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क्या आप लापरवाह थीं? क्या आप नशे में थीं? क्या कंडोम को लेकर कोई दुर्घटना हुई? क्या आपको मॉर्निंग-आफ्टर पिल के बारे में नहीं पता? क्या आप पहली बार गर्भवती हुई हैं?
इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर एक महिला गर्भवती है और वह बच्चा नहीं चाहती. गर्भ के 20 हफ्तों तक गर्भपात कराना भारत में कानूनी तौर पर मान्य है. इस सीमा को 24 हफ्तों तक बढ़ाने के लिए संसद में पिछले दो सालों से विधेयक भी लंबित है.
गर्भ को खत्म करना एक महिला के जीवन की आम और साधारण घटना है. तो अगर आप भी किसी अनचाहे गर्भ के बारे में सोच कर परेशान हैं या फिर आप गर्भपात से जुड़ी टेक्नीकल बातें जानना चाहती हैं, तो फिर गर्भपात की इस आसान गाइड को जरूर पढ़िए, क्योंकि भारत में हर दो घंटे में एक महिला की मृत्यु असुरक्षित गर्भपात की वजह से होती है.
गर्भ से छुटकारा पाने के दो तरीके हैं. एक मेडिकल और दूसरा सर्जिकल.
पहले तराके में आप गोली खाकर गर्भपात करती हैं और दूसरे तरीके में डॉक्टर खुद आपके गर्भ को निकाल देता है. आप इनमें से कौन सा तरीका चुनेंगी, वह एक तो आपके गर्भ के समय पर निर्भर करता है. दूसरा आपकी अपनी वरीयता पर.
पहली तिमाही के दौरान किए गए गर्भपात सबसे सुरक्षित होते हैं और इनसे आने वाले समय में आपकी प्रजनन क्षमता पर कोई खतरा होने की संभावनाएं कम होती हैं.
मेडिकल अबॉर्शन के दौरान गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है. इन गोलियों की वजह से गर्भाशय की लाइनिंग को नष्ट कर दिया जाता है, जिससे भ्रूण गर्भाशय से अलग हो जाता है और गर्भ खत्म हो जाता है.
इस दौरान माइफोप्रिस्टोन और मिसोप्रिस्टोल दो गोलियां लेनी होती हैं.
स्टेप 1: अस्पताल या क्लीनिक सबसे पहले एक वैजाइनल अल्ट्रासाउंड करता है, जिससे कि गर्भ की आयु व गर्भाशय की अवस्था के बारे में जाना जा सके. स्टमक सोनोग्राफ इस समय काम नहीं आता क्योंकि भ्रूण का आकार बेहद छोटा होता है, और उसे बाहरी जांच में नहीं देखा जा सकता.
स्टेप 2: अगर गर्भ की आयु 10 या 12 सप्ताह तक की होती है तो मेडिकल अबॉर्शन एक सुरक्षित तरीका हो सकता है. (आदर्श स्थिति 10 सप्ताह के पहले की ही है.) गायनाकॉलोजिस्ट इस समय एक गोली खाने को देगी, जिससे गर्भाशय मुलायम हो जाएगा.
स्टेप 3: पहली गोली लेने के चौबीस घंटे बाद वापस अस्पताल जाना होता है. अगली गोली वैजाइना में रखी जाती है.
स्टेप 4: अगले कुछ घंटों में आपको क्रैंप होंगे, जिससे भ्रूण गर्भाशय से बाहर आ सकेगा.
स्टेप 5: क्रैंप के साथ काफी खून भी निकलेगा पर वह हीमोरेज नहीं होगा.
स्टेप 6: कुछ घंटों तक चलने वाली यह प्रक्रिया काफी दर्दनाक होती है. पूरे समय आप पसीना और चक्कर आने जैसा भी महसूस करेंगी. बेहतर होगा कि उस वक्त घर पर आपकी देखभाल के लिए कोई मौजूद हो.
स्टेप 7: डॉक्टर्स का कहना है कि भ्रूड़ के बाहर आने का पता आपको खुद लग जाएगा, ऐसे में खून निकलना अपने आप काफी हद तक कम हो जाएगा. यह प्रक्रिया 6 घंटे तक चल सकती है.
अगर अगले दो दिन तक खून निकलना बंद न हो तो आपको तुरंत अपनी जांच कराने की जरूरत है क्योंकि इसका अर्थ है कि गर्भपात पूरी तरह नहीं हुआ.
दो तरह के सर्जिकल अबॉर्शन में से आपकी डॉक्टर कौन सा आपके लिए चुनती है, यह आपके गर्भ की उम्र पर निर्भर करता है.
वैक्यूम एस्पिरेशन (15 सप्ताह तक) 5 से 10 मिनट की इस प्रक्रिया में भ्रूण को गर्भाशय से वैक्यूम सक्शन द्वारा निकाल लिया जाता है.
डाइलेशन एंड इवेकुएशन या डी&ई (15 से 24 सप्ताह तक) हालांकि यह भी वैक्यूम एस्पिरेशन की ही तरह है पर इसमें गर्भाशय के द्वार को चौड़ा किया जाता है.
स्टेप 1: वैक्यूम एस्पिरेशन 15 सप्ताह के गर्भ तक किया जा सकता है.
स्टेप 2: वैजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए आपको 12 घंटे तक बिना कुछ खाए रहने के बाद क्लीनिक आना होगा.
स्टेप 3: प्रक्रिया की शुरुआत में आपको कई इंजेक्शन दिए जाएंगे.
स्टेप 4: एक लोकल या जनरल एनस्थीसिया देने के बाद आपके पांव बांध दिए जाएंगे ताकि गर्भाशय साफ नजर आ सके.
स्टेप 5: एक खास तरह की सिरिंज भ्रूण को बाहर निकाल देती है. अगर गर्भावस्था 15 सप्ताह के बाद की है तो फोरसैप्स की मदद से गर्भाशय के द्वार को फैलाने के बाद सक्शन पंप की सहायता से भ्रूण को बाहर निकाला जाएगा.
स्टेप 6: अगर प्रशिक्षित डॉक्टरों की मदद ली गई हो तो दोनों ही तरह की सर्जिकल प्रक्रियाएं सुरक्षित हैं. पर आपको एंटीबायोटिक लेनी होंगी ताकि इनफेक्शन के खतरे से बचा जा सके.
स्टेप 7: अगले एक दो घंटे तक आपको चक्कर महसूस हो सकते हैं, ऐसे में आपके साथ किसी विश्वसनीय व्यक्ति का साथ होना जरूरी है.
एक गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती होने की संभावनाओं पर चिंतित होना स्वाभाविक है.
पर सच्चाई यह है कि अगर अनुभवी डॉक्टर की उपस्थिति में गर्भपात किया गया हो तो खतरे की संभावना बेहद कम है.
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Published: 27 Jan 2016,10:22 PM IST