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हार्ट अटैक, हम अक्सर सुनते हैं कि अचानक किसी की मौत हार्ट अटैक के कारण हो गई. भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत दिल की बीमारियों के कारण होती है. इनमें ज्यादातर लोगों की मौत की वजह हार्ट अटैक होती है.
द लैंसेट में छपे एक अध्ययन में दावा किया गया है कि हार्ट पेशेंट की सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं. वास्तव में भारतीयों को किसी भी अन्य जातीय समूह की तुलना में 8-10 साल पहले ही हार्ट अटैक पड़ जाता है. डॉक्टरों ने बार-बार कहा है कि भारतीय होने के नाते हम दिल की बीमारियों के स्वाभाविक शिकार हैं.
ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि हार्ट अटैक होता क्या है, दिल का दौरा कैसे पड़ता है, किसे, कब, क्यों पड़ता है और इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
बायोलॉजी की क्लास में वापस चलते हैं. सबसे बुनियादी बात यह है कि हमारे दिल की मांसपेशियों को काम करते रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है. हार्ट अटैक तब होता है, जब हार्ट मसल्स को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले खून का बहाव कम हो जाता है या एकदम से थम जाता है.
लेकिन धमनियों पर ये जमाव कैसे होता है? इसके लिए सोडा ड्रिंक्स, जंक फूड और रोज शाम के तले-भुने समोसे, चाट, पकौड़ों के साथ ही व्यायाम न करना दिल की बीमारियों को न्योता देने के लिए काफी है.
जब किसी अंग को जरूरी ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते, तो इस स्थिति को इस्कीमिया कहते हैं. जब इस्कीमिया के कारण यानी ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से दिल की मांसपेशियां या उसका कोई भाग नष्ट हो जाता है, दिल काम करना बंद कर देता है, तो इसे हार्ट अटैक कहते हैं.
हालांकि कुछ हार्ट अटैक अचानक और तेज होते हैं, लेकिन ज्यादातर धीरे-धीरे हल्की तकलीफ और बेचैनी के साथ शुरू होते हैं.
ऐसे में हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है.
अपने शरीर पर ध्यान दीजिए और फौरन मदद मांगिए, अगर आपको महसूस होता है:
इन लक्षणों पर ध्यान दीजिए, लेकिन फिर भी आपको पक्का नहीं है कि हार्ट अटैक है या नहीं, तो फुर्ती दिखाइए और जांच करा लीजिए.
इंडियन हार्ट एसोसिएशन (IHA) के मुताबिक भारत में सभी हार्ट अटैक के मामलों में 50 फीसद मामले 50 साल से कम उम्र के लोगों में होते हैं और 25 फीसद मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में होते हैं.
वास्तव में, हार्ट अटैक दिल से जुड़ी किसी बीमारी के बिना भी अचानक हो सकता है और सेहतमंद दिखाई दे रहे किसी व्यक्ति को भी हो सकता है. ऐसा हो सकता है कि धमनियों में ब्लॉकेज के बारे में पता ही न चले और 80-90 फीसदी ब्लॉकेज के बाद इसके लक्षण दिखाई दें. 25 फीसदी लोगों को धमनियों में ब्लॉकेज के बाद भी कोई तकलीफ नहीं होती.
डॉ अशोक सेठ कहते हैं कि खराब लाइफस्टाइल इसमें और इजाफा कर रही है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो भविष्य और भी अंधकारमय दिखता है.
IHA ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शहरों में रहने वाले लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा गांव में रहने वालों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है.
इससे बचने के लिए हमें हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है. खुद को महफूज रखने के लिए डॉ अशोक सेठ की सुझाई इन टिप्स पर अमल कीजिए.
हार्ट अटैक अचानक से किसी को कभी भी पड़ सकता है. लेकिन हमें तैयार रहना चाहिए और इसके संकेत को समझने की कोशिश करनी चाहिए.
अगर आपके आसपास किसी को हार्ट अटैक पड़े, तो सबसे पहले मदद के लिए पुकारिये.
अगर हार्ट अटैक का पता चल जाए तो पीड़ित को एस्पिरिन दिया जा सकता है. एस्पिरिन ब्लड को पतला कर देगा और दिल की ओर खून का फ्लो आसान हो जाएगा.
सबसे बेहतर यही होगा कि सभी अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें, अपनी स्वास्थ्य समास्याओं पर ध्यान दें और सक्रिय तौर पर बचाव के उपाय करें.
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Published: 10 Jul 2018,12:38 PM IST