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कैसे करें अपने लिए सही व्हे प्रोटीन का चुनाव?

आजकल हर जगह व्हे प्रोटीन शेक, व्हे कुकीज, व्हे प्रोटीन बार, व्हे आइसक्रीम की ही चर्चा है.

रुपाली दत्ता
फिट
Updated:
फिटनेस इंडस्ट्री में व्हे एक चर्चित शब्द है
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फिटनेस इंडस्ट्री में व्हे एक चर्चित शब्द है
(फोटोः iStock)

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आजकल हर जगह व्हे प्रोटीन शेक, व्हे कुकीज, व्हे प्रोटीन बार, व्हे आइसक्रीम की ही चर्चा है. फिट रहने की चाहत रखने वाला हर व्यक्ति इसके पीछे दौड़ रहा है. जो भी फिट रहना चाहता है, वह इसे पी रहा है. बीबीसी रिसर्च के अनुसार इसका क्रेज इतना है कि वैश्विक प्रोटीन बाजार के साल 2020 तक 13.5 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.

आखिर यह सनक या जुनून क्या है? और किसने व्हे प्रोटीन (मट्ठा प्रोटीन) को इतना बिकने वाली चीज बना दिया है?

व्हे/वे क्या है?

व्हे वो तरल पदार्थ या पानी है जो पनीर बनाने के क्रम में दूध जमाने के बाद बच जाता है.(फोटोः iStock)

दूध से हमे दो प्रकार के प्रोटीन केसिन और व्हे मिलते हैं. व्हे वो तरल पदार्थ या पानी है जो पनीर बनाने के क्रम में दूध जमाने के बाद बच जाता है. इससे पहले इस पानी को ऐसे ही छोड़ दिया जाता था. लेकिन जैसे-जैसे जानकारी बढ़ी, इस पानी को अब संरक्षित किया जाता है. इसका प्रयोग सप्लीमेंट्स बनाने में किया जाता है. खिलाड़ी विशेष रूप से इसका प्रयोग करते हैं.

व्हे कई प्रोटीनों का मिश्रण है. ये लैक्टोफेरिन, बीटालैक्टोग्लोब्यूलिन, अल्फा-लैक्टलब्यूमिन, ग्लाइकोमैक्रोपेप्टाइड और इम्यूनियोग्लोब्यूलिन्स जैसे मैक्रो प्रोटीन से मिलकर बना है. इन मैक्रो प्रोटीन में प्रतिरक्षा को बढ़ाने वाले गुण होते हैं. इसमें मिनरल्स भी होते हैं.

व्हे मक्खन वाले दूध से बनता है न कि पनीर से. इसमें लिपिड स्फिनगोमेलिन होता है.

दुनिया इसके बारे में भले ही अब जान रही हो, लेकिन हम भारतीय हमेशा से ही मक्खन वाले व्हे का प्रयोग कर रहे हैं. ये हमारी दादी और मां के हमेशा सही होने का एक और सबूत है.

व्हे प्रोटीन क्यों?

इनमें बेसिक न्यूट्रिशन से बढ़कर हमारे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता है. (फोटोः iStock)

रिसर्च में यह पाया गया है कि व्हे एक फंक्शनल फूड (क्रियाशील आहार) हो सकता है. इसका मतलब है कि व्हे के तत्व हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत बेहतर हैं. इनमें बेसिक न्यूट्रिशन से बढ़कर हमारे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता है. अल्टरनेटिव मेडिकल रिव्यूः ए जर्नल ऑफ क्लीनिकल थेरेप्यूटिक्स में प्रकाशित एक लेख के अनुसार व्हे में एक एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीहाइपरटेंसिव, एंटीट्यूमर, हाइपोलिपिडेमिक, एंटीवायर, एंटी बैक्टीरियल और कीलेटिंग वाहक के रूप में काम करने की क्षमता है.

व्हे प्रोटीन के फायदे एक्सरसाइज करने और इसकी क्षमता बढ़ाने में देखे गए हैं.

आपको इसके बारे में और पूछने की जरूरत है!

सामान्य स्वास्थ्य फायदों के अतिरिक्त इसे स्पोर्ट्स और एक्टिव लाइफस्टाइल पसंद करने वालों में प्रोटीन का स्रोत भी माना जाता है.

व्हे अपने अमीनो एसिड प्रोफाइल की वजह से उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीनों में से एक है. इसमें प्रचुर मात्रा में आवश्यक एए (अमीनो एसिड), ब्रांच्ड चेन एए और ल्यूसिन अमीनो एसिड होता है.

इसके अतिरिक्त, जर्नल ऑफ फूड साइंस में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार आसानी व जल्दी से पचने और मसल्स प्रोटीन सिंथेसिस (संश्लेषण) को बढ़ाने की अपनी क्षमता के कारण व्हे एक अच्छा विकल्प है. ब्रांच्ड चेन अमीनो एसिड (बीसीएए) प्रोटीन सिंथेसिस को बढ़ाने के लिए जाना जाता है. इससे किसी अन्य प्रोटीन स्रोत की तुलना में मांसपेशियों में वृद्धि तेजी से होती है.

एक्टिव लाइफस्टाइल और व्हे

पतली मांसपेशियां बनाने में प्रोटीन का सेवन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. (फोटोः iStock)

प्रोटीन प्रत्येक व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट है. लेकिन जो लोग एक्टिव लाइफस्टाइल में हैं या शौकिया/पेशेवर रूप से खेल से जुड़े हैं, उनके लिए प्रोटीन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. इसे उन लोगों को अपने शरीर का सही वजन पाने और मेंटेन रखने, शरीर को छरहरा बनाने, मसल्स को मजबूत बनाने और बेहतर रिकवरी में मदद मिलती है.

प्रोटीन अमीनो एसिड से मिलकर बनता है. इसमें कुल 21 प्रकार के अमीनो एसिड (एए) होते हैं, जो प्रोटीन मॉलिक्यूल के लिए ब्लॉक्स का निर्माण करते हैं. इनमें से 9 एए महत्वपूर्ण हैं जिनका निर्माण हमारे शरीर के भीतर नहीं होता है. ये हमारे भोजन से मिलता है. ये वो अमीनो एसिड हैं जो हमारे प्रदर्शन और रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण हैं.

इन एए की मौजूदगी या गैरमौजूदगी ही भोजन में प्रोटीन की गुणवत्ता को परिभाषित करती है.

खिलाड़ियों और एथलीटों के संदर्भ में देखें तो व्हे के दो अमीनो एसिड उनके लिए फायदेमंद हैं.
  • ल्यूसिनः यह एक महत्वपूर्ण अमीनो एसिड है. यह एक्सरसाइज करने के दौरान एनर्जी पैदा करता है. रिसर्च में यह पाया गया है कि एक्सरसाइज और आराम के दौरान, मसल्स एनर्जी के लिए अधिक ल्यूसिन का प्रयोग करते हैं. वास्तव में यह माना जाता है कि भोजन से मिलने वाले ल्यूसिन का 50 प्रतिशत एक्सरसाइज के दौरान एनर्जी के लिए प्रयोग हो जाता है. यह इंसुलिन स्रावित होने को तेज करता है. जिससे प्रोटीन सिंथेसिस में वृद्धि और प्रोटीन ब्रेकडाउन में कमी आती है.
  • सिस्टीनः यह सल्फर युक्त अमीनो एसिड है. यह प्रोटीन के निर्माण, बाल, त्वचा, संयोजी ऊतक वद्धि, ग्लूटाथियोन और इंसुलिन के लिए महत्वपूर्ण है. यह शरीर से विषैले पदार्थ निकालने का वाहक और सबसे महत्वपूर्ण ग्लूटाथियोन के निर्माण में मददगार है. ग्लूटाथियोन एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट और शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त करने का वाहक है.

कौन सा व्हे चुने?

आपको किस तरह का व्हे चुनना है, यह आपकी फिटनेस की जरूरत पर निर्भर करता है.(फोटोः iStock)
  • कॉन्सनट्रेटः इस प्रकार के व्हे में 50-80 प्रतिशत प्रोटीन होता है. इसमें वसा के साथ कार्बोहाइड्रेट्स लैक्टोज के रूप में होता है. साथ ही उच्च स्तर के बायोएक्टिव कपाउंड होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं. यह ज्यादा महंगा नहीं होता है.
  • आइसोलेटः जब कॉन्सनट्रेट व्हे को परिष्कृत किया जाता है, तो इसमें से बायोएक्टिव कंपाउंड, एश, लैक्टोज और कार्बोहाइड्रेट्स खत्म हो जाता है. इसमें 90-97 फीसदी प्रोटीन होता है. यह अधिक महंगा होता है लेकिन इसमें आपको अधिक प्रोटीन मिलता है. यदि आप लैक्टोज को नहीं पचा पाते हैं और कड़ी ट्रेनिंग करते हैं, तो यह अच्छा विकल्प है.
  • हाइड्रो आइसोलेटः यह विखंडित व्हे प्रोटीन है. इसलिए यह शरीर में आसानी से पच जाता है. यह एक्सरसाइज या वर्कआउट सेशन के बाद मसल्स बनाने का अच्छा विकल्प है. हालांकि इसका स्वाद तीखा होता है.

कब करें व्हे का प्रयोग?

व्हे को लेने का समय आपको अपनी जरूरत के आधार पर तय करना चाहिए.

  • वर्कआउट से पहले व्हे लेने से आप अधिक ट्रेनिंग कर सकेंगे. यदि आप सुबह जल्दी एक्सरसाइज करते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प है.
  • लेकिन दूसरी तरफ वर्कआउट के बाद लेने से इसका अधिक फायदा होगा. क्योंकि एक्सरसाइज के बाद मसल्स को अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है और व्हे में मौजूद बीसीएए रिकवरी को तेज करने में मदद करेगा.

व्हे को चुनना इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपने लिए क्या लक्ष्य हासिल करना तय किया है. आपको कितना वर्कआउट करना है, इसके लिए प्रोफेशनल स्पोर्ट्स डायटिशियन की मदद लें. ज्यादा हमेशा अच्छा नहीं होता है.

(रुपाली दत्ता एक क्लीनिकल न्यूट्रिशिनिस्ट हैं, जिन्होंने कॉरपोरेट हॉस्पिटलों में टीमों का नेतृत्व किया हैं. उन्हें हेल्थ केयर, फूड और न्यूट्रिशियन- वेलनेस और डिजिज दोनों में गहरी समझ है.)

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Published: 25 Aug 2018,11:28 AM IST

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