी: इसमें एक या दोनों बाहों, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द या बेचैनी होती है.
  • सांस लेने में मुश्किल: सीने में तकलीफ के साथ या बिना तकलीफ महसूस हुए.
  • अन्य निशानियां: ठंडा पसीना आना, मिचली आना, हल्का सिरदर्द, पीठ या जबड़े में दर्द.

इन लक्षणों पर ध्यान दीजिए, लेकिन फिर भी आपको पक्का नहीं है कि हार्ट अटैक है या नहीं, तो फुर्ती दिखाइए और जांच करा लीजिए.

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क्या जवान और सेहतमंद शख्स को भी हार्ट अटैक पड़ सकता है?

लाखों भारतीय दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. हम मसालेदार और ज्यादा तेल और नमक वाला खाना खाते हैं, कसरत नहीं करते और ताजे फल कम ही लेते हैं.(फोटो: iStock/द क्विंट) 

इंडियन हार्ट एसोसिएशन (IHA) के मुताबिक भारत में सभी हार्ट अटैक के मामलों में 50 फीसद मामले 50 साल से कम उम्र के लोगों में होते हैं और 25 फीसद मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में होते हैं.

इसलिए ऐसा नहीं है कि हार्ट अटैक सिर्फ बुजुर्गों को होता है. 20 से 30 साल की उम्र में भी दिल का दौरा पड़ सकता है.

वास्तव में, हार्ट अटैक दिल से जुड़ी किसी बीमारी के बिना भी अचानक हो सकता है और सेहतमंद दिखाई दे रहे किसी व्यक्ति को भी हो सकता है. ऐसा हो सकता है कि धमनियों में ब्लॉकेज के बारे में पता ही न चले और 80-90 फीसदी ब्लॉकेज के बाद इसके लक्षण दिखाई दें. 25 फीसदी लोगों को धमनियों में ब्लॉकेज के बाद भी कोई तकलीफ नहीं होती.

बीते 20 साल में हमने पाया कि हार्ट डिजीज अब दस साल युवा लोगों पर भी असर डालने लगी है. अब हमें अचंभा नहीं होता, जब 20 से 30 साल की उम्र वाले लोग हमारे पास हार्ट की प्रॉब्लम के साथ आते हैं. महिलाओं में भी बीते तीन दशकों में यह 300 फीसद बढ़ा है. <b></b>
<b>डॉ</b><b>&nbsp;</b><b>अशोक </b><b>सेठ</b><b>, </b><b>हेड</b><b> </b><b>ऑफ</b><b> </b><b>कार्डियोलॉजी</b><b>, </b><b>फोर्टिस</b><b> </b><b>हॉस्पिटल</b>

डॉ अशोक सेठ कहते हैं कि खराब लाइफस्टाइल इसमें और इजाफा कर रही है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो भविष्य और भी अंधकारमय दिखता है.

हम जवान भारतीयों के साथ समस्या है कि जब हमारी सेहत का मसला आता है, तो हम अनजान बन जाते हैं. एक्सरसाइज शब्द से हम अपरिचित बने रहते हैं और स्ट्रेस (तनाव) हमारा सबसे अच्छा साथी बन रहता है. स्मोकिंग और अनहेल्दी खानपान समस्या को और बढ़ा रहा है.

IHA ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शहरों में रहने वाले लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा गांव में रहने वालों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है.

आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

इससे बचने के लिए हमें हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है. खुद को महफूज रखने के लिए डॉ अशोक सेठ की सुझाई इन टिप्स पर अमल कीजिए.

  • हार्ट डिजीज के लिए उन रिस्क फैक्टर को पहचानिए, जिन्हें टाला जा सकता है. जैसे: स्मोकिंग, देर तक बैठे रहने की आदत, मोटापा और हाई ब्लडप्रेशर. इनसे निजात पाने के लिए कुछ करिए.
  • नियमित वॉक कीजिए. एक्सरसाइज का मतलब बॉडी बिल्डिंग और बहुत ज्यादा वर्कआउट करना नहीं है. वास्तव में बॉडी बिल्डिंग के साथ सप्लिमेंट्स लेना नुकसानदेह भी हो सकता है. दिल की सेहत के लिए एक्सरसाइज का मतलब है कि 45 मिनट सहज तरीके से टहलना.
  • काम और जिंदगी के बीच संतुलन कायम कीजिए और स्ट्रेस का समाधान कीजिए. अपनी तनाव भरी जिंदगी से वक्त निकालिए और अपनी हॉबीज पूरी करने और रिलैक्स करने के लिए परिवार के साथ समय बिताइए.
  • अपने दिल का हाल जानने के लिए नियमित चेकअप कराते रहिए.
  • प्रतिक्रिया की बजाए सक्रियता दिखाइए. बीमारी के हमला करने का इंतजार मत कीजिए कि उसके बाद सावधानी बरती जाएगी. शुरुआती उम्र से ही हेल्दी आदतें डालिए.
  • जेनेटिक प्रभाव और फैमिली हिस्ट्री की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती. हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री वालों को नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहना चाहिए.

किसी को दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें?

हार्ट अटैक अचानक से किसी को कभी भी पड़ सकता है. लेकिन हमें तैयार रहना चाहिए और इसके संकेत को समझने की कोशिश करनी चाहिए.

अगर आपके आसपास किसी को हार्ट अटैक पड़े, तो सबसे पहले मदद के लिए पुकारिये.

अगर हार्ट अटैक का पता चल जाए तो पीड़ित को एस्पिरिन दिया जा सकता है. एस्पिरिन ब्लड को पतला कर देगा और दिल की ओर खून का फ्लो आसान हो जाएगा.

सबसे बेहतर यही होगा कि सभी अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें, अपनी स्वास्थ्य समास्याओं पर ध्यान दें और सक्रिय तौर पर बचाव के उपाय करें.

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Published: 10 Jul 2018,12:38 PM IST

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